1 मिनट में पहुंच रहे 10 ईमेल
इंडिया में इन दिनों इंटरनेट के भविष्य को लेकर तीखी लड़ाई जारी है. एयरटेल द्वारा नेट न्यट्रेलिटी के खिलाफ जाना नए विवाद को जन्म दे रहा है. एयरटेल के इस फैसले को लेकर लोगों में काफी गुस्सा है. जिसके चलते सभी ने TRAI के पास अपनी शिकायत दर्ज कराना स्टार्ट कर दिया है. खबरों की मानें, तो ट्राई के पास अब तक 1.5 लाख ई-मेल पहुंच चुकी हैं. वहीं बताया यह भी जा रहा कि, 1 मिनट में कम से कम 10 मेल रिसीव की जा रही हैं. ट्राई के इनबॉक्स में इस तरह से मेल आना रिकॉर्ड बनता जा रहा है. नेट न्यूट्रिलिटी को बचाने के लिए इस कैंपेन की शुरुआत शनिवार को 3 बजे से हुई. Save The Internet नाम से शुरु हुआ यह केंपेन अब विस्तार लेता जा रहा है. वहीं एक स्टैंडअप कॉमेडी ग्रुप एआईबी ने इसको लेकर एक वीडियो भी तैयार कर लिया है. यह वीडियो फेसबुक पर काफी शेयर कराया जा रहा है.

फ्लिपकार्ट पर टूटा लोगों का गुस्सा
आपको बताते चलें कि इंडिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स साइट फ्लिपकार्ट ने एयरटेल के साथ खड़े होने के संकेत दिए हैं. इसके बाद इंटरनेट न्यूट्रेलिटी सपोर्ट्स ने फ्लिपकार्ट की स्मार्टफोन एप को सिंगल स्टार रेटिंग देना शुरु कर दिया है. अगर आप एयरटेल और फ्लिपकार्ट की डील से अपरिचित हैं तो जान लीजिए कि एयरटेल ने 'एयरटेल जीरो' नाम से एक सर्विस शुरु की है. इस सर्विस के तहत कुछ स्मार्टफोन एप्स को यूज करने के लिए यूजर्स को डाटा चार्जेज नहीं देना होगा. फ्लिपकार्ट ने एयरटेल की इस सर्विस में अपनी एप रजिस्टर करा दी है. इसका मतलब यह हुआ कि एयरटेल जीरो सर्विस यूज करने वाले मोबाइल यूजर्स फ्री में फ्लिपकार्ट एप यूज कर सकते हैं. लेकिन एयरटेल की यह सर्विस सीधे-सीधे नेट न्यूट्रेलिटी सिद्धांत का उल्लंघन है. इस वजह से नेट न्यूट्रेलिटी के सपोर्ट्स ने फ्लिपकार्ट पर अपना गुस्सा उतारना शुरु कर दिया है.

जानें क्या है इंटरनेट न्यूट्रेलिटी

अगर आप इंटरनेट न्यूट्रेलिटी से परिचित नहीं हैं तो आपके लिए यह जानना अत्यंत जरूरी है. वर्तमान में आप एक महीने के डाटा पैक पर कोई भी वेबसाइट, यूट्यूब वीडियो, वॉट्सएप, स्मार्टफोन एप और कुछ भी कर सकते हैं. इंटरनेट को किसी भी रूप में यूज करने के लिए आपको सिर्फ डाटा पैक के लिए शुल्क अदा करना है. यह डाटा पैक आप दो दिनों में भी खर्च कर सकते हैं और कम-कम यूज करके एक महीने तक भी चला सकते हैं. लेकिन एयरटेल समेत अन्य टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स मुक्त इंटरनेट व्यवस्था को कैटेगरी में बांधना चाहते हैं. नई व्यवस्था में प्रत्येक सर्विस यूज करने के लिए अलग से इंटरनेट पैक यूज करना होगा. इससे इंटरनेट पर फ्री में अवेलेबल जानकारी आप तक पहुंचना लगभग असंभव हो जाएगा क्योंकि टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स सिर्फ उन वेबसाइट्स को आप तक पहुंचाने को तरजीह देंगे जो उनके साथ करार करेंगीं.इसमें वह वेबसाइट्स लोगों तक कभी नहीं पहुंच पाएंगी जो टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स से करार करने में सक्षम नहीं होंगी.

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