RANCHI : रांची के राजधानी बनने के बाद से ही यहां पापुलेशन में बेतहाशा वृद्धि हुई है। सिटी में काफी तेजी से मॉल कल्चर बढ़ता जा रहा है। बड़े-बड़े कामर्शियल मॉल, रेसिडेंशियल अपार्टमेंट का निर्माण हो रहा है। इन गगनचुंबी इमारतों के निर्माण के लिए कई नियमों का पालन करना होता है लेकिन गिने-चुने कान्ट्रैक्टर ही नियमों का पालन कर रहे हैं। राजधानी में धड़ाधड़ बगैर बिल्डिंग बायलॉज के गगनचुंबी इमारतों को निर्माण हो रहा है। बिल्डिंग निर्माण के बाद कंप्लीशन सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है। इसके लिए आक्यूपेंसी सर्टिफिकेट, नक्शा, फायर सेफ्टी, वाटर हार्वेस्टिंग, इलेक्ट्रिक, पार्किग स्पेस, ओपन स्पेस, लिफ्ट, बेसमेंट आदि की जांच की जाती है। नगर निगम को अधिकार है कि वह इन बिल्डिंग निर्माण की जांच करे लेकिन निगम के अधिकारी भी आंखें बंद किए रहते हैं। बिना किसी मानक को पूरा किए निर्माण कराए जा रहे ये भवन लोगों की जान के लिए खतरा बन सकते हैं।

10 हजार बहुमंजिला इमारतें

बीते 19 सालों में सिटी में 10 हजार से भी अधिक बहुमंजिला भवनों का निर्माण हुआ है। राज्य अलग होने से पहले जहां इक्के-दुक्के ही दो या तीन मंजिला इमारतें थीं वहीं साल 2000 के बाद से इनकी संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है। लेकिन इनमें से अधिकतर इमारतें बगैर किसी बिल्डिंग बायलॉज के मानकों को पूरा किये बनाई गई हैं। नगर निगम से मिली जानकारी के अनुसार, मात्र 163 भवनों को ही आक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी किया गया है। नगर निगम से कई बार आक्यूपेंसी सर्टिफिकेट के लिए आदेश तो जारी किया गया लेकिन इसमें सख्ती नहीं बरते जाने की वजह से बिल्डरों ने इसपर ध्यान नहीं दिया। नियम के अनुसार बिल्डिंग निर्माण के बाद कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए ऑनलाइन अप्लाई करना होता है, जिसमें बिल्डिंग के सभी बायलॉज की जांच करते हुए कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। लेकिन हजारों बिल्डिंग बिना कंप्लीशन सर्टिफिकेट के ही संचालित हो रही हैं।

नक्शे में चार, बन गई 6 मंजिला इमारत

बिल्डरों ने भवन निर्माण में काफी हेर-फेर भी किया है। बिल्डर नक्शे में तीन या चार मंजिल का जिक्र करते हैं। जबकि वास्तव में पांच से छह मंजिलों तक निर्माण करा लिया जाता है। बिल्डरों द्वारा फ्लैट बना कर उसे बेच दिया जाता है, जिसके बाद परेशानी कंज्यूमर को होती है। इसके अलावा पतली गलियों में भी ऊंची-ऊंची इमारतों का निर्माण अवैध है, लेकिन बिल्डर इस मानक को भी नहीं मान रहे। अधिक पैसे की चाह में वैसी जगह भी अपार्टमेंट का निर्माण कराया जा रहा है जहां रोड की चौड़ाई मात्र आठ से दस फीट ही है। जबकि जी प्लस 4 से ऊपर के भवन के लिए कम से कम 30 फीट चौड़ी सड़क होनी चाहिए।

निर्माण के बाद जागता है आरएमसी

राजधानी में इन दिनों जगह-जगह ऊंची-ऊंची इमारतों का निर्माण किया जा रहा है। लेकिन नगर निगम से कोई जांच नहीं की जा रही है। जब भवन का निर्माण कार्य पूरा हो जाता है इसके बाद जांच की प्रक्रिया शुरू की जाती है। हाल ही में नगर निगम की टीम बरियातू स्थित सबसे ऊंची इमारत की जांच करने पहुंची थी। लेकिन इस इमारत का भी निर्माण काम पूरा कर लिया गया है। तब जाकर निगम की नींद खुली है। इसी प्रकार लालपुर स्थित मॉल डेकार की भी जांच करने का आदेश जारी किया गया है।