घटते मेटाबोलिक रेट के कारण
हालाकि महिलाओं में वसा यानि बॉडी फैट अधिक होता है जो उनके शरीर में गरमाहट बनाये रखने में मदद करता है, लेकिन जो महिलायें ऑफिस वर्क करती हैं और उनका मूवमेंट कम होता है तो नकी मेटाबोलिक रेट मर्दों से 35 फीसदी कम हो जाता है। जिसका परिणाम ये होता है कि उनके शरीर में गर्मी कम पैदा होती है औा उससे शरीर अंदर से ठंडा होने के कारण उन्हें ठंड ज्यादा लगने लगती है।

महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले ज्‍यादा होता है ठंड का अहसास

खाने के प्रति लापरवाही
आम तौर पर महिलाओं में अपने भोजन के प्रति लापरवाही बरतने की आदत होती है। वे समय पर और भरपेट भोजन करने के मामले में बहुत सावधानी नहीं बरतती। इसी वजह से उनको ठंड ज्यादा महसूस होती है। दरसल अगर आपने भरपूर भोजन ग्रहण किया है, तो ठंड कम लगती है। भूखे रहने पर हम ठंड के प्रति ज़्यादा संवेदना महसूस करते हैं। निश्चित समयांतराल पर भरपेट भोजन करने से शरीर में नियमित रूप से ऊर्जा उत्पन्न होती है और उसे शरीर गर्म बना रहता है।

नींद के प्रति लापरवाही
औरतें अपनी सोने की व्यवस्था के प्रति भी बहुत सावधान नहीं होतीं। उनका पूरा ध्यान अपने कामों को पूरा करने में लगा होता है और घर बाहर की व्यवस्था को देखने मे वे नींद के प्रति पूरी तरह लापरवाह हो जाती हैं।  एक रिसर्च से सामने आया है कि करीब दो-तिहाई महिलाओं में इनसोम्निया की बीमारी पायी जाती है। अब अगर आपकी पिछली रात की नींद पूरी नहीं हुई है, तो अगले दिन आप ठंड ज़्यादा महसूस करेंगेयह तय है। ये भी एक कारण है महिलाओं को ठंड अधिक लगती है।

महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले ज्‍यादा होता है ठंड का अहसास

एक कारण ये भी
एक सामाजिक कारण भी है जो वर्किंग वुमेन पर लागू होता है। दरसल जब 60 के दशक में दफ्तरों में एसी का चलन शुरू हुआ तब महिलाओं के कामकाजी होने के बारे में नहीं सोचा गया और ऑफिस में एसी का टंप्रेचर पुरुषों के हिसाब से एडजस्ट किया जाने लगा। यही कारण है कि दफ्तरों में एसी चलने के कुडछ देर बाद ही महिलायें अक्सर शॉल निकाल कर ओढ़ लेती हैं।

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