21 साल बाद इंक्वॉयरी कमीशन ने मंडे को स्टेट गवरन्मेंट को सौंपी 750 पेजेस की रिपोर्ट में उस टाइम होम सेक्रेरट्री मनीष गुप्ता और लालबाजार पुलिस हेड क्वाटर के ऑफीसर्स को कल्पिट माना है. साथ ही इंसीडेंट में मारे गए लोगों के फेमिली मेंबर्स  को 25-25 लाख रुपये और इंजर्डस को पांच लाख रुपये कंप्लशेसन देने की भी रिक्मंडेशन की है. 2011 में बंगाल में सरकार में आने के बाद मामले के इन्वेस्टिगेशन के लिए ममता सरकार की तरफ से फार्म किए गए इस कमीशन की रिपोर्ट उनके लिए ही प्राब्लम बन गई है. उस टाइम होम सेक्रेरट्री रहे मनीष गुप्ता इस समय स्टेट के पॉवर मिनिस्टर हैं.

रिटायर्ड जस्टिस सुशांत चटर्जी की प्रेसीडेंशिप वाली वन मेंबर इंक्वॉयरी कमेटी ने रिपोर्ट में कहा है कि इंसीडेंट के दिन पुलिस को फायरिंग करने की जरूरत नहीं थी. पुलिस ने कंट्रोल रूम से मिले ऑर्डर पर अंधाधुंध 75 राउंड गोलियां चलाईं. यह इंसीडेंट पूरी तरह अनकांस्टीट्यूशनल, नॉन डिमॉक्रेटिक और इललीगल है. इसके लिए मनीष गुप्ता को कल्पिट ठहराया गया है, लेकिन मामले में मेन कल्पिट कौन है? किसके डायरेक्शन  पर फायरिंग की गई थीं, इसका कोई क्लियर आंसर रिपोर्ट में नहीं है. जस्टिस चटर्जी ने कहा कि इंसीडेंट के लिए होम सेक्रेरट्री और लालबाजार पुलिस हेड क्वाटर के ऑफीसर्स खुद को इनोसेंट नहीं कह सकते. रिपोर्ट में कहा गया है कि फायरिंग में 13 नहीं, 12 लोगों की डेथ हुई थी, एक की डेथ का रीजन कुछ और था.

माकपा के सीनियर लीडर और मेंबर पार्लियामेंट मोहम्मद सलीम ने रिपोर्ट पर स्ट्रांग रिएक्शन देते हुए इसे पॉलिटिकल स्टंट बताया. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट को एक्सेप्ट नहीं किया जा सकता. इसका कंपेरिजन जलियांवाला बाग किलिंग से करना पॉलिटिकल स्टंट है. प्रेजेंट चीफ मिनिस्टर ममता बनर्जी उस टाइम यूथ कांग्रेस लीडर थीं और राइटर्स बिल्डिंग घेरने का मूवमेंट उनकी लीडरशिप में ही हुआ था.

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