हार मानकर आत्महत्या की प्रवृत्ति में हो रही बढ़ोत्तरी
लोगों में पॉजिटिविटी लाने के लिए विभाग चला रहा जागरूकता अभियान
200 से अधिक मरीज रोजाना पहुंच रहे हैं जिला अस्पताल में
400 से 500 मरीज रोजाना पहुंच रहे मेडिकल कॉलेज
150 से 200 मरीज रोजाना पहुंच रहे प्राइवेट साइक्लोजिस्ट के पास
Meerut। टेम्प्रामेंट की कमी, छोटी-छोटी बात पर कलह, घरेलू झगड़े, मनमाफिक रिजल्ट न आना, पेरेंट्स की डांट या फिर दोस्तों से झगड़ा, नशे की लतऐसे तमाम कारण हैं जिसकी वजह से लोग हार मानकर आत्महत्या की ओर कदम बढ़ाने लगे हैं। मनोरोग विशेषज्ञों के मुताबिक कम समय में सब कुछ पा लेने की तत्परता लोगों को मानसिक रोगों का शिकार बना रहा है। एक्सपर्ट के मुताबिक पॉजिटिव सोच और हंसने मुस्कुराने से ऐसी बीमारी को दूर किया जा सकता है।
बढ़ रहा आंकड़ा
साइक्लोजिस्ट के मुताबिक पिछले कुछ साल में मनोरोगियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। जिला अस्पताल में हर दिन 200 से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में भी ये आंकड़ा रोजाना 400 से 500 मरीजों का है। प्राइवेट साइक्लोजिस्ट के पास भी रोजाना 150 से 200 मरीज मानसिक रोगों के पहुंच रहे है। एक्सपर्ट के मुताबिक ग्रीड, अतिमहत्वाकांक्षा, अधिक सोचना और फिर उम्मीद के मुताबिक रिजल्ट न आना इनके मुख्य कारण है।
ऐसे करें पहचान
असामान्य व्यवहार
बायोलॉजिकल बदलाव होना
कभी हंसना, कभी रोना
अकेले रहना
किसी से बातचीत न करना
इनका है कहना
आज के समय में करीब 60 प्रतिशत लोग डिप्रेशन, स्ट्रेस जैसी समस्याओं के शिकार हैं। इनका इलाज संभव है। लोगों को चाहिए कि वे एक दूसरे के टच में रहें।
डॉ। रवि राणा, वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ
वर्कशॉप में टीचर्स को दिए टिप्स
मानसिक स्वास्थ्य विभाग की ओर से बुधवार को टीचर्स के लिए लाइफ स्किल ट्रेनिंग का आयोजन किया गया। इस दौरान डा। कमलेंद्र किशोर ने बताया कि मानसिक तनाव और बीमारियों को कैसे पहचाने व उनका ट्रीटमेंट कैसे किया जाए । डा। विभा नागर ने बच्चों के व्यवहार को लेकर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बच्चों में मानसिक विकार तेजी से बढ़ रहे है। ऐसे में इनका समय से निदान करना बहुत जरूरी है। डा। विनिता शर्मा मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कई पहलुओं पर बात की। कार्यक्रम का आयोजन एनसीडी सेल के नोडल इंचार्ज डा। एसएस चौधरी के नेतृत्व में हुआ।