- मुख्यमंत्री ने कसे पेंच, ड्राइवर पर ठीकरा फोड़ने पर जताई नाराजगी

- कंडम और डग्गामार वाहनों को स्क्रैप करने के दिए सख्त आदेश

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LUCKNOW : परिवहन विभाग में युद्धस्तर पर सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने आदेश दिया कि सभी वाहन चालकों का मेडिकल चेकअप, लाइसेंस की जांच, उनकी पूरी स्क्रीनिंग और चालकों के स्टेयरिंग पर बैठने से पहले और गंतव्य तक पहुंचने पर उनका ब्रेथ एनेलाइजर टेस्ट कराया जाए। रात में 400 किमी तक या उससे ज्यादा चलने वाली बसों में दो ड्राइवर रहें। अधिकारियों एवं मंत्रियों के चालकों का भी मेडिकल चेकअप हो।

जेपी इंफ्राटेक को भी फटकार
बैठक में मौजूद जेपी इंफ्राटेक के अधिकारियों से सीएम ने कहा कि आपकी कंपनी को गलत कायरें करने की इजाजत प्रदेश सरकार नहीं दे सकती है। टोल आप वसूलते हैं तो सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम आपकी जिम्मेदारी है। आईआईटी दिल्ली द्वारा बताए गए सुरक्षा के सभी 13 सुझावों का पालन करिए। वहीं यीडा के अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि मानकों का पालन नहीं होने पर कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। हादसों की रोकथाम को कंडम बसें और डग्गामार वाहनों को स्कैप कर दिया जाए। अन्य प्रदेशों से आने और जाने वाली बिना परमिट की बसों को प्रदेश से गुजरने की अनुमति न दें। कानून का उल्लंघन करने वालों से सख्ती से निपटें। स्वास्थ्य विभाग सुनिश्चित करे कि किसी हादसे 10-15 मिनट के भीतर वहां पर घायलों के लिए जरूरी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हों। जितने भी ट्रॉमा सेंटर हैं, वो चलने चाहिए, इनमें ऑर्थोपैडिक सर्जन की व्यवस्था हो। बैठक में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य व डॉ। दिनेश शर्मा, चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन, औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना, परिवहन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार स्वतंत्र देव सिंह, मुख्य सचिव डॉ। अनूप चंद्र पांडेय एवं संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

हर तीन महीने पर चले अभियान
सीएम ने कहा कि सभी डीएम अपने जिलों में सड़क सुरक्षा की हर माह बैठक करें, जिसकी समीक्षा हर महीने मुख्य सचिव करेंगे। हर तीन महीने पर सड़क सुरक्षा को लेकर सूचना विभाग, परिवहन विभाग और यातायात विभाग व्यापक अभियान चलाए। हाइवे पेट्रोलिंग वाहन, डायल 100 और एम्बुलेंस के कर्मचारियों को सही ढंग से प्रशिक्षण दिया जाए। ओवर स्पीड को रोकने की व्यवस्था की जाए। अगस्त के पहले सप्ताह में फिर से इसकी समीक्षा की जाएगी।

स्कूली वाहनों को लेकर भी सख्त
बैठक में सीएम स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी खासे चिंतित दिखे। उन्होंने कहा कि जिन मारूति वैन, टैम्पो को रिजेक्ट कर दिया जाता है, उन्हें स्कूल में चलाया जा रहा है। रिक्शों पर बच्चे लटक कर स्कूल जाते हैं। पिछले साल कुशीनगर में हुई घटना से भी सीख नहीं ली गई। स्कूल का वाहन चलाने वाले सभी चालकों की मेडिकल जांच के साथ ही पुलिस सत्यापन कराएं। स्कूली वाहनों का नियमित फिटनेस टेस्ट सत्र शुरू होने से पहले हो जाना चाहिए। इनके लिए जरूरी हो तो छुट्टी के दिन भी आरटीओ कार्यालय खोलें।

इन निर्देशों पर भी करना होगा अमल

- नीली और काली फिल्म लगाने वाले वाहनों पर हो कार्रवाई हो

- हेल्मेट और सीट बेल्ट को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएं

-एक्सप्रेस वे, एनएचएआई और स्टेट हाईवे विभाग पर जनसुविधाएं बढ़ाएं

- पेट्रोल पंप और ई चालान की व्यवस्था में और सुधार लाया जाए

- सड़कों पर हर 15 किमी की दूरी पर रंबल स्ट्रिप होनी चाहिए