कांग्रेस- 33 फीसदी

बीजेपी- 13 फीसदी

बहुजन समाज पार्टी- 6 फीसदी

समाजवादी पार्टी- 12

इनमें से कोई नहीं- 21 फीसदी

पता नहीं- 15 फीसदी

इस सवाल के जवाब में यूपी के यूथ ने जो कहा, वो वाकई चौंकाने वाला है. इससे यूपी में अपना खोया जनाधार पाने की जुगत में लगी कांग्र्रेस की बांछें खिल सकती हैैं क्योंकि एक तिहाई यानी 33 फीसदी यूथ यह मानते हैं कि कांग्रेस का मेनिफेस्टो यूथ ओरिएंटेड है या रहा है. अब इसे राहुल गांधी के यूथ फेस का करिश्मा कहें या फिर 18 साल की उम्र में यूथ को वोटिंग राइट देने की कांग्रेस पार्टी की पहले की गई पहल, यूपी का यूथ इस बार कांग्रेस पार्टी के मेनिफेस्टो और पॉलिसीज से इम्प्रेस्ड नजर आया. हालांकि तादाद बहुत ज्यादा नहीं, सिर्फ एक तिहाई है.

दूसरी सबसे बड़ी पार्टी यानी बीजेपी की हालत इस मामले में खस्ता नजर आ रही है. कांग्र्रेस से लगभग ढाई गुना कम यानी 13 फीसदी यूथ ने ही इस मामले में बीजेपी को वोट दिया. इस मामले में यूपी की दो बड़ी रीजनल पार्टीज की हालत भी पतली है. समाजवादी पार्टी के मेनिफेस्टो के बारे में भी यूथ का पर्सेप्शन बीजेपी के आसपास ही है और सर्वे में 12 फीसदी यूथ ने मेनिफेस्टो के मामले में एसपी की ओर अपना रुझान दिखाया.

यूथ मेनिफेस्टों के मुद्दे पर पिछले असेम्बली इलेक्शन में कम्प्लीट मेजोरिटी लाने वाली बहुजन समाज पार्टी सबसे बदतर स्थिति में दिख रही है. हालांकि पार्टी ने कभी अपना मेनिफेस्टो जारी नहीं किया है लेकिन इस सवाल के जवाब में यूथ ने उसकी अब तक की नीतियों और एजेंडों के ध्यान में रखा था. यूथ इश्यूज को तरजीह देने के मामले में बीएसपी को कांग्र्रेस से 5 गुना कम और बीजेपी तथा एसपी से दोगुने कम यूथ वोटर्स ने चुना. ऐसा लगता है कि फिलहाल यूथ वोटर्स को बीएसपी की नीतियों में अपने लिए ज्यादा कुछ नहीं दिख रहा है.

यह देखना भी दिलचस्प रहा कि एक चौथाई से थोड़े कम यानी 21 फीसदी वोटर्स ने इन सभी पार्टियों को नकार दिया और कहा कि इनमें से किसी के मेनिफेस्टो में यूथ इश्यूज को जगह नहीं मिली है. साथ ही 15 फीसदी यूथ वोटर्स की एक ठीक-ठाक तादाद यह कह रही है कि उन्हें इस मामले में ज्यादा जानकारी नहीं है. या तो उन्होंने कभी इतने डिटेल में पार्टीज के मेनिफेस्टो को नहीं देखा या इस बारे में जानकारी नहीं ली.

इस रिजल्ट के बहुत मायने हैैं. आज तक किसी भी पॉलिटिकल पार्टी ने अपने एजेंडे और मेनिफेस्टो में यूथ इश्यूज को प्रॉमिनेंस नहीं दिया. मोटे तौर पर कहें कि यदि यूथ सिर्फ यह सोचकर वोट करने जाए कि किस पार्टी के मेनिफेस्टो या रोडमैप में उसके बेहतर फ्यूचर की ओर ध्यान दिया गया है, तो किसी भी पार्टी की नीति उनके ऐस्पिरेशंस को मैच करती नहीं दिख्रती. हां, कांग्र्रेस की हालत दूसरी पार्टीज की अपेक्षा थोड़ी अच्छी जरूर दिखती है लेकिन ऐसी हालात में अगर यूथ को कोई अच्छा इंडिपेंडेंट विकल्प दिखेगा, तो वो उसे चुनने से परहेज नहीं करेगा.

