बद्री आवास योजना कॉलोनी में युवक की गोली मार कर हत्या

बाइक टक्कर से पलटी तो बंदूक लेकर आया आरोपी, हत्या के बाद पैदल ही भाग निकला

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PRAYAGRAJ: ई रिक्शा बैक करते समय टक्कर लगी और बाइक पलट गयी. घटना में बाइक सवार को कोई चोट नहीं आयी लेकिन ईगो इस कदर हर्ट हो गया कि घर में गया तो बंदूक लेकर लौटा और ई रिक्शा चालक को गोली मार दी. गोली मारने के बाद उसे हिला-डुला कर देखा और फिर बंदूक लेकर आराम से पैदल निकल गया. घटना के समय आसपास तमाम लोग मौजूद थे लेकिन किसी ने रोकने की जहमत नहीं उठायी. महिलाओं की चीख पुकार और भाग दौड़ से आसपास के लोग जुटे तब तक 15 मिनट बीत चुके थे. जब तक घायल को अस्पताल पहुंचाया जाता वह दम तोड़ चुका था.

ई रिक्शा की कर रहा था सफाई

शिवकुटी थाना क्षेत्र में बद्री आवास योजना पीडीए की है. ईडब्लूएस अपार्टमेंट के ग्राउंड फ्लोर पर परिवार के साथ मृतक मो. कासिम पुत्र सुन्नू रहता था. ज्वाइंट फैमिली कटरा में रहती है. परिवार बढ़ने पर उसके भाई भी किराये पर कमरा लेकर रहने लगे हैं. कासिम के परिवार में पत्‍‌नी परवीन एक बेटी जायना व दो बेटे हसन व हुसैन हैं. कासिम पांच भाई और दो बहनों में दूसरे नम्बर का था. सोमवार की सुबह साढ़े नौ बजे के करीब वह ई रिक्शा घर के सामने पार्क कर रहा था. अपार्टमेंट के इसी हिस्से में ऊपर के फ्लोर पर गोली मारने वाला आरोपी निजाम भी पत्‍‌नी के साथ रहता है. वह बाइक से कहीं से लौट रहा था. ई रिक्शा पार्क करते समय निजाम की बाइक को धक्का लग गया और वह जमीन पर गिर गया. इसी पर दोनो में कहासुनी हो गयी. इसके बाद निजाम अपने कमरे में चला गया.

लोडेड बंदूक लेकर लौटा

चंद सेकंड के भीतर निजाम लोडेड दो नाली बंदूक लेकर नीचे आया और कासिम को निशाने पर लेकर फायर कर दिया. गोली पेट के ऊपर के हिस्से में लगी. गोली की आवाज से आसपास के लोग सन्नाटे में आ गये. कासिम लहूलुहान होकर जमीन पर गिर पड़ा. इसके बाद निजाम ने उसे हिला-डुलाकर देखा तब तक वह होश में था. इसके बाद निजाम बंदूक लेकर पैदल भी निकल गया. गोली चलने की आवाज सुनते ही परिवार के लोग घर से बाहर निकले तो कासिम खून से लथपथ देख फफक पड़े. पत्‍‌नी मदद की गुहार लगाने लगी. कई घरों तक दस्तक देने के बाद कुछ लोग जुटे और फिर निजी वाहन का जुगाड़ कर उसे अस्पताल लग गये, जहां डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया.

साले ने दो के खिलाफ दी तहरीर

कासिम के मारे जाने की सूचना जैसे ही उसके ससुराल पक्ष को हुई तो वे भी मौके पर पहुंच गए. तेलियरगंज के शिलाखाना निवासी कासिम के साले अशफाक ने थाने में तहरीर दी. उसका कहना है कि बहनोई कासिम ई रिक्शा पर कूलर लादकर बेटे हसन के साथ बनवाने जा रहे थे. मनीष साहू जनरल मर्चेट की दुकान के सामने निजाम अहमद से उनका विरोध हुआ और उसने डबल बैरल बंदूक से फायर करके कासिम को मौत के घाट उतार दिया.

बेहद मामूली विवाद में हत्या का मामला सामने आया है. आरोपित का डिटेल पुलिस को मिल चुका है. उसे गिरफ्तार करने के लिए कोशिशें जारी हैं. पुलिस टीम लगा दी गयी है. कोशिश है कि जल्द से जल्द उसे जेल पहुंचा दिया जाय.

अतुल शर्मा, एसएसपी

पड़ोसी पहला रिश्तेदार, इगो डाल रहा रिश्ते में दरार

सीएमपी डिग्री कॉलेज में सोशियोलॉजी डिपार्टमेंट से रिटायर हुई समाज शास्त्री डॉक्टर हेमलता श्रीवास्तव का कहना है कि शहरी सभ्यता में पड़ोसी ही हमारा पहला रिश्तेदार होता है. वही सबसे पहले काम आता है. भौतिक संस्कारों के प्रभाव में पड़ोसी को भी रिश्तेदार नहीं माना जा रहा है. ईगो ज्यादा है. रिश्तों की सामाजिकता समाप्त हो रही है. यह सोशल मीडिया और टेलीविजन के जरिए परोसी जा रही चीजों का निगेटिव इंपैक्ट है. आज की घटना से जुड़े तथ्यों से लगता है कि बाइक से टक्कर को प्रतिष्ठा से जोड़ लिया और गोली मारने को बेहद सरल काम. यह हिंसा की बढ़ती प्रवृत्ति का प्रभाव है. अब तो बच्चों तक में मारपीट कॉमन हो गयी है. इसे क्राइम माना ही नहीं जा रहा है. यह विकट स्थिति का संकेत है. यह स्थितियां सामाजिक संरचना को प्रभावित कर रही हैं.

स्टेटस सिंबल हो गया है किसी को मारना

मनोवैज्ञानिक/मनोचिकित्सक डॉ. कमलेश तिवारी का कहना है कि आज के दौर में स्टेटस सिंबल बड़ा मामला हो गया है. सोशल रिलेशन आलमोस्ट खत्म हो रहे हैं और स्टेटस सिंबल हाबी हो रहा है. आज देश में 54 फीसदी लोग मानसिक और पारिवारिक रूप से बीमारी हैं. प्राब्लम यह है कि लोग इसे मानने को भी तैयार नहीं हैं. हमारे ऊपर निगेटिविटी इस कदर हावी हो चुकी है कि हम बहुत जल्दी अग्रेसिव होकर विहैब करने लगते हैं. आज की घटना में भी यही तथ्य मैटर करते हैं. बाइक को टक्कर लग जाने से ईगो हर्ट हुआ और स्टेटस सिंबल के चलते गोली चलाने में परहेज नहीं किया. एक्चुअली लोग न तो पारिवारिक रूप से खुद को समायोजित कर पा रहे हैं और न ही भावनात्मक रूप से. इसी से विकृतियां बढ़ रही हैं जो समाज के लिए घातक है.

बंदूक लाइसेंसी तो जमा क्यों नहीं हुई?

वर्तमान समय में लोकसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है. पुलिस इन दिनों लाइसेंसी असलहों को जमा कराने पर फोकस करा रही है. इस घटना ने पुलिस के असलहा जमा कराने के अभियान पर भी सवाल खड़ा कर दिया है. लाइसेंसी बंदूक थी तो उसे जमा क्यों नहीं कराया गया?