विकीलीक्स के एक केबल के अनुसार वर्ष 2009 में तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन ने अमरीकी राजदूत टिमोथी रोमर से कहा था कि भारत सरकार डेविड कोलमैन हेडली का प्रत्यर्पण चाहती ही नहीं है।

अमरीका में गिरफ़्तार डेविड हेडली ने 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए हमलों में शामिल होने की बात स्वीकार की थी। इसके बाद से ही भारत सरकार का दावा था कि वो हेडली के प्रत्यर्पण के लिए लगातार कोशिश में लगी हुई है। लेकिन विकीलीक्स के ताज़ा केबल्स के मुताबिक दिसंबर 2009 में तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन ने अमरीकी राजदूत टिमोथी रोमर से कहा था कि हेडली के प्रत्यर्पण की मांग जनता के सामने किया गया महज़ एक दिखावा है और 'फ़िलहाल' भारत सरकार ये प्रत्यर्पण नहीं चाहती।

नारायणन और टिमोथी के बीच टेलीफोन पर हुई इस बातचीत का टेप विकीलीक्स के पास कथित तौर पर अगले ही दिन पहुंच गया था। इस विकीलीक्स केबल के अनुसार नारायणन ने कहा था कि अगर ये बात सार्वजनिक हो गई कि भारत डेविड हेडली के प्रत्यर्पण के लिए गंभीर नही है, तो भारत सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगीं।

भारत में अमरीका के पूर्व राजदूत टिमोथी रोमर ने एमके नारायणन से कहा था कि भारत को हेडली के प्रत्यर्पण की मांग पर ज़्यादा ज़ोर नहीं देना चाहिए। टिमोथी ने ये भी कहा था कि अमेरिका हेडली से गंभीर सूचनाएं हासिल कर सकता है, लेकिन अगर भारत उसके प्रत्यर्पण की ज़िद करेगा तो ऐसा करना मुश्किल होगा।

खंडन

हालांकि पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन ने इन ख़बरों का खंडन करते हुए कहा है कि भारत सरकार ने हेडली के प्रत्यर्पण के मुद्दे को गंभीरता से लिया है।

जब उनसे विकीलीक्स केबल्स में आई जानकारी की वैधता बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "आपको ये सवाल मुझसे नहीं, बल्कि अमरीकी अधिकारियों से करना चाहिए। दो अमरीकी अधिकारियों के बीच हुई बातचीत पर मैं कैसे कोई टिप्पणी कर सकता हूं? ये सवाल तो उनसे पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने ऐसा क्यों लिखा। जहां तक भारत का सवाल है, तो हमारी दिलचस्पी केवल हेडली के प्रत्यर्पण और उसके बारे में जानकारी में है."

हालांकि इस जानकारी के सामने आने से विपक्षी दलों ने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है और चरमपंथ से लड़ने की सरकार की इच्छाशक्ति पर सवाल उठाए हैं।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव प्रकाश करात ने कहा, "ये तो आम चलन रहा है कि भारतीय सरकार को कई फ़ैसले अमरीका के दबाव में आ कर करने पड़ते हैं। मोटा-मोटी इस केबल से ये साबित होता है कि वैश्विक नीतियों के मामले में भारत हमेशा अमरीका के अधीन काम करता है। पिछले 4-5 सालों में अमरीका ने अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए भारत पर लगातार दबाव डाला है। तो इस केबल में कुछ नया नहीं है."

विकीलीक्स में मार्कसवादी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ी कुछ बातें भी सामने आई हैं। एक केबल के अनुसार पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने एक अमरीकी अधिकारी से कहा था कि अगर कम्युनिस्ट पार्टी ख़ुद में बदलाव नहीं लाती, तो उनका नामो-निशान मिट जाएगा।

केबल के अनुसार बुद्धदेव भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल में अमरीकी निवेश की भी इच्छा जताई थी। हालांकि मार्कसवादी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ी विकीलीक्स केबल्स के बारे में जब प्रकाश करात से सवाल किया गया, तो उन्होंने हंसते हुए कह दिया कि विकीलीक्स केबल्स को इतनी गंभीरता से लेने की ज़रूरत नहीं है।

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