कानपुर। 23 दिसंबर का दिन भारतीय क्रिकेट के लिए कभी नहीं भूलने वाला है। यह वो दिन था जब टीम इंडिया को दो वर्ल्ड कप जिताने वाला कप्तान मिला। जी हां यह कोई और नहीं महेंद्र सिंह धोनी हैं। धोनी ने आज से 15 साल पहले 23 दिसंबर 2004 को इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखा था। धोनी ने टीम इंडिया में इंट्री विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में की थी, मगर बहुत जल्द भारतीय टीम के कप्तान बन गए। इस दौरान माही ने न सिर्फ दिमाग से बल्कि बल्ले से भी बेहतरीन खेल दिखाया। आइए आज 15 साल के मौके पर धोनी की 15 यादगार पारियों पर एक नजर डालते हैं...

कोई नहीं भूल सकता 148 रन की वो पारी
डेब्यू मैच में पूरी तरह से फ्लाॅप हो चुके धोनी अगली चार पारियों में भी कुछ खास रन नहीं बना पाए थे। ऐसे में उनके टीम में इंट्री को लेकर सवाल खड़े होने लगे मगर माही ने इन सवालों का करारा जवाब पांचवीं पारी में दिया। 5 अप्रैल 2005 को धोनी पाकिस्तान के खिलाफ विशाखापत्तनम में वनडे खेलने उतरे। इस बार माही ने पहले वाली गलती नहीं दोहराई। इस मैच में सचिन और गांगुली जैसे धुरंधर फेल हो गए फिर तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए एमएस धोनी। तब धोनी ने 123 गेंदों में 148 रन बनाए, जिसमें 15 चौके और 4 छक्के लगाए। यह पहला मैच था जिसे धोनी ने अपने दम पर जिताया। इसके बाद तो मानों वे रुके ही नहीं।


जब खेली वनडे करियर की सबसे बड़ी पारी

साल 2005 में श्रीलंकाई टीम वनडे सीरीज खेलने भारत आई थी। सीरीज का तीसरा वनडे 31 अक्टूबर को जयपुर में खेला गया। श्रीलंकाई कप्तान ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग का निर्णय लिया और कुमार संगकारा के नाबाद 138 रनों की बदौलत मेहमान टीम ने भारत को 299 रनों का लक्ष्य दिया। उस वक्त यह लक्ष्य थोड़ा मुश्किल माना जाता था। खैर भारत की तरफ से वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर ओपनिंग करने आए। अभी 7 रन ही बने थे कि पहले ओवर की पांचवीं गेंद पर सचिन आउट हो गए। इसके बाद धोनी को बैटिंग ऑर्डर में प्रमोट कर तीसरे नंबर पर भेजा गया। करीब 300 रन के लक्ष्य का पीछा करते समय पहले ओवर में सचिन का विकेट गिर जाने से भारत दबाव में आ गया था। मगर धोनी ने आते ही ताबड़तोड़ बैटिंग कर विरोधी गेंदबाजों को दबाव में ला दिया। माही ने 145 गेंदों में नाबाद 183 रन की पारी खेली। इस दौरान उनके बल्ले से 15 चौके और 10 छक्के निकले। यह धोनी की अब तक की सबसे बड़ी वनडे पारी है।

जब बांग्लादेश के खिलाफ हार से बचाया
साल 2007 की बात है, टीम इंडिया राहुल द्रविड़ की कप्तानी में बांग्लादेश दौरे पर गई थी। सीरीज का पहला मैच ढाका में खेला गया। इस मैच में मेजबानों ने भारत को मुश्किल में डाल दिया था, वो तो अच्छा हुआ कि धोनी ने भारत को हार के मुंह से बचा लिया। इस मैच में बांग्लादेश ने पहले खेलते हुए सात विकेट के नुकसान पर 250 रन बनाए, जवाब में टीम इंडिया ने पचास रन के अंदर दो विकेट गंवा दिए थे। इसके बाद तीसरे नंबर पर बैटिंग करने आए एमएस धोनी, एक तरफ विकेट गिर रहे थे तो माही दूसरा छोर संभाले थे। आखिर में धोनी ने कार्तिक के साथ मिलकर भारत को जीत दिलाई। इस मैच में धोनी ने नाबाद 91 रन की पारी खेली थी। यह पारी धोनी की सबसे बेहतरीन इनिंग मे गिनी जाती है।


भारत को 28 साल बाद दिलाया वर्ल्डकप
2011 वर्ल्डकप फाइनल में एमएस धोनी की नाबाद 91 रनों की पारी को कौन भूल सकता है। मुंबई में खेले गए इस मुकाबले में श्रीलंका ने पहले खेलते हुए छह विकेट के नुकसान पर 274 रन बनाए। भारत के लिए यह लक्ष्य आसान नहीं था, क्योंकि ये वर्ल्डकप फाइनल था। दबाव पूरी भारतीय टीम पर था। ओपनिंग में आए सहवाग और सचिन कुछ खास नहीं कर पाए और 18 रन के स्कोर पर भारत के दो विकेट गिर गए। इसके बाद गौतम गंभीर (97) और विराट कोहली (35) ने भारत को लक्ष्य के करीब पहुंचाया मगर अंत में भारत को जरूरत थी एमएस धोनी की। माही क्रीज पर आए और नाबाद 91 रन की पारी खेलकर भारत को जीत दिलाकर ही वापस लौटे।

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