इनमें से किसकी पतंग कटेगी, यह तो आने वाले वक़्त में पता चलेगा. लेकिन गुजरात के अहमदाबाद में पतंगों के महोत्सव उत्तरायण के दौरान केजरीवाल मोदी को चुनौती नहीं दे पाएं, इसका पक्का इंतज़ाम कर लिया गया.

बाज़ार में जहां एक ओर सलमान ख़ान, दीपिका पादुकोण, स्पाइडरमैन से लेकर नरेंद्र मोदी के पोस्टरों वाली पतंग ख़ूब बिक रही हैं, वहीं अरविंद केजरीवाल के पोस्टर वाली पतंगें गोदाम से बाहर नहीं निकल सकी है.

आख़िरकार किसके इशारे पर केजरीवाल की छवि वाली बनी-बनाई पतंगे बाज़ार तक नहीं पहुंच सकीं?

केजरीवाल की पतंग

दरअसल अहमदबाद में उत्तरायण के मौके पर डेढ़ से दो करोड़ पतंगें उड़ाई जाती हैं. पूरा आसमान बॉलीवुड के सितारों और सेलिब्रिटीज़ के चेहरों वाली पतंगों से भरा होता है.

पतंग बनाने वाले हमेशा ही चर्चित फ़िल्मों के लोकप्रिय किरदारों और लोकप्रिय हस्तियों को लेकर पतंग बनाते रहे हैं. इस साल पतंग निर्माताओं की नज़र दो-तीन चेहरों पर टिकी थीं.

साल भर सुपर हिट फ़िल्में देने वाली दीपिका पादुकोण,  राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली विधानसभा चुनाव में असली हीरो बनकर उभरे अरविंद केजरीवाल पर.

नरेंद्र मोदी और दीपिका पादुकोण के चेहरों वाली पतंगें अहमदाबाद के बाज़ार में हर जगह दिख रही हैं, लेकिन कोई केजरीवाल की पतंग नहीं बेच रहा है.

अहमदाबाद की एक पतंग की दुकान पर काम करने वाले मौलिक पटेल ने बताया, "काफी लोग केजरीवाल के पोस्टर वाली पतंग मांग रहे हैं, लेकिन ऐसी पतंगें बनी ही नहीं."

'केजरीवाल' क्यों नहीं उड़ रहे अहमदाबाद में?

हालांकि पतंग बनाने वालों ने माना कि केजरीवाल की तस्वीरों वाली लाखों पतंगें बनी हैं, लेकिन अहमदाबाद में उन्हें बेचा नहीं जा रहा है.

अहमदाबाद के जमालपुर के एक पतंग बनाने वाले कारोबारी ने नाम नहीं छापने के अनुरोध के साथ बताया, "साल की शुरुआत में ही अहमदाबाद पुलिस के एक आला अधिकारी ने पांच बड़े पतंग निर्माताओं को बुलाकर कहा कि केजरीवाल की तस्वीरों वाली पतंग बाज़ार में दिखाई नहीं देनी चाहिए. पुलिस अधिकारी इस पर निगरानी रखेंगे कि कौन-कौन ऐसी पतंगें बेच रहा है."

पुलिस का इनकार

बताया जा रहा है कि यह बैठक अहमदाबाद ट्रैफिक पुलिस की देखरेख में बुलाई गई थी. हालांकि ज़िले के एडिशनल कमिश्नर ट्रैफिक एचके पटेल ने बीबीसी से कहा, "मैंने एक बैठक ज़रूर बुलाई थी. यह बैठक केवल इस बात पर थी कि पतंगों का इस्तेमाल ट्रैफिक संदेशों के लिए किस तरह किया जा सकता है."

पटेल के मुताबिक इस बैठक में इस बात पर कोई चर्चा नहीं हुई थी कि पतंगों पर किस-किस राजनेता की तस्वीर लगेगी.

हालांकि अहमदाबाद क्राइम ब्रांच में काम करने वाले निचले रैंक के पुलिस वालों ने भी माना है कि उनके वरिष्ठों की तरफ से मौखिक आदेश आया था कि केजरीवाल के पोस्टरों वाली पतंगें बाज़ार में नहीं दिखें.

'केजरीवाल' क्यों नहीं उड़ रहे अहमदाबाद में?

अहमदाबाद के कालूपुर के एक पतंग निर्माता ने बताया कि उन्होंने केजरीवाल की तस्वीर वाली 50 हज़ार पतंगें बनाईं थीं और मामला बिगड़ने के बाद उन्होंने वे पतंगें मध्यप्रदेश और राजस्थान में बेच दीं.

तमाम पतंग निर्माताओं ने केजरीवाल की तस्वीर वाली पतंग को गोदाम में रखा हुआ है या दूसरे राज्यों में बेचा है.

अहमदाबाद में तीन से चार लाख पतंगें रोज़ाना बनती हैं. इन्हें बनाने वाले ज़्यादातर मुस्लिम कारोबारी हैं.

दरअसल गुजरात में केजरीवाल की लोकप्रियता बढ़ रही है. राज्य के कई चर्चित चेहरे आप पार्टी में शामिल हो चुके हैं.

गुजरात की बीजेपी सरकार भी इस बात से चितिंत है. मोदी का दायाँ हाथ माने जाने वाली आनंदीबेन पटेल के पति मफतभाई, सामाजिक कार्यकर्ता मल्लिका साराभाई और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक कनु कलसरिया इनमें शामिल हैं.

राज्य सरकार को केजरीवाल और उनकी  आम आदमी पार्टी का डर इस कदर है कि हाल ही में भारत सरकार के सड़क सुरक्षा अभियान के लिए 'पहले आप' थीम पर बने पोस्टर लगाने से भी गुजरात सरकार अचकचा रही है.

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