- रुपया-खाना खत्म होने से परिवार समेत पैदल ही अपने जिलों के लिये निकले

LUCKNOW : 'का बताई साहब, न रुपया बचा न खाना, रुकि के का करी। ठेकेदार भी बोला अपना इंतजाम खुद करो। यही लिये अब पैदल घर जा रहेन है.' यह कहना है बलिया निवासी जोगिंदर चौहान का। मजदूर जोगिंदर के साथ उनका बेटा राजबली, बहू रंभा और दो पोते अनूप व अनुज भी अपना सामान उठाये पैदल ही जा रहे हैं। उन्हीं की तरह दर्जनों ऐसे मजदूर शहीदपथ व वीआईपी रोड पर दिखाई दिये, जो पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करने का मंसूबा बांध सड़क पर निकल पड़े हैं। हालांकि, उन्हें समाज के कुछ जिम्मेदार लोग भोजन-फल जरूर दे रहे हैं लेकिन, पहाड़ सरीखी दूरी तो उन्हें खुद ही तय करनी है। पैदल ही अपने घरों की दूरी नापने चल पड़े ऐसे मजदूरों से बातचीत पर विशेष रिपोर्ट

भूख से मरने से अच्छा घर पहुंच जाएं

वृंदावन कॉलोनी में रहकर मजदूरी करने वाले रघुवीर प्रजापति पत्‍‌नी सुनीता, बेटों अर्पित व अंशुल और छोटे भाई अजय के साथ आजमगढ़ जाने को निकले हैं। रघुवीर ने बताया कि वे जनता कफ्र्यू वाले दिन से एक दिन पहले ही घर से वापस लौटे थे। लखनऊ पहुंचते ही पहले जनता कफ्र्यू और फिर लॉकडाउन हो गया। जो कुछ पैसे थे वे इतने दिनों में खाने-पीने में खर्च हो गए। जबकि, काम मिलना बंद हो गया। रघुवीर ने बताया कि भूख से मरने से अच्छा है कि किसी तरह घर पहुंच जाएं। उसके पास सिर्फ 200 रुपये हैं, अगर सरकारी बस मिल भी जाये तो यह रकम किराये के लिये भी पूरी नहीं है। इसलिये वे पैदल ही गांव जाने के लिये चल पड़े हैं। उन्होंने बताया कि कैंट एरिया में एक गाड़ी से आए लोगों ने खाना दिया है। आजमगढ़ कितने दिनों में पहुंचेंगे, इस पर उनका कहना था कि अगर खाना मिलता रहा तो 10 दिन में पहुंच जाएंगे।

कंपनी ने हाथ खड़े किये

कैंट रोड पर मजदूरों का एक झुंड पैदल ही सामान लादे चला जा रहा था। इस रिपोर्टर ने उन्हें रोका और उनसे बात की। युवकों ने अपना नाम राजू, राजन, संजय, राजेंद्र, लालू, नगीना और राकेश बताया। सभी गोरखपुर के रहने वाले हैं। जबकि, इनमें से मुकेश बस्ती का निवासी है। इन्होंने बताया कि वे पीजीआई के करीब एलएंडटी के प्रोजेक्ट में मजदूरी करते हैं। इतने दिनों से वे सभी जमा पूंजी से खाने का इंतजाम कर रहे थे। अब रुपया खत्म हो गया। राजू ने बताया कि कंपनी के अधिकारी से एडवांस रुपये मांगे तो उन्होंने हाथ खड़े कर दिये। उसने बताया कि न जाने कितने दिन अभी लॉकडाउन रहे, लिहाजा उन लोगों ने वापस लौटने का फैसला किया है।

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डायल 112 पीआरवी ने की पैदल यात्रियों की मदद

पैदल ही अपने घरों को निकल पड़े गरीब मजदूरों की मदद को डायल 112 आगे आई। एडीजी असीम अरुण ने ऐसे सभी लोगों को कैसरबाग बस स्टेशन भेजने का आदेश दिया। जिसके बाद शनिवार को पीआरवी कर्मियों ने पैदल जा रहे लोगों को कैसरबाग बस स्टेशन भेजा। बताया गया कि कैसरबाग बस स्टेशन पर एक जिले के 50 से 70 सवारियां इकट्ठी होने पर विशेष बस रवाना की जा रही है।