-नशे के गिरफ्त में शहर के युवा, अपने ही शरीर पर इंजेक्शन लगाकर ले रहे हैं नशा

-एक सप्ताह पहले पाटलिपुत्र पुलिस ने गिरोह का किया था भंडाफोड़

PATNA : राजधानी में नशे के इंजेक्शन का कारोबार काफी तेजी से फल-फूल रहा है। पटना के युवा अब इंजेक्शन से नशा करने लगे हैं। चार दिन पहले पाटलिपुत्र पुलिस ने एक गिरोह का भंडाफोड़ किया था। गिरोह 50 रुपए लेकर युवाओं को नशे का इंजेक्शन लगाता था। हैरानी की बात ये है कि पैसे बचाने के लिए युवा एक ही इंजेक्शन को दोस्तों में बांट कर उपयोग करते हैं। दुकान से इंजेक्शन लिया और एक ही सीरिज से एक-दूसरे को इजेक्शन लगाने लगे। नशेडि़यों के बीच बना यही भाईचारा उन्हे विभिन्न रोगों के दलदल में धकेल रहा है। नशे की पूर्ति के लिए नशेड़ी आधा-आधा इंजेक्शन भी लगा लेते हैं। अनेक नशेड़ी तो एक-दूसरे द्वारा प्रयोग की गई सीरिज का ही प्रयोग कर रहे है जो कि नशा करने से भी अधिक घातक है। क्योंकि इससे एचआईवी व हैपेटाइटिस सी जैसे घातक रोग के विषाणु उनके शरीर में प्रवेश कर रहे है।

नए-नए तरीके से कर रहें नशा

पटना के नशा मुक्ति केंद्र में आने वाले बच्चों ने बताया कि गांजा, भांग देशी व विदेशी शराब तो नशा के रूप में उपयोग किया जाना आज आम बात सी हो गई है। बच्चों द्वारा द्वारा इजाद किया गया नशा बोनफिक्स तथा सुलेसन को सूंघ कर नशा किया जाना वास्तव में चौकाने वाला है। यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि आज के दिनों में 10 से 22 वर्ष तक के बच्चों द्वारा इजाद किया गया यह नया नशा धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है।

युवा खुद ही बना रहा हैं नशे का सामान

बोनफिक्स, सुलेसन जो किसी टूटे हुए वस्तु के साटने के उपयोग में लाया जाता है, लेकिन बच्चे इसका उपयोग नशा के रूप में इस तरह से इस्तेमाल करते हैं। पेस्ट को सूती कपड़े या फिर प्लास्टिक में निकल कर हल्का धूप लगाकर सांसों द्वारा ऊपर खींचते हैं। एक से दो बार यह क्त्रम करने के बाद वे बधो खुद व खुद नशे कि हाल में आ जाते हैं। इसके बाद उन्हें यह कहां पता होता है कि सामने कोई और है भी या नहीं।

इंजेक्शन से मौत का खतरा

जीवन रक्षक दवाओं का नशे में हो रहा इस्तेमाल घातक परिणाम ला रहा है। अगर नशा इंजेक्शन से लिया जा रहा है तो मौत निश्चित है। युवाओं ने चोरी छिपे जीवन रक्षक दवाओं को नशा का जरिया बनाया है। इंजेक्शन से नशा करने वालों में युवा सर्वाधिक हैं। इंजेक्शन का नशा दो से पांच घंटे तक ही रहता है। नशा करने वाले दर्द निवारक इंजेक्शनों का इस्तेमाल करते हैं। हर इंजेक्शन में एंटी एलर्जी दवा की डोज मिलाते हैं।

