टोयोटा ने यह कह कर संयत्र बंद कर दिया था कि कामगार उत्पादन में व्यवधान पैदा कर रहे थे और मैनेजरों को धमकी दे रहे थे.
विवाद कंपनी और कामगारों के बीच तनख्वाह में बढ़ोत्तरी को लेकर है. वेतन बढ़ाने को लेकर बातचीत पिछले 10 महीने से चल रही थी.
दोनों संयंत्रों के कुल 6400 कामगारों में से 4200 काम नहीं कर रहे हैं.
कामगारों का नेतृत्व कर रहे संगठन ने कहा है कि वो तनख़्वाह बढ़ाने के लिए काम का बहिष्कार कर रहे हैं. संगठन की यह भी मांग है कि टोयोटा उन 30 कामगारों को काम पर वापस ले जिन्हें उसने पिछले हफ़्ते निलंबित कर दिया था.
मज़दूर संगठन की मांग है कि उनकी तनख्वाह कम से कम 4000 रुपए प्रतिमाह बढ़ाई जाए. जबकि टोयोटा का कहना है कि भारत में कारों की कम बिक्री के कारण वो केवल 3050 रुपये प्रतिमाह ही बढ़ा सकती है.
'अच्छा चालचलन'
टोयोटा ने कहा है कि जो कामगार अच्छे चालचलन का करार करेंगे वो काम पर लौट सकते हैं.
टोयोटा ने पिछले हफ़्ते घोषणा की थी कि वो बंगलौर के बाहर स्थित अपने दो संयंत्रों में फिर से उत्पादन शुरू करेगी. इन संयत्रों में तक़रीबन 570 कार हर हफ़्ते बनती हैं. यहाँ बनने वाली कारों में कैमरी और कोरोला मॉडल की भी कारें शामिल हैं.
कंपनी ने कहा कि वो सभी कामगारों का स्वागत करती है बशर्तें वो अच्छे चाल-चलन का करार करें.
टोयोटा किर्लोस्कर संयंत्र के ज़्यादातर कामगारों ने यह करार नहीं किया है. मज़दूर संगठन तक़रीबन 65 प्रतिशत कामगारों का प्रतिनिधित्व करता है.
टोयोटा ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा था कि उन्होंने "उन कामगारों की मदद से उत्पादन शुरू कर दिया है जो कामगार संगठन से नहीं जुड़े हैं. कामगार संगठन से नहीं जुड़े कर्मचारियों में ज़्यादातर सुपरवाइज़र और इंजीनियर हैं."
कंपनी ने इस बात से इनकार किया कि वो उत्पादन में कमी की पूर्ति के लिए प्रशिक्षुओं की मदद ले रही है.
टोयोटा की कुल वैश्विक बिक्री में भारत का हिस्सा सिर्फ़ 1.6 प्रतिशत है. बिक्री संख्या के आधार पर टोयोटा दुनिया की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी है.
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