2. फीमेल को कौन सी पार्टी का मेनिफेस्टो यूथ ओरिएन्टेड लगता है और मेल को किस पार्टी का?

मेल

कांग्रेस- 28 फीसदी

बीजेपी-15

बीएसपी-7

एसपी-12

इनमें से कोई नहीं- 25

पता नहीं- 13

फीमेल

कांग्रेस-44 फीसदी

बीजेपी-8

बीएसपी-3

एसपी-12

इनमें से कोई नहीं-11

पता नहीं-22

सर्वे नतीजे में यह देखना भी कम इंट्रेस्टिंग नहीं है कि जब जेंडर वाइज यूथ पॉलिटिकल पार्टीज को जज करता है, तो मेल और फीमेल यूथ वोटर्स की च्वॉइस और ओपिनियन में कितना अंतर आ जाता है. सबसे बड़ा ट्रेंड यह देखने को मिला कि फीमेल वोटर्स का रुझान कांग्र्रेस पार्टी की तरफ अधिक है. काफी ज्यादा यानी 44 फीसदी फीमेल वोटर्स मानती हैैं कि कांग्र्रेस का मेनिफेस्टो यूथ ओरिएंटेड है. वहीं मेल वोटर्स में सिर्फ 28 फीसदी ने कांग्र्रेस के फेवर में राय जताई.

यह देखना भी काफी दिलचस्प है कि बीजेपी की तरफ फीमेल यूथ वोटर्स का रुझान बहुत कम है. जहां कांग्र्रेस के मेनिफेस्टो को 44 फीसदी फीमेल वोटर्स ने यूथ ओरिएंटेड बताया वहीं बीजेपी के मेनिफेस्टो को महज 8 फीसदी ने. समाजवादी पार्टी फीमेल यूथ वोटर्स की च्वॉइस में दूसरे नंबर पर रही और 12 फीसदी फीमेल वोटर्स ने इसके मेनिफेस्टो में यूथ की बात देखी.

सबसे बुरी स्थिति बहुजन समाज पार्टी की रही और नाममात्र की फीमेल वोटर्स यानी सिर्फ 3 फीसदी ने ही इसकी नीतियों को यूथ ओरिएंटेड बताया. हालांकि फीमेल से दोगुने मेल वोटर्स यानी 7 फीसदी बीएसपी के फेवर में हैैं लेकिन ओवरऑल की बात करें तो महज 3 या 7 फीसदी फीमेल-मेल वोटर्स का बीएसपी की नीतियों का यूथ ओरिएंटेड मानना पार्टी की लिए चिंता का सबब बन सकता है. क्लियर है कि फिलहाल यूथ वोटर्स के बीच इस मामले में पार्टी की अच्छी इमेज नहीं है.

मेल यूथ वोटर्स की बात करें तो इसकी भी करीब एक तिहाई आबादी यानी 28 फीसदी यह मानती है कि कांग्र्रेस के मेनिफेस्टो में उनके इश्यूज के लिए जगह मिलती रही है. बीजेपी उनकी च्वॉइस में दूसरे नंबर पर तो है लेकिन कांग्र्रेस के मुकाबले लगभग आधे अंतर से. सिर्फ 15 फीसदी मेल यूथ बीजेपी के फेवर में दिखे. हालांकि समाजवादी पार्टी यहां 12 फीसदी के आंकड़े के साथ बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रही है.

सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक एक अहम नतीजा यह भी निकल रहा है कि मेल वोटर्स की एक चौथाई आबादी यानी 25 फीसदी यह मानती है कि किसी भी पॉलिटिकल पार्टी के मेनिफेस्टो में यूथ इश्यूज को तरजीह नहीं दी गई है या दी जाती रही है. जबकि फीमेल यूथ वोटर्स का नजरिया इससे थोड़ा अलग है. मेल वोटर्स के आधे से कम यानी सिर्फ 11 फीसदी फीमेल वोटर्स ही यह मानती हैैं कि किसी भी पार्टी का मेनिफेस्टो यूथ ओरिएंटेड नहीं है.

अब बात अगर अवेयरनेस की करें, तो फीमेल यूथ वोटर्स यहां मेल वोटर्स से पिछड़ जाती हैैं. एक चौथाई से थोड़े ही कम यानी 22 फीसदी फीमेल वोटर्स यह नहीं बता पाईं कि किसी पार्टी का मेनिफेस्टो यूथ ओरिएंटेड है. हालांकि मेल यूथ वोटर्स इनसे ज्यादा अवेयर हैैं और सिर्फ 13 फीसदी मेल वोटर्स को इसके बारे में कुछ पता नहीं था.

3. किस सिटी के यूथ कौन सी पार्टी के मेनिफेस्टो को ज्यादा यूथ ओरिएंटेड मानते हैं?

इलाहाबाद----

कांग्रेस-38

बीजेपी- 3

बीएसपी-4

एसपी-27

इनमें से कोई नहीं- 15

पता नहीं-13

आगरा---

कांग्रेस-29

बीजेपी- 14

बीएसपी-3

एसपी-18

इनमें से कोई नहीं- 21

पता नहीं-15

कानपुर---

कांग्र्रेस-22

बीजेपी- 20

बीएसपी-15

एसपी-7

इनमें से कोई नहीं- 20

पता नहीं-16

लखनऊ

कांग्रेस-23

बीजेपी- 9

बीएसपी-2

एसपी-17

इनमें से कोई नहीं- 21

पता नहीं-28

वाराणसी---

कांग्रेस-50

बीजेपी- 12

बीएसपी-8

एसपी-27

इनमें से कोई नहीं- 0

पता नहीं-3

बरेली---

कांग्रेस-35

बीजेपी- 14

बीएसपी-2

एसपी-7

इनमें से कोई नहीं- 28

पता नहीं-14

मेरठ---

कांग्र्रेस-40

बीजेपी- 16

बीएसपी-12

एसपी-5

इनमें से कोई नहीं- 15

पता नहीं-12

गोरखपुर----

कांग्रेस-34

बीजेपी- 15

बीएसपी-4

एसपी-5

इनमें से कोई नहीं- 25

पता नहीं-17

सर्वे नतीजों में जो बात सबसे ज्यादा चौंका रही है, वह है यूथ वोटर्स का कांग्र्रेस मेनिफेस्टो में दिखाया गया इंट्रेस्ट. चूंकि राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्र्रेस खुद को यूपी में रिवाइव करने में जुटी है, ऐसे में यूथ का कांग्र्रेस के मेनिफेस्टो में दिखाया गया इंट्रेस्ट पार्टी के लिए राहतभरी खबर हो सकती है. हो सकता है स्टेट वाइज इलेक्शन के रिजल्ट्स में ये नतीजे कोई खास गुल न खिला पाएं लेकिन कांग्र्रेस की नीतियों में यूथ दूसरी पार्टीज की तुलना में ज्यादा इंट्रेस्ट दिखा रहा है. हमारे सर्वे में चुनी गई आठों सिटीज के आंकड़े तो यही बता रहे हैं.

इनमें कानुपर और राजधानी लखनऊ दो ऐसे शहर रहे, जहां सबसे कम यूथ यानी 21-22 फीसदी ने कांग्र्रेस के फेवर में अपना ओपिनियन दिया. बाकी सिटीज में एक चौथाई से कहीं ज्यादा यूथ ने कांग्र्रेस के मेनिफेस्टो को यूथ ओरिएंटेड माना.

