वाराणसी (ब्यूरो)। देश में हर साल 30 लाख लोगों की दिल की बीमारियों की वजह से मौत हो जाती है। भारत में जहां हर दसवां दिल का मरीज 40 साल से कम उम्र का है। वहीं बनारस में हर 20 में से 4 युवाओं का दिल बीमार है। आपको जानकार हैरानी होगी कि जो रोग वृद्धा अवस्था में पलता था, वो अब 20 साल के जवा दिल पर राज करने लगा है। आज देश वर्ल्ड हार्ट डे मना रहा है। ऐसे में आपके लिए जानना जरूरी है कि दिल खतरे की उम्र सीमा अब 50 से घटकर 20 से 35 साल क्यों हो गई है।
अब बूढ़ों की नहीं रही यह बीमारी
जब हम बड़े हो रहे थे तो उस वक्त हमारे दादाजी हार्ट अटैक के खतरे की रेंज में माने जाते थे। अब इस रेंज में 20 और 35 साल के यंगस्टर्स भी शामिल हो चुके हैं, तो फौरन अपना बुलबुले वाला ड्रिंक फेंक दीजिए। यही नहीं फ्राइज मोमोस, समोसा और जंक फूड भी छोड़ दीजिए, क्योंकि हार्ट अटैक अब बूढ़ों की बीमारी नहीं रह गई।
सेहत पर भारी लाइफस्टाइल
चिकित्सकों का मानना है कि मॉर्डन लाइफस्टाइल का असर सबसे ज्यादा युवाओं की सेहत पर पड़ रहा है। देर रात तक जगना, खाने में बहुत ज्यादा कॉलेस्ट्रोल, जंक फूड लेना और तनाव मुक्त रहने के लिए ड्रिकिंग और स्मोकिंग करना युवाओं की दिनचर्या में शुमार है, लेकिन ये उनकी सेहत के लिए घातक हो सकता है। लोगों को यह जानकर हैरानी होगी कि 20 से 25 की कम उम्र में भी किसी को दिल का दौरा पड़ सकता है, लेकिन 21वीं सदी के युवाओं का सच यही है कि 40 साल से कम उम्र के 40 प्रतिशत युवा दिल के दौरे का शिकार हो रहे हैं।
45 के बाद ही करते हैं केयर
दिल का ख्यान रखने में अधिकतर लोग 45 साल के बाद ही जागरूक होते हैं। जबकि अब ऐसा नहीं होना चाहिए। यही वजह है कि कम उम्र में ही दिल की बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। हर साल अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों में लगभग 40 प्रतिशत मरीज हार्ट की परेशानी के होते हैं। अगर कम उम्र में ही नियमित जांच व खान-पान का विशेष ध्यान रखा जाए तो इस संभावित खतरे से बचा जा सकता है।
नहीं हो रहे अवेयर
कार्डियोलॉजिस्ट के अनुसार 25 से 35 साल तक के युवाओं में भी अटैक सहित अन्य लक्षण देखने में आ रहे हैं। इसका मुख्य कारण नशे की प्रवृत्ति को बढ़ाना, दिनचर्या ठीक न होना और गलत खान-पान है। अभी भी लोग अपने दिल को लेकर अवेयर नहीं हो रहे है। अब वक्त आ गया है कि 20 से ऊपर उम्र के लोग समय-समय पर अपने बीपी की जांच कराए।
नशा व तनाव है वजह
हार्ट अटैक का सबसे बड़ा कारण नशा व तनाव सामने आया है। नशे की लत के कारण इसका असर लंबे समय के बाद या 30 साल की उम्र के बाद नजर आ रहा है। वहीं ऑफिस में वर्क लोड और टारगेट के प्रेशर के चलते आ रहे मानसिक तनाव की वजह से भी हार्ट अटैक की आशंका बढ़ रही है।
क्या कहते हैं डाक्टर
काम के तनाव और नशे की लत से कम उम्र के युवा दिल की बीमारी का शिकार हो रहे हैं। इस वक्त हार्ट अटैक किलर नं वन है। सबसे ज्यादा मौतें हार्ट अटैक से हो रही है। अब अवेयर होने की जरुरत हैं।
डॉक्टर धर्मेन्द्र, कार्डियोलॉजिस्ट-एसएस हॉस्पिटल बीएचयू
यह सही है कि दिल के बीमारी की अब 20 से 25 की उम्र में हो गई है। कम उम्र में ही खतरा बढ़ रहा है। इससे बचने के लिए नियमित जांच व सही खानपान होना जरूरी है। हार्ट फेल्योर के मामले आ रहे है।
डॉक्टर अमित श्रीवास्तव, कार्डियो थोरैकिक वैस्क्यूलर सर्जन-एपेक्स हॉस्पिटल
ये भी है वजह
-हार्ट में ब्लॉकेज
-तंबाकू व स्मोकिंग का सेवन
-शराब का सेवन
-इंफेक्शन
-थॉयराइड
-ब्लड प्रेशर
-जन्मजात बीमारी
-क्षमता से ज्यादा काम करने का टेंशन
-मोटापा
क्या करें
-काम का ज्यादा टेंशन ना लें
-बीपी चेक कराते रहें
-नशे का सेवन बंद करें
-नियमित व्यायाम करें
एक नजर
40
लाख के करीब है बनारस का
पॉपूलेशन
24
लाख के करीब पॉपूलेशन है यूथ का
20
प्रतिशत यूथ का दिल है बीमार
20 से 35
उम्र हो गई है दिल के बीमारी की
20 से 25
की उम्र में पड़ रहा दिल का दौरा
varanasi@inext.co.in
National News inextlive from India News Desk