यह भी जानें

-50 करोड़ से अधिक का था छह माह पहले बिजनेस

-20 करोड़ से भी कम हो रहा है इस समय बिजनेस

- 6 माह से लगातार घट रहा जरी का कारोबार

- 25 परसेंट से ज्यादा कारखाने हो गए हैं बंद

- मंदी के दौर से गुजर रहा जरी का कारोबार, आर्थिक तंगी से जूझ रहे कई परिवार

- पहले एडवांस में पड़े रहते थे ऑर्डर, अब करना पड़ रहा इंतजार

बरेली : अमेरिका और चाइना के बीच छिड़े ट्रेड वॉर से आई मंदी का असर जरी काम के लिए फेमस बरेली पर भी पड़ रहा है। कई जरी के कारखाने बंद हो गए हैं। इस वजह से कारीगर भी बेरोजगार हो गए हैं। जरी एसोसिएशन के पदाधिकारियों की मानें तो बरेली में 60 परसेंट बिजनेस डाउन हो गया है। जिससे कई परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं।

इस तरह आया बदलाव

बरेली में जरी का काम कराने वाले एसोसिएशन के पदाधिकारी बताते हैं कि पहले एक माह में 20 ट्रक माल एक्सपोर्ट होता था। सभी ट्रकों में अनुमानित करीब पचास करोड़ का माल एक माह के अंदर एक्सपोर्ट किया जाता था, लेकिन अब करीब छह माह से ऐसी मंदी छाई है कि अब सिर्फ 20 करोड़ से भी कम का कारोबार बचा है, जिस कारण जरी कारोबारी और कारीगर दोनों ही आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे हैं।

अब सिर्फ ऑर्डर का काम

जरी शॉप पर बैठे आसिफ ने बताया कि वह लम्बे समय से जरी के काम में लगे हुए थे। लेकिन बीते छह माह में ऐसी मंदी आई कि कारोबार ही चौपट हो गया है। बाहर से जरी का माल इंपोर्ट ही नहीं हो पा रहा है, और एक्सपोर्ट में भी कमी आई है। जिस कारण अब तो सिर्फ शॉप पर बैठकर ऑर्डर पर साड़ी या लहंगा आदि का जरी का काम ही बचा है, लेकिन जो काम पहले था, वह अब नहीं बचा है। कारीगर भी बेरोजगार हो गए हैं और परेशान हैं।

मिलता था ड्रॉ बैक

वर्ष 2013-14 तक जो जरी कारोबारी विदेश को माल एक्सपोर्ट करता था, उसके लिए ड्रॉ बैक (सब्सिडी) 13-14 प्रतिशत तक मिलता था। लेकिन 2014 के बाद सरकार ने बंद कर दिया। उसके बाद वर्ष 2016 में फिर शुरू कर दिया गया लेकिन इस बार सिर्फ 6 परसेंट ही ड्रॉ बैक शुरू किया गया। इस बार मंदी ने और कमर तोड़ दी।

अब ढूंढना पड़ रहा काम

जरी कारीगरों की मानें तो मंदी आने से पहले इतना कारोबार था कि उनके लिए एक काम करने के साथ कई काम एडवांस में रहते थे। लेकिन आज कारोबार में मंदी क्या छाई, काम भी तलाशने पड़ रहे हैं। यहां तक कि कई कारीगरों ने तो काम नहीं मिलने से मजदूरी करना या फिर ई-रिक्शा आदि चलाना भी शुरू कर दिया है।

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- मंदी का दौर इस कदर है कि कई लोगों ने तो पेशा तक चेंज कर दिया है। क्योंकि परिवार चलाना है तो कुछ तो करना होगा। इतना बुरा हाल जरी का होगा सोचा भी नहीं था। देखा जाए तो 80 प्रतिशत तक कारोबार ठप हो गया है।

हाजी शकील

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-ट्रेड वॉर से पहले भी मार्केट में मंदी थी लेकिन इतना बुरा हाल नहीं था। अब तो मार्केट में इतनी मंदी छाई है कि कारखाने बंद होने लगे हैं। मार्केट में जरी का काम ही खत्म हो गया है। मंदी के दौर में हर जरी कारोबारी परेशान है।

फिरोज

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जरी का जो एक्सपोर्ट होता था, उसकी डिमांड ही घट गई है। इसके साथ इंपोर्ट माल भी नहीं मिल पा रहा है। जिसको लेकर कारीगर भी खाली रहने के कारण घर चलाने के लिए काम ढूंढ रहे हैं। ऐसे में करेंगे भी तो क्या।

आसिफ

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-जरी कारीगर का काम घर बैठे महिलाएं भी करती थीं, लेकिन अब काम ही बंद हो गया है, जिस कारण कई परिवारों को तो गुजारा करना भी मुश्किल सा हो गया है। जरी के लिए सरकार को कुछ करना चाहिए ताकि लोगों को काम मिल सके।

मैसर