कांग्रेस और बीजेपी दोनों में ज्यादा से ज्यादा टिकट झटकने के लिए ज्यादा मुखर है महिला विंग, 20-20 टिकटों पर दावा

- संगठन की गतिविधियों में पुरुष दावेदारों के साथ कदमताल, पुख्ता दावा और पुरजोर कोशिश में हैं जुटीं

-पिछले चुनाव में किसी ने भी नहीं दिया उचित प्रतिनिधित्व, 70 सीटों में से कहीं हाथ आई सात, कहीं नौ सीटें

DEHRADUN: समाज के हर क्षेत्र में नारी शक्ति के तेजी से बढ़ते कदम साफ दिखाई दे रहे हैं। उत्तराखंड में सियासी दलों की महिला विंग भी अब पीछे रहने के लिए तैयार नहीं हैं। विधानसभा चुनाव में टिकटों के लिए इस बार महिला विंग ज्यादा दम दिखा रही हैं। महिला विंग संगठन की मजबूती के लिए पुरुषों के साथ कदमताल करते हुए अपने हिस्से में इस बार ज्यादा टिकट बटोरने की पुरजोर कोशिश में है। बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही दलों की महिला विंग का इस बार कम से कम बीस टिकटों का दावा है। दोनों ही दलों के हाईकमान तक ये बात पहुंच चुकी है। चुनावी तैयारियों से संबंधित बैठकों में इस पर चर्चा शुरू हो चुकी है। दबाव किस हद तक कारगर साबित हो पाता है, ये अब देखना है।

फ्फ् फीसदी टिकट दूर की कौड़ी

देश में महिलाओं को फ्फ् फीसदी आरक्षण की भले ही बात की जा रही हो, लेकिन उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण के मामले में प्रमुख सियासी दल हमेशा कंजूस ही दिखाई दिए हैं। ख्0क्ख् के विधानसभा चुनाव की बात करें, तो 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए बीजेपी ने केवल सात महिला उम्मीदवार मैदान में उतारीं, जबकि कांग्रेस ने आठ महिलाओं को टिकट दिया। हालांकि भगवानपुर उपचुनाव में भी बाद में कांग्रेस ने महिला को ही उम्मीदवार घोषित किया था।

ख्0क्ख् के चुनाव में इन्हें मिली शिकस्त

-रेवती जोशी-डीडीहाट-कांग्रेस, सरोजनी कैंत्यूरा-यमकेश्वर-कांग्रेस, ज्योति रावत-लैंसडौन-कांग्रेस, हेमा जोशी-चंपावत-बीजेपी, आशा नौटियाल-केदारनाथ-बीजेपी, वैजयंती माला-झबरेड़ा-बीजेपी, कमला चौहान-चकराता-बीजेपी, रेनू अधिकारी-हल्द्वानी-बीजेपी, गीता ठाकुर-गंगोलीहाट-बीजेपी।

इन जिलों में नहीं महिला विधायक

-चंपावत, बागेश्वर, उधमसिंहनगर, पिथौरागढ़, देहरादून, उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी।

ये हैं वर्तमान महिला विधायक

सरिता आर्य-नैनीताल-कांग्रेस, ममता राकेश-भगवानपुर-कांग्रेस, डा। इंदिरा ह्दयेश-हल्द्वानी-कांग्रेस, विजया बड़थ्वाल-यमकेश्वर-बीजेपी। रामनगर सीट से बतौर कांग्रेस प्रत्याशी जीतने वालीं अमृता रावत की सदस्यता खत्म की जा चुकी है। इसी तरह सोमेश्वर से कांग्रेस के टिकट पर जीती रेखा आर्य भी अब विधायक नहीं हैं।

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-हमारे वरिष्ठ नेता इस बात से सहमत हैं कि महिलाओं के टिकट का कोटा बढ़ाया जाना चाहिए। पिछली बार दस फीसदी टिकट महिलाओं को मिले थे, इस बार ये डबल करने पर जोर रहेगा। इस लिहाज से बीस टिकट हम अपने लिए मांगेंगे।

-सरिता आर्य, प्रदेश अध्यक्ष, महिला कांग्रेस।

-बीजेपी संगठन में महिलाएं अपनी प्रभावी भूमिका ईमानदारी से निभा रही हैं। इसलिए चुनाव में महिला कार्यकर्ताओं को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिलाने की पुरजोर कोशिश है। हम बीस से कम टिकटों पर इस बार मानने वाले नहीं हैं।

-नीलम सहगल, प्रदेश अध्यक्ष, बीजेपी महिला मोर्चा।

तीन में से एक दायित्व महिला को

-महिला कांग्रेस टिकटों के लिए इस बार दबाव बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी, इस बात से सीएम हरीश रावत भी अनजान नहीं है। महिला कांग्रेस के रविवार को आयोजित कार्यक्रम में सीएम हरीश रावत ने इस बात का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि महिला नेतृत्च को लेकर हाईकमान गंभीर है। यूपीए राज में ही पंचायतों में भ्0 फीसदी आरक्षण दिया गया। इसके अलावा, प्रदेश में वह खुद दायित्व बांटते वक्त इसका ध्यान रख रहे हैं। दो दायित्व पुरुषों को दे रहे हैं, तो एक महिला को अनिवार्य रूप से मिल रहा है।

केंद्र के बहाने अपनों को दिखाया दम

महिला कांग्रेस ने मोदी राज में बढ़ती महंगाई को लेकर रविवार को राजभवन कूच किया। मुद्दा भले ही महंगाई का था, लेकिन मकसद कुछ और था। अपने ही संगठन पर टिकटों के लिए दबाव बनाने के क्रम में महिला कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ को आज कांग्रेस भवन में जुटाया गया और फिर हल्ला बोल जन जागरण रैली निकाली गई। कांग्रेस का आज का कार्यक्रम भीड़ के लिहाज से प्रभावशाली रहा। राष्ट्रीय सचिव अनुपमा रावत, प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य समेत कई पदाधिकारी कार्यक्रम में मौजूद रहे। सीएम हरीश रावत ने भी महिला कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचकर जोश भरने की कोशिश की।