LUCKNOW: आने वाले समय में ब्लड कैंसर का इलाज सटीक और आसान हो जाएगा। सेलुलर थेरेपी में जीन एडिटिंग से टारगेट बेस्ड इलाज होता है और कैंसर खत्म हो जाता है। तीसरी इंडियन सोसाइटी ऑफ हिमैटोलॉजी एंड ब्लड ट्रांसफ्यूजन-यूरोपियन हिमैटोलॉजी सोसाइटी (आईएसएचबीटी-ईएचए) ट्यूटोरियल में डॉ। एके त्रिपाठी ने यह जानकारी दी।


जीन एडिटिंग से बीमारी खत्म: डॉ। एके त्रिपाठी

डॉ। एके त्रिपाठी ने बताया कि नई रिसर्च में जीन एडिटिंग से कार-टी सेल्स को दोबारा डाला जाता है। यह कोशिकाएं ब्लड कैंसर को खत्म करने में कारगर हैं। फिलहाल यह तकनीक बहुत महंगी है। एक बार का खर्च करीब ढाई करोड़ है। देश में इसके सेंटर बहुत कम हैं। लेकिन आने वाले समय में यह तकनीक बहुत कारगर होगी।

पता चलते ही कराएं इलाज

डॉ। एके त्रिपाठी ने बताया कि एक्यूट लिंफोब्लास्टिक ल्यूकीमिया का इलाज 10 वर्ष की उम्र में अधिक कारगर है। इसलिए बीमारी पता चलते ही इसका इलाज कराएं। वहीं क्रोनिक लिंफोब्लास्टिक ल्यूकीमिया 50 से अधिक की उम्र में होता है। इसके ज्यादातर मरीजों को दवा की जरूरत नहीं पड़ती, उन्हें कीमोथेरेपी देनी होती है। लेकिन अब इब्रूट्निया टेबलेट उपलब्ध है, जिससे कीमोथेरेपी की जरूरत नहीं पड़ेगी।

लेटेस्ट टेक्नोलॉजी की जानकारी

डॉ। एके त्रिपाठी ने बताया कि इंडियन सोसाइटी ऑफ हिमैटोलॉजी एंड ब्लड ट्रांसफ्यूजन-यूरोपियन हिमैटोलॉजी सोसाइटी (आईएसएचबीटी-ईएचए) के तीसरे ट्यूटोरियल में यूरोपीय देशों के टॉप 10 डॉक्टरों के साथ 20 भारतीय डॉक्टर भी शामिल हैं। ये सभी ट्रीटमेंट की आधुनिक तकनीक की जानकारी दे रहे हैं।

 

दिखें लक्षण तो कराएं जांच: डॉ। सुभाष

कांफ्रेंस में चंडीगढ़ पीजीआई के हिमैटोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। सुभाष वर्मा ने बताया कि इम्यून सिस्टम को कंट्रोल करने वाली दवाएं आई हैं। जिनसे इलाज आसान होगा। हालांकि अभी यह काफी महंगी हैं। उन्होंने बताया कि एनीमिया की समस्या, न उतरने वाला बुखार, ब्लीडिंग होना, शरीर में गांठें ब्लड कैंसर का लक्षण हो सकती हैं। ऐसे में तुरंत जांच करानी की आवश्यकता है।