-कुख्यात बावरिया गैंग के ईनामी शिकारी एसटीएफ के हत्थे चढ़ा

-टाइगर की 5 खाल और 125 किलो बोन्स के केस में था वांटेड

-पंजाब के मोगा में खेतो की रखवाली करने वाला बनकर छिपा था

देहरादून

उत्तराखंड समेत देश के जंगलों में वाइल्ड लाइफ के लिए खतरा बन चुके एक कुख्यात शिकारी को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। यह शिकारी वाइल्ड लाइफ का इतना बड़ा दुश्मन बन चुका था कि जंगल में टाइगर जैसे खतरनाक जानवर को भी डंडे से पीट-पीट कर मार डालता था। तीन वर्ष पहले हरिद्वार के श्यामपुर में एसटीएफ ने वन्य जीव तस्करी का एक बड़ा मामला पकड़ा था, एक तस्कर के कब्जे से पांच टाइगर की खाल और 125 किलो टाइगर बोन्स बरामद हुई थी। शिकारी गैंग के सरगना मुख्ययार समेत चार बदमाश फरार हो गए थे। पुलिस ने इनाम घोषित किया था। एसटीएफ ने पंजाब के मोगा इलाके में खेतों की आवारा पशुओं से रखवाली का काम करने वाला बनकर छिपे वन्य जीवों की इस दुश्मन को पकड़ लिया।

एसटीफ की डीआईजी रिद्विम अग्रवाल ने बताया कि प्रदेशभर में ईनामी बदमाशों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर अभियान चलाया जा रहा है इसी क्रम में एसटीएफ के इंस्पेक्टर संदीप नेगी को हरिद्वार के श्यामपुर थाने में वर्ष 2016 में दर्ज वन्यजीव अधिनियम के एक मामले में वांछित अभियुक्त मुख्तयार पुत्र बजेरिया निवासी पुराना टिका, धोबियाणा बस्ती भटिण्डा, पंजाब के बारे में अहम सूचना मिली। यह ईनामी बदमाश पंजाब के मोगा में बिलासपुर के पास भागीके गांव में खेतों की रखवाली करने वाला बनकर फरारी काटने की सूचना मिली। एसटीएफ की टीम ने पंजाब पहुंचकर उसे गिरफ्तार कर लिया।

पांच टाइगर की खाल मिली थी इसके गैंग से:

13 जून 2016 को हरिद्वार के श्यामपुर थाना एरिया में उत्तराखंड एटीएफ की टीम ने वन्य जीव तस्करी का बड़ा खुलासा करते हुए रामचंद्र नामक शख्स को टाइगर की पांच खाल और 125 किलो हड्डियों के साथ गिरफ्तार किया था। रामचंद्र ने बताया था कि उसके साथ वन्य जीवों के शिकार और तस्करी में चार अन्थ्य लोग भी शामिल थे। इस गिरोह ने वर्ष 2016 में नजीबाबाद से लगती हुई उत्तराखंड की सीमा के जंगलों से बड़ी संख्या में टाइगर का शिकार किया था। उन्हीं जानवरों की खाल और अन्य अंगों को वे दिल्ली में तस्करों को बेचते थे। इसके शिकार किए गए वन्य जीवों के अंग विदेशों तक तस्करी किए जाते थे।

खुटका, भाला और लाठी से टाइगर का शिकार:

मुख्तयार और उसके गिरोह के शिकारी इतने बेखौफ थे, कि जिस टाइगर को देखकर ही इंसान डर से कांपने लगता है, उसे ये लाठी से पीट-पीटकर मार देते थे। एसटीएफ के इंस्पेक्टर संदीप नेगी को पूछताछ में मुख्तयार ने बताया कि वे टाइगर के शिकार के लिए जंगल में क्लच वायर का फंदा (खुटका )लगाते थे। टाइगर का पैर उस फंदे में फंसने के बाद शिकारी उसे चारों तरफ से घेर लेते थे। टाइगर की दहाड़ बंद कराने के लिए उसके मुंह पर भालानुमा बनाई हुई नुकली लकड़ी से वार करते थे। मुंह पर वार कर टाइगर को जख्मी कर देते थे, भाले से शरीर पर वार नहीं करते थे,इससे टाइगर की खाल कट-फट जाने का खतरा रहता था। दहाड़ना बंद करते ही फंदे में फंसे टाइगर पर ये शिकारी डंडे लेकर पिल पड़ते थे। टाइगर को डंडों से पीट-पीटकर ही मार देते थे.मुख्तयार के गिरोह ने बड़ी संख्या में टाइगर, लैपर्ड और अन्य वन्य जीवों का शिकार कर उनके अंगों को बेचा है। उत्तराखंड़ ही नहीं हिमाचल प्रदेश, यूपी और पंजाब के जंगलों में भी इस गिरोह ने शिकार किया था।

तस्करी के नेटवर्क को लेकर पूछताछ:

एसटीएफ की टीम ने मुख्तयार से पूछताछ में वन्य जीवों के शिकार और उनके अंगों की तस्करी के कई लिंक पता चले हैं। फरारी के दौरान भी उसके द्वारा वन्य जीवों का शिकार करने की आशंका है.ऐसे में उससे पूछताछ में मिली अहम जानकारियों को एसटीएफ वेरिफाई कर रही है।

तीन वर्ष से फरार चल रहा कुख्यात वन्य जीव तस्करी पकड़ा गया है। पूछताछ में वन्य जीवों के शिकार और तस्करी से जुड़ी कुछ अन्य जानकारियां भी पता चली हैं, जिन्हें वेरिफाई किया जा रहा है।

संदीप नेगी, इंस्पेक्टर, एसटीएफ