- रेन वाटर हार्वेस्टिंग की मिसान बने कुछ शहरवासी

-घरेलु उपायों से भी किया जा सकता है वर्षा जल का संचय

-जागरुकता नहीं आई तो पीने लायक नहीं बचेगा भूजल

Meerut एक ओर जहां ग्राउंड वाटर लेवल लगातार गिरता जा रहा है, वहीं लाखों एमएलडी बारिश का पानी हर साल सड़कों व नालों में बहकर बर्बाद हो जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण सरकार का उदासीन रवैया और लोगों में जन-जागरुकता का अभाव है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने का खर्च भी जनता का भूजल बचाव से दूर रखे हैं। लेकिन एक्सपर्ट की मानें तो घरेलु थ्री लेयर टेक्नीक अपनाकर ग्राउंड वाटर वेस्टेज को बचाया जा सकता है।

थ्री लेयर टेक्नीक

थ्री लेयर टेक्नीक के अंतर्गत जमीन में एग ढाई फुट गहरा गड्ढा बनाया जाता है। इस गड्ढे में सबसे पहले कोयले की एक लेयर डाली जाती है। इसके ऊपर बालू रेत की एक लेयर बिछाई जाती है, जिसके बाद उसमें गिट्टियां डाल दी जाती है। इस तरह तीन लेयर्स में बने इस देशी सिस्टम को थ्री लेयर टेक्नीक के नाम से जाना जाता है। नालियों के माध्यम से घर का सारा पानी इस गड्ढ़े में पहुंचाया जाता है। इस तरह से वर्षा का सारा पानी जमीन के अंदर चला जाता है।

गांवों में भी हो वर्षा जल संचय

दरअसल, गांवों में बारिश का अधिकतर पानी रूफ टॉप पर इकठ्ठा होता है। यह पानी पतलानों के माध्यम से जमीन पर बहकर निकल जाता है। ऐसे में बारिश का सारा पानी बहकर बर्बाद हो जाता है। लेकिन इस थ्री लेयर टेक्नीक वाले गड्ढ़े को इन पतलानों के नीचे बनाकर वर्षा का सारा पानी बचाया जा सकता है।

शहर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग

हालांकि थ्री लेयर टेक्नीक को शहरों में भी यूज किया जा सकता है। इसके अलावा बरसात के पानी को ड्रम या किसी बड़े करटेन में इकठ्ठा कर साफ-सफाई के काम में यूज किया जा सकता है। बरसात आने पर घर के अंदर रखे गमलों को बाहर आंगन में रखे दें, ताकि बारिश के पानी से उनकी सींचाई होती रहे। अधिक से अधिक बारिश का पानी इकठ्ठा करें व वाहनों को बारिश के पानी से ही धोएं।

ये बने मिसाल

एक ओर जहां सरकारी विभाग और बड़े-बड़े कॉलोनाइजर रेन वाटर हार्वेस्टिंग के प्रति उदासीन बने हुए हैं, वहीं कुछ शहरवासियों ने वाटर हार्वेस्टिंग का महत्व समझ अपने घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए हैं।

केस वन - दौराला के पूर्व ब्लॉक प्रमुख राहुल देव ने अपने लालकुर्ती आवास में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया है। उनका कहना है कि एक-एक बूंद से घड़ा भरता है। उसी तरह यदि एक-एक घर पर जल बचाव हो तो पानी के संकट को पाटा जा सकता है।

केस टू- नीर फाउंडेशन चला रहे रमन त्यागी मूल रूप से परीक्षिगढ़ ब्लॉक के पूठी गांव के रहने वाले हैं। रमन ने अपने गांव में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया है। यहां तक कि रमन रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर अभियान छेड़ रखा है।

केस थ्री - कंकरखेड़ा निवासी पंकज जौली ने अपने आवास में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया है। उनका मानना है कि बारिश का पानी भूजल को संतुलित बनाने का एक माध्यम है।

थ्री लेयर तकनीकि अपनाकर बारिश का पानी बचाया जा सकता है। दूसरा इस तकनीकि के इस्तेमाल में कोई खर्च भी नहीं आता। यह तकनीकि प्रत्येक व्यक्ति को अपनानी चाहिए।

-डॉ। विजय पंडित, डायरेक्टर ग्रीन केयर सोसायटी

घरेलू उपायों के माध्यम से बारिश का पानी बचाने में काफी हद तक मदद मिल सकती है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के सबसे पहले जन जागरुक अभियान चलाने की जरूरत है।

-रमन त्यागी, डायरेक्टर नीर फाउंडेशन