अब बात बीजेपी की. सिटी वाइज देखें तो बीजेपी के बारे में अलग-अलग शहरों के यूथ के परसेप्शन में काफी फ्लक्चुएशन है. यूथ के बीच पार्टी की सबसे खराब स्थिति इलाहाबाद में दिखती है, जहां के महज 3 फीसदी यूथ वोटर्स पार्टी से कनेक्ट कर पा रहे हैं. हालांकि राजधानी लखनऊ में भी पार्टी 9 फीसदी च्वॉइस के साथ दहाई का आंकड़ा पार नहीं कर पाई.

दिलचस्प तरीके से यूथ वोटर्स के बीच पार्टी की सबसे मजबूत स्थिति कानपुर में है जहां के 20 फीसदी वोटर्स इसके मेनिफेस्टो को यूथ ओरिएंटेड मानते हैैं. अन्य शहरों में औसतन 15 फीसदी यूथ ने पार्टी के मेनिफेस्टो में यूथ मुद्दों की झलक देखी.

रूलिंग पार्टी बीएसपी की हालत बदतर है. लगभग सभी सिटीज में यूथ ने यह मानने से इनकार कर दिया कि पार्टी की नीतियों में उसके लिए कोई जगह है. पार्टी की सबसे बुरी स्थिति लखनऊ, बरेली और आगरा में रही जहां सिर्फ नामभर के लिए 2-3 फीसदी यूथ ही इसके फेवर में दिखे. हालांकि इंडस्ट्रियल सिटी कानपुर और दिल्ली से सटे मेरठ में यूथ वोटर्स बीएसपी की नीतियों से इंप्रेस्ड दिखे और यहां पार्टी ने दहाई का आंकड़ा पार कर लिया. कानपुर के सबसे ज्यादा 15 फीसदी यूथ बीएसपी के फेवर में है.

आइए अब जानते हैं समाजवादी पार्टी का हाल. इस इलेक्शन में मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव के यूथ फेस को पार्टी जमकर भुना रही है. लेकिन यूथ के बीच कहीं तो पार्टी का पर्सेप्शन बहुत अच्छा है कहीं बहुत खराब. इलाहाबाद और वाराणसी में यूथ के बीच पार्टी की स्थिति सबसे मजबूत दिखी और यहां के एक चौथाई से ज्यादा यानी 27 फीसदी यूथ ने इसे चुना. हालांकि कांग्र्रेस के मुकाबले 11 फीसदी कम यूथ पार्टी के मेनिफेस्टो को पसंद कर रहा है. राजधानी लखनऊ और आगरा में पार्टी दूसरे नंबर पर रही और यहां 17-18 फीसदी यूथ ने माना कि पार्टी का मेनिफेस्टो यूथ ओरिएंटेड है. एसपी की सबसे बुरी स्थिति मेरठ और गोरखपुर में रही जहां सिर्फ 5 फीसदी यूथ वोटर्स ने उनकी नीतियों से इत्तेफाक रखा.

सर्वे में एक इंम्पॉर्टेंट चीज यह भी दिखी कि औसतन 18 फीसदी यूथ ने कहा कि इनमें से किसी भी पार्टी का मेनिफेस्टो उनके लायक नहीं है. इस मामले में बरेली और गोरखपुर के सबसे ज्यादा यूथ 25-28 फीसदी ने कहा कि किसी भी पॉलिटिकल पार्टी के मेनिफेस्टो में यूथ इश्यूज को जगह नहीं मिली है. राजधानी लखनऊ में एक ट्रेंड यह दिखा कि यहां 28 फीसदी यूथ को यह पता ही नहीं था कि कौन सी पार्टी का मेनिफेस्टो उनके ऐस्पिरेशंस पर खरा उतरता है.

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