जांच रिपोर्ट में मृतक को ही ठहराया दोषी, पुलिस वालों को दी क्लीन चिट

शिव सरोज आत्महत्या कांड में झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने किया जांच

RANCHI (4 Aug) : शिव सरोज कुमार आत्महत्या कांड में झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने ख्ब् घंटे के भीतर ही पूरे प्रकरण की जांच कर ली है। एसोसिएशन ने अपनी रिपोर्ट गृह सचिव, डीजीपी और आईजी को भेज दी है, जिसमें मृतक शिव सरोज को ही दोषी करार देते हुए आरोपी पुलिसकर्मियों को क्लीन चिट दे दी गई है।

पिता को बरगलाने के लिए की अपहरण की बात

एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष योगेंद्र सिंह और महामंत्री अक्षय कुमार राम की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि शिव सरोज ने चुटिया थाने में खुद के अपहरण होने के संबंध में एक मामला दर्ज कराया था, साथ ही खुद को आईबी का अधिकारी भी कहा था। एसोसिएशन का कहना है कि जांच में दोनों ही बातें गलत साबित हुईं। इतना ही नहीं शिव सरोज के द्वारा पासपोर्ट वेरीफिकेशन के काम से रांची आने की बात भी झूठी साबित हुई है। एसोसिएशन ने शिव के पिता के हवाले से कहा है कि उनसे ढाई लाख रुपए लेकर वह उक्त सभी कामों को कराकर पिता को दिल्ली साथ ले चलने की बात कही थी। जब पूरी बात सामने आयी, तो पिता ने भी अपने बेटे की करतूत पर अफसोस जताया था। एसोसिएशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि अपने अपहरण की बात भी पिता को बरगलाने के लिए मनगढ़ंत कहानी बनायी गयी थी। इतना ही नहीं, शिव ने दिल्ली में अपनी गर्लफ्रेंड को भी बताया था कि वह आईबी का अफसर है। यहां तक कि उसने रेडिएंट होटल में भी खुद को सर्विस में होना लिखा था, जबकि वह इस संबंध में कोई कागजात न तो पुलिस को और न ही अपने पिता को दिखा पाया।

झूठ से लज्जित होकर की आत्महत्या

एसोसिएशन का कहना है कि शिव के द्वारा कही गयी सभी बातें झूठी साबित होने और पिता के सामने लज्जित होने के कारण उसने भावावेश में आकर आत्महत्या कर ली और चूंकि पूरा मामला पुलिस के द्वारा ही उजागर किया जा रहा था, इसलिए पुलिस पर प्रताड़ना का आरोप लगाकर उसने सुसाइड नोट लिखा और सोशल मीडिया के साथ ही वरीय पदाधिकारियों को मेल कर दिया।

बिना जांच के न हो पुलिस वालों पर कोइर् कार्रवाई

एसोसिएशन का दावा है कि रांची पुलिस द्वारा शिव सरोज को प्रताडि़त नहीं किया गया था। पुलिस ने उसके झूठ का पर्दाफाश किया, तो उसने नफरत की भावना से मेल लिखा और सुसाइड नोट के रूप में भेज दिया। एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि बिना जांच-पड़ताल किये सोशल मीडिया की बयानबाजी के आधार पर पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जाए।