नई दिल्ली (पीटीआई) भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या ने सोमवार को लंदन उच्च न्यायालय द्वारा भारत में प्रत्यर्पण के खिलाफ उसकी याचिका खारिज करने के बाद निराशा व्यक्त की और संकेत दिया कि वह अपने वकील के सुझाव पर शीर्ष अदालत में इस फैसले के खिलाफ अपील करेगा। माल्या ने अदालत का फैसले आने के थोड़ी देर बाद एक ट्वीट में कहा, 'मैं स्वाभाविक रूप से उच्च न्यायालय के फैसले से निराश हूं। मैं अपने वकीलों की सलाह पर आगे भी अपील करूंगा। इसके अलावा, मैं मीडिया की बातों से भी निराश हूं, जिसमें कहा गया है कि मुझे 9000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के लिए भारत में मुकदमे का सामना करना चाहिए।'

खुद को ठहराया सही

इसके बाद खुद को सही ठहराते हुए, माल्या ने जजमेंट के पैरा 6 पर जनता का ध्यान आकर्षित किया। उसने कहा, 'यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि मेरे और अन्य के खिलाफ आरोप खासकर केवल 2009 में आईडीबीआई बैंक से लिए गए कुल 900 करोड़ रुपये के लोन के तीन किस्तों से संबंधित हैं। इस कर्ज को मास्टर डेट रीकास्ट एग्रीमेंट 2010 के तहत अन्य बैंकों के ऋणों के साथ लिया गया था। प्रिंसिपल के माध्यम से लगभग 5,000 करोड़ रुपये के भुगतान के लिए कर्ज वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) के आदेश के बाद और 6,200 करोड़ रुपये की कुल आय के साथ 1,200 करोड़ रुपये की अदायगी की गई।' माल्या ने कहा कि बैंकों ने पहल ही 2,500 करोड़ रुपये की नकद राशि वसूल ली है जो मूल राशि का 50 प्रतिशत है। उसने आगे कहा, 'मैंने बार-बार बैंकों को पैसे पूरा चुकाने की बात की है लेकिन दुख की बात है कि कोई फायदा नहीं हुआ।'

14 दिनों के भीतर सुप्रीम कोर्ट में कर सकता है अपील

लंदन की हाईकोर्ट में माल्या ने अपने भारत में प्रत्यर्पण के खिलाफ एक याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया है। लंदन की न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार, विजय माल्या अब 14 दिनों के भीतर सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश के खिलाफ अपील कर सकता है। यदि, निर्धारित समय के अंदर वह शीर्ष अदालत में अपील नहीं करता हैं, तो प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और 28 दिनों के भीतर उसे भारत भेज दिया जाएगा।

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