इंजेक्शन लगने के बाद शरीर में नहीं रहता रिएक्शन

डॉ। मनोहर प्रभाकर ने बताया कि इंजेक्शन लगाने के बाद शरीर में किसी तरह का रिएक्शन नहीं होता है। कई दवाएं बिना डॉक्टर की सलाह के मेडिकल स्टोर से नहीं मिलती हैं। नशे के लिए यही दवाएं यूज होती हैं। इंजेक्शन की डोज एक ही सिरिंज से दो से तीन लोग लगाते हैं। एक सिरिंज की कीमत 10 रुपये है। कई बार पैसे बचाने के लिए नशेड़ी फेंके सिरिंज को ही नशा करने के इस्तेमाल करते हैं।

बिना पर्ची के ही डॉक्टर दे देते हैं इंजेक्शन

हैरानी की बात ये कि पटना में डॉक्टर बिना पर्ची के ही इंजेक्शन दे देते हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब पड़ताल किया तो पता चला कि पाटलिपुत्र, कंकड़बाग, पत्राकार नगर, रामकृष्णा नगर, दीघा, राजीव नगर में बिना पर्ची के ही मेडिकल स्टोर संचालक इंजेक्शन दे दिए। इस कारण नशेडि़यों को बढ़ावा मिलता है और वो लोग नशे का कारोबार करते हैं।

नामी स्कूलों के बच्चे भी नशे के गिरफ्त में

नशा मुक्ति केन्द्रों पर पहुंचने वाले 18 साल से कम उम्र के बच्चों में लगातार इजाफा हो रहा है.18 साल से कम उम्र के पहुंचने वाले बच्चों में झुग्गियों में रहने वाले बच्चों के अलावा नामी स्कूलों में पढ़ने वाले कई बच्चे भी शामिल हैं। 18 से 35 साल वालों की संख्या सबसे ज्यादा है। इनमें कई बच्चे तो एक साथ कई नशा करते हैं। बच्चे सबसे ज्यादा इंजेक्शन, व्हाइटनर और सिगरेट के जरिए गांजे का इस्तेमाल नशा के रूप में कर रहे हैं।

ऐसे चलता है नशली इंजेक्शन का काला कारोबार

पाटलिपुत्र में नशे का इंजेक्शन बरामद होने के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब पड़ताल किया तो पता ये चला कि राजधानी में दानापुर, कंकड़बाग, दीघा, राजीव नगर, शास्त्री नगर में अवैध रूप से नशीली इंजेक्शन का कारोबार चल रहा है। ये लोग दिल्ली से इंजेक्शन मंगाते हैं और उन युवाओं का टारगेट करते हैं जो नशे के गिरफ्त में है। 10 रुपए का इंजेक्शन वो लोग 50 से 100 रुपए तक बेचते हैं। नशे के आगे बेबस युवा चारी कर इंजेक्शन खरीदते हैं।

नशे की लत में अपराध की दुनिया में कदम

केस -1 : मसौढ़ी के युवक को बीते साल अक्टूबर महीने में फतुहा पुलिस ने नशा तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था। पूछताछ में युवक ने बताया कि पहले शौक में नशा किया, बाद में पैसे की जरूरत पूरी करने को खुद भी नशे की सप्लाई करने लगा।

केस-2 : कोतवाली पुलिस ने फरवरी महीने पहले तीन शातिर वाहन चोरों को पकड़ा। पूछताछ में पता चला कि वो लोग अफीम का नशा करते हैं। नशे के धंधे में मोटी कमाई के लालच में तस्करी करने लगे। इस दौरान उन्हें भी नशे की लत लग गई, जिसके खर्च को पूरा करने के लिए वाहन चोरी करने लगे।

केस-3 : तीन महीने पूर्व शास्त्री नगर पुलिस ने दो नशा तस्करों को पकड़ा। दोनों ही छात्र थे। पूछताछ में दोनों ने बताया कि दोस्तों के साथ शौक में किए गए नशे की कब लत लग गई पता ही नहीं चला। जब नशा हावी हो गया और जेब खर्च की रकम कम पडऩे लगी तो तस्करों के कहने पर खुद भी धंधे में उतर गए।