- विश्व संग्रहालय दिवस पर राज्य संग्रहालय में किया गया प्रदर्शनी का आयोजन

- 'ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में बुद्ध की जीवन गाथा' का भी किया गया मंचन

LUCKNOW: सोलहवीं शताब्दी से लेकर 18 वीं शताब्दी तक की बूंदी चित्रकला शैली को विश्व संग्रहालय दिवस के मौके पर लखनऊ राज्य संग्रहालय में किया प्रदर्शित किया गया। इस मौके पर गौतम बुद्ध की कलाकृति पर आधारित नाटक 'ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में बुद्ध की जीवन गाथा' का मंचन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार सांस्कृतिक विभाग अरुण कुमारी कोरी ने किया। इस मौके पर उनके साथ संस्कृति विभाग की सलाहकार डॉ। सरिता शर्मा व एसएनए के निदेशक अच्छे लाल सोनी मौजूद रहे।

सत्य के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी

कमायनी संस्था की ओर से आयोजित नाटक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में बुद्ध की जीवन गाथा ने दर्शकों को सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। नाटक का निर्देशन मनीष सैनी ने किया। जिसमें लगभग 25 कलाकारों ने अपने अभिनय से लोगों का दिल जीत लिया। भगवान बुद्ध के जीवन पर आधारित इस नाटक में कलाकारों ने शानदार अभिनय किया। नाटक में गौतम बुद्ध के बचपन से लेकर सिद्धी प्राप्ती तक के सफर से रूबरू कराया। मुख्य रूप से अमन और हेमा ने शानदार अभिनय किया।

फिसली मंत्री की जुबान

इस मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए संस्कृति मंत्री अरुणा कोरी ने कहा कि बिंदयादीन ड्योढ़ी के उद्घाटन पर बिंदा दीन महाराज ने अपनी प्रस्तुति दी थी। उनके ये बोलते ही हॉल में मौजूद सभी लोग एक दूसरे का मुंह देखने लगे। जबकि कालिका बिंदादीन एक घराना है। इसी घराने से बिरजू महाराज है। बिंदादीन को हॉल में ही संग्रहालय में बदला गया है.इस मौके पर उन्होंने कला के बढ़ावे और उसके विकास की बात कही। साथ ही अधिकारियों को हिदायत दी कि यदि काम में लापरवाही हुई तो उनके ऊपर कार्रवाई की जायेगी।

बूंदी का इतिहास

राजस्थानी रजवाड़ों की महत्वपूर्ण रियासत बूंदी रही है। बूंदी के राजवंश वैष्णव सम्प्रदाय को मानने वाले भगवत पुराण व कृष्ण लीलाओं पर आधारित चित्र हैं। चित्रों में वधू विदाई, महिषासुर वध, वंशी वादक कृष्ण, सभ्य पुरुण, राज कुमारी सेविया, संगीत विभोर, रागिनी बिलावल, रागिनी भैरवी, रसिक प्रिया आदि छायाचित्र आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। ये चित्र 1650 से 1800 के मध्य के बीच की हैं। सभी चित्रों की मूल राज्य संग्रहालय मे संरक्षित हैं।