- चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से करेंगे हाईकोर्ट बेंच की मांग

- मुरादाबाद केस शिफ्ट करने के विरोध में अब बिल्कुल नहीं करेंगे काम

- जब तक फैसला वापस नहीं होता, यहां जारी रहेगी हड़ताल

-17 जनवरी को मीटिंग के लिए बागपत में जुटेंगे वकील

<- चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से करेंगे हाईकोर्ट बेंच की मांग

- मुरादाबाद केस शिफ्ट करने के विरोध में अब बिल्कुल नहीं करेंगे काम

- जब तक फैसला वापस नहीं होता, यहां जारी रहेगी हड़ताल

-क्7 जनवरी को मीटिंग के लिए बागपत में जुटेंगे वकील

Meerut:Meerut: हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर कचहरी में वकीलों की हड़ताल जारी है, जिसको लेकर पश्चिम यूपी के जिलों से आए प्रतिनिधियों की शनिवार को कचहरी परिसर में मीटिंग हुई। जहां हाईकोर्ट के ज्यूडिशियल मेटर को ट्रांसफर करने पर विरोध हुआ। इसके साथ ही बेंच की स्थापना के लिए आगे की रणनीति तैयार की गई। इसी रणनीति को नया रूप देने के लिए अब सभी वकील बागपत में जुटने जा रहे हैं। साथ ही बेंच को लेकर एक्ट का सहारा लेने और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से इस मामले में बात करने की तैयारी की जा रही है।

यह रहा मामला

मेरठ में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग को लेकर लंबे समय से हड़ताल चली आ रही है। इस बार वकीलों ने हड़ताल को लेकर कचहरी परिसर में पूर्ण तालाबंदी रखी। वकीलों की इस हड़ताल के कारण हजारों लोगों के केस नहीं निपट पा रहे हैं। लोग परेशान हैं और वे इसको लेकर इलाहाबाद तक चक्कर लगा रहे हैं। ऐसे मे हाईकोर्ट ने मेरठ में चल रहे एक लाख से अधिक केसों की फाइल मुरादाबाद ट्रांसफर करने का निर्णय दे दिया, जिसको लेकर वकीलों में गुस्सा भड़का और शुक्रवार को कचहरी परिसर में जमकर हंगामा हुआ। इसके बाद आगे की रणनीति के लिए शनिवार को बैठक हुई।

गड़बड़ा गया मामला

गत तीन जनवरी को हुई बैठक में वकीलों ने कचहरी में दो दिन मंगलवार और बुधवार को कचहरी में काम करने और बाकी दिन हड़ताल का निर्णय लिया था। इन दो दिनों के अलावा बाकी दिन दिल्ली में धरना प्रदर्शन भी करने की बात तय हुई थी। जिसमें हर रोज ग्यारह लोगों द्वारा दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरने जाना तय हुआ, जिसमें पहले दिन मेरठ जिले की यूनिट ने दिल्ली में धरना दिया था। इसके बाद दो दिन लगातार कचहरी खुली, लेकिन लोगों के केस पेंडिंग रह गए। इस पर हाईकोर्ट बेंच संबंधी बनाई गई समिति को भंग करते हुए मेरठ के केस मुरादाबाद और हड़ताल में मौजूद जिलों के केस दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर कर दिए थे।

एक बार फिर रणनीति

हाईकोर्ट के द्वारा यहां के केसेज दूसरे जिले की अदालत में ट्रांसफर करने का विरोध करते हुए वकीलों ने शनिवार को हड़ताल जारी रखते हुए कचहरी स्थित नानकचन्द सेमीनार हॉल में बैठक आयोजित की। जिसमें वेस्ट के सभी जिलों के वकीलों ने भागीदारी की। जहां मौजूद मुख्य वक्ताओं में एडवोकेट चौधरी वीर सिंह ने अपनी बात रखी। साथ ही हाईकोर्ट के निर्णय का विरोध करते हुए आगे की रणनीति पर बात हुई। वकीलों का कहना है कि वे हाईकोर्ट के इस निर्णय का विरोध करते हैं। यहां के केसेज मुरादाबाद ट्रांसफर करने के साथ ही अन्य जिलों में हड़ताल के चलते वहां के केस भी ट्रांसफर किए गए हैं।

फैसला वापसी तक

जिससे यह साबित होता है कि यहां हाईकोर्ट बेंच देने की मंशा नहीं है। अब हाईकोर्ट के अपने निर्णय को वापस लिए जाने तक हड़ताल जारी रहेगी। हाईकोर्ट की मांग अपनी जगह है और इसके लिए लगातार प्रयास किए जाएंगे। वकीलों का कहना है कि हाईकोर्ट द्वारा लिया गया फैसला दबाव में लिया गया है। जो इलाहाबाद के लोगों के दबाव में लिया गया है। अब केंद्रीय संघर्ष समिति की बैठक बागपत में क्7 जनवरी को आयोजित होगी। जिसमें करीब बीस जिलों के वकील शामिल होंगे। इस मीटिंग में एक डेलीगेशन तैयार किया जाएगा। जिसमें विभिन्न जिलों के लोग शामिल होंगे। यही डेलीगेशन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से मिलने जाएगा। इसके साथ ही कचहरी में पूर्ण हड़ताल और तालाबंदी रहेगी। इस दौरान मौजूद एडवोकेट्स में चौधरी धीर सिंह, केपी शर्मा, डीडी शर्मा, नरेंद्र पाल सिंह, गजेंद्र सिंह धामा सहित सैकड़ों वकील मौजूद रहे।

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पार्लियामेंट एक्ट का सहारा लेंगे

क्97म् पार्लियामेंट एक्ट आया था। यह एक्ट बेंच की स्थापनाओं से संबंधित है। जिस एक्ट के तहत कानून मंत्री के पास बेंच स्थापित करने संबंधी अधिकार है। वह हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर खुद प्रस्ताव लोक सभा में रख सकता है। वहां से प्रस्ताव पास कराकर हाईकोर्ट बेंच को स्थापित करा सकता है। कानून मंत्री को इसके लिए ना प्रदेश सरकार, ना ही चीफ जस्टिस की, ना ही हाईकोर्ट की और ना ही सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की जरूरत है। वह खुद प्रस्ताव रखे और उसे पारित कराकर बेंच स्थापित करवा सकता है। यहां भी खेल हुआ है। हाईकोर्ट बेंच को देख रही कमेटी को भंग कर दिया गया। अब हम इस एक्ट का सहारा लेंगे। यह एक्ट स्पेशली हाईकोर्ट बेंच की स्थापना के लिए ही बना है। जिसके तहत आगे की कार्रवाई होगी।

- रामकुमार शर्मा और चौ। धीर सिंह, एडवोकेट