- दुकानदारों के मुताबिक आवक के समय ही पन्द्रह से बीस प्रतिशत होता है नुकसान - सड़कों पर ही फेंक दी जातीं सड़ी सब्जियां, कुछ हिस्सा मार्केट में खपाते GORAKHPUR: सिटी ही नहीं आसपास के एरिया के लिए भी सब्जी का बड़ा स्त्रोत गोरखपुर सब्जी मंडी में सड़े टमाटर व प्याज भी खप जा रहे हैं। रविवार को मंडी की सड़कों पर ज्यादातर सस्ती सब्जियां ही दिखाई दीं। इनमें टमाटर, प्याज और मटर जैसी सब्जियां नहीं दिखाई दीं। सवाल उठना लाजमी है कि महंगी सब्जियों का सड़ा हुआ हिस्सा जाता कहां है। सड़ी सब्जियां फैला रहीं गंदगी दुकानदारों के मुताबिक बाहर से माल आने के कारण गाड़ी से उतरने पर ही माल का 15 से 20 फीसदी हिस्सा खराब निकल जाता है़ माल के नुकसान होने का यह प्रतिशत मौसम पर निर्भर होता है़ आमतौर पर नुकसान होने के अनुपातमें दुकानदार उसे सस्ती दरों पर ग्राहकों को बेच देते हैं और जो हिस्सा बिल्कुल खराब हो जाता है, उसे मंडी में ही सड़क पर फेंक दिया जाता है। सब्जियों का यह सड़ा हुआ हिस्सा आवारा पशुओं का भोजन बनता है। कई हरी सब्जियों सहित आलू मंडी में अक्सर ही फेंका हुआ देखा जा सकता है। मौसम के अनुसार उनके नाम अलग होते हैं पर बारहों महीने मंडी की सूरत ऐसी ही बनी होती है। मंडी में आती हैं हजारों कुंतल सब्जियां शहर की मंडी में रोजाना हजारों कुंतल सब्जियां आती हैं इनका सड़ा हुआ हिस्सा सड़कों पर बिखरा हुआ आसानी से देखा जा सकता है, पर सबका नहीं। रोज मंडी में आवक - टमाटर 5 से 6 गाड़ी, 750 से 900 कुंतल - मटर 7 से 9 गाड़ी, 900 से 1000 कुंतल - आलू 7 से 9 गाड़ी, 1000 से 1200 कुंतल - प्याज 4 से 5 गाड़ी, 500 से 700 कुंतल - गोभी 5 से 7 गाड़ी 400 से 600 कुंतल यह गाडि़यां ढोती हैं सब्जियां फुल ट्रक में 100 से 150 कुंतल डीसीएम में 60 से 80 कुंतल पिकअप में 20 से 25 कुंतल वर्जन - पंजाब, नासिक जैसे जगहों से हजारों किमी का सफर तय करके सब्जियों को लाया जाता है। ऐसे में 15 से 20 फीसदी का नुकसान हो ही जाता है, जो हमें ही सहना पड़ता है। - श्रवण कुशवाहा, व्यापारी सड़ी हुई सब्जियों के कारण मंडी में गंदगी काफी ज्यादा बढ़ गई है। जिससे बीमारी का खतरा हमेशा बना रहता है। - संजय कुशवाहा, व्यापारी