अमन सिंह। आज वर्ल्ड टेलीविजन-डे है। टेलीविजन प्रेमियों के लिए यह दिन बड़ा खास है, क्योंकि यह हमेशा से हमारे जीवन का जरूरी हिस्सा रहा है। अब तो इसके बिना लाइफ को इमैजिन करना भी मुश्किल सा लगता है। कहने को तो टेली यानी दूर और विजन यानी दर्शन शब्दों के अर्थ गहरे हैं, पर हकीकत मे पूरी दुनिया इस टेलीविजन मे सिमट जाती है। एक समय में बुद्धू बक्सा कहलाने वाले यह टेलीविजन अब काफी हद तक लोगों को बुद्धिमान बना रहा है। बात करें इसके नए फीचर्स और डिजाइन की तो यह अब लोगों को एलईडी की ओर भी आकर्षित कर रहा है। टेलीविजन का नाम आते ही आंखों के सामने बोलती तस्वीरें घूमने लगती हैं, जो कभी ब्लैक एंड व्हाइट हुआ करती थीं और वह अब बढ़ती पॉपुलैरिटी के साथ कलर में बदल गई। लोगों ने टेलीविजन के रूप और तकनीक को अपने सामने बदलते देखा है। टेलीविजन आने वाले टाइम में इतना ताकतवर माध्यम होगा, यह बात लोगों को 1996 में समझ आ गई थी।

1996 की बात है, तब संयुक्त राष्ट्र ने पहली वर्ल्ड टेलीविजन फोरम बुलाई थी। उसमें दुनियाभर की टेलीविजन इंडस्ट्री के प्रमुख लोग शामिल हुए थे। उस फोरम में सभी ने वर्ल्ड पॉलिटिक्स और डिसिजन मेकिंग में टेलीविजन के रोल पर चर्चा की। उस इवेंट में माना गया था कि वर्तमान में टेलीविजन का रोल दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली ने 21 नवंबर को वर्ल्ड टेलिविजन-डे घोषित कर दिया था। वैसे क्या आपको पता है कि टीवी हमारे जीवन का अहम हिस्सा कैसे बना। इसकी जानकारी भी जरा गहरी है। शुरुआत हुई 1990 से। जब सिर्फ एक ही चैनल टीवी पर नजर आता था। नाम था दूरदर्शन। वैसे इंडिया में पहला ब्रॉडकास्ट दिल्ली में 15 सितंबर 1959 में हुआ। इसमें हफ्ते में सिर्फ तीन दिन ही कार्यक्रम आते थे। वह भी सिर्फ 30-30 मिनट के। इसके करीब 6 साल बाद 1965 में इसकी बढ़ती पॉपुलैरिटी को देखते हुए डेली ब्रॉडकास्ट शुरू किया गया। फिर डेली न्यूज बुलेटिन आने लगा। शुरू में इसका नाम टेलिविजन इंडिया था।

1975 में इसका नाम बदलकर दूरदर्शन रख दिया गया। आपको जानकर हैरानी होगी कि शुरू में इसे सिर्फ 7 शहरों में दिखाया जाता था। फिर शुरू हुआ टीवी पर कृषि दर्शन कार्यक्रम आना। कृषि प्रधान देश होने के कारण इस कार्यक्रम को देश में जबरदस्त सफलता मिली। यह टीवी पर सबसे लंबे समय तक चलने वाला कार्यक्रम साबित हुआ। जल्द ही छोटे परदे को कामयाबी मिलने लगी। 1980 में इसका प्रसारण देश के सभी शहरों में किया जाने लगा। 15 अगस्त 1982 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के भाषण के समय पहली बार इसकी कलर्ड ब्रॉडकास्टिंग शुरू की गई।

1982 में भारत में एशियाई खेलों की शुरुआत हुई। उसका प्रसारण रंगीन हुआ। इसके साथ ही टीवी ने लोगों को अपना दीवाना बना लिया। फिर एक ऐसा टाइम आया जब टीवी पर सीरियल्स का प्रसारण शुरू हुआ। इन सीरियल्स ने लोगों की जिंदगी पर ऐसी छाप छोड़ी कि उसे देखने वाले आज भी याद करते हैं लेकिन टीवी के विस्तार में सबसे बड़ा योगदान रामायण और महाभारत जैसे धारावाहिकों का रहा। 26 जनवरी 1993 को दूरदर्शन अपना दूसरा चैनल लेकर आया। इसका नाम था मेट्रो चैनल। इसके बाद पहला चैनल डीडी 1 और दूसरा चैनल डीडी 2 के नाम से लोकप्रिय हो गया। इसके बाद डीडी इंटरनेशनल और डीडी स्पोर्ट्स जैसे चैनल सामने आए। फिर डीडी भारती और डीडी न्यूज लॉन्च किए गए।

16 दिसबंर 2004 को डायरेक्ट टू होम सर्विस शुरू हुई, इसने छोटे परदे की दुनिया को बदलकर रख दिया। थोड़े ही समय में प्राइवेट चैनल्स ने छोटे परदे पर अपना झंडा गाड़ दिया। आज की तारीख में देश में 1000 से ज्यादा प्राइवेट चैनल प्रसारित हो रहे हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि टेलीविजन के आविष्कार नें इंफॉर्मेशन सेक्टर में एक क्रांति का आगाज किया। दूसरी क्रांति उस समय आई जब वैश्विक स्तर पर टेलीविजन की इंपॉर्टेंस लोगों को पता चली। वर्तमान में टेलीविजन निश्चित रूप से हमारे समाज पर अपना पॉजिटिव इफेक्ट डालता है। जैसे नई सूचना के बारे में जानकारी, नयी प्रतिभाओं का विकास संस्कृति का भूमंडलीकरण आदि। नई जानकारी मुहैया कराने के प्रति टेलीविजन हम सबके लिए ऐसी तमाम चीजों पर फोकस करता है, जिसके बारे में हम सबको जानना बेहद जरूरी है। एक जिम्मेदार मीडिया के तौर पर ये जागरूकता से संबंधित मुद्दों को उठाती है और सफलता की कहानियों की रिपोर्ट व दुनिया के सामने वर्तमान की चुनौतियों से रूबरू कराती है। वर्तमान में लोग टीवी से प्यार करते हैं। टेलीविजन वर्तमान में मौजूदा दुनिया में संचार का प्रतीक हो चुका है। अब जरूरत है कि समाज से जुड़े इस अभिन्न अंग का सिर्फ और सिर्फ समाज के विकास के लिए इस्तेमाल किया जाए।

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