मिलन कांग्रेस और बीजेपी का

हमेशा एक दूसरे की टांग खिंचाई में लगे रहने वाले बीजेपी और कांग्रेस के नेता जब गले मिलने लगें तो बातें अपने आप ही बाहर आने लगती हैं। वेडनसडे को अर्बन हाट स्थित नामांकन केंद्र पर करीब दो बजे हलचल काफी बढ़ गई। अपने-अपने समर्थकों के साथ मेयर पद के कांग्रेस प्रत्याशी अमजद सलीम और भाजपा प्रत्याशी गुलशन आनंद नामांकन सेट जमा करने पहुंचे। कैंपस में भीड़ काफी थी इसलिए वे बिना एक दूसरे को दुआ सलाम किए आगे हॉल की तरफ बढ़ गए।

गले मिले तपाक से

हॉल के अंदर चंद समर्थकों के साथ गुलशन आनंद और अमजद सलीम दाखिल हुए। जैसे ही एक बार फिर दोनों सामने आए तो गले मिलकर गले शिकवे दूर किए। हाल चाल पूछने का दौर शुरू हुआ तो कुछ देर हाथ पकड़े दोनों हंस पड़े। आसपास मौजूद उनके समर्थक भी अचानक एक दूसरे के विरोधी को एक साथ देखकर पहले तो चौंक गए। बाद में वे भी गुलशन आनंद और अमजद सलीम की गुफ्तगू में शामिल हो गए। पुराने दिनों को याद करके जब वे हंसे तो समर्थक भी अपनी हंसी रोक न सके। उनके ठहाके से हॉल गूंज गया।

बात निकली और दूर तलक गई

बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी ही। यही हुआ यहां भी। यहां वे एक दूसरे के गले लगे और उधर बात चारों तरफ फैल गई। एक दूसरे के फोन घनघनाने लगे। सभी की जुबां पर एक ही सवाल तैर रहा था क्या हुआ हॉल के अंदर? ऐसा क्या हुआ कि दोनों एक दूसरे के गले लगकर बधाई देने लगे? कहीं किसी ने नाम तो वापस नहीं ले लिया? एक दूसरे को समर्थन तो नहीं कर दिया? तमाम बातें फिजाओं में तैरने लगीं। मीडियाकर्मियों के फोन पर तमाम क्वेरी आनी शुरू हो गईं।

कन्नौज इफेक्ट तो नहीं

जिस समय अर्बन हाट में पूरा वाकया चल रहा था ठीक उससे पहले ही कन्नौज में होने वाले उपचुनाव के लिए सियासी उठापठक जारी थी। एक तरफ जहां बीजेपी ने अपने उम्मीदवार जगदेव यादव की घोषणा कर दी थी वहीं कांग्रेस ने कुछ नहीं किया था। सबसे मजेदार बात तब हो गई थी जब डिंपल यादव के अगेंस्ट जगदेव यादव ने चुनाव लडऩे से मना कर दिया और अंतिम समय में नॉमिनेशन ही नहीं किया। उधर यह घटनाक्रम हुआ और इधर कुछ समय बाद ही दोनों दलों के धुरंधर अर्बन हाट में मौजूद थे। इसी कारण चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया।

सपा खेमे के कान खड़े हुए

सबसे सतर्क सपा खेमे के लोग हो गए। एक तो वैसे ही दो दावेदारों के बीच सपा के लोग खुद को उलझन में घिरा महसूस कर रहे हैं, वहीं दोपहर का घटनाक्रम चौंका देने वाला था। डॉ। आईएस तोमर और रजनी शर्मा के बीच जो घमासान मचा हुआ है उसने सपाइयों को परेशानी में डाल रखा है।

 

मशहूर शायर बशीर बद्र ने कुछ ऐसे ही सिचुएशन के लिए चंद अल्फाज बयां किए हैं। वे अर्ज करते हैं

"यूं ही बेसबब ना फिरा करो, कोई शाम घर भी रहा करो

वो गजल की सच्ची किताब है, उसे चुपके चुपके पढ़ा करो

कोई हाथ भी न मिलाएगा, जो गले मिलोगे तपाक से

ये नए मिजाज का शहर है, जरा फासले से मिला करो

अभी राह में कई मोड़ हैं, कोई आएगा कोई जाएगा

तुम्हें जिसने दिल से भुला दिया उसे भुलाने की दुआ करो."

हम लोग पुराने मित्र हैं। सलीम साहब बीजेपी में रह चुके हैं। हम लोगों में पुरानी मित्रता है। यह अलग बात है कि राजनीति ने हम लोगों की दूरियां बढ़ा दी हैं। गले मिलने और हाथ मिलाने के दूसरे अर्थ नहीं निकाले जाने चाहिए।

-गुलशन आनंद, मेयर पद के भाजपा प्रत्याशी

इसमें ऐसा कुछ नहीं है। काफी दिनों बाद मिले इसलिए गले लग गए। बातें तो बातें ही होती हैं। इसका कोई गलत अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए। राजनीति में ऐसा होता रहता है।

-अमजद सलीम, मेयर पद के कांग्रेस प्रत्याशी

Report by: Prashant Kumar Singh