- 62 अस्पतालों में अभी यह सुविधा

- करीब 30 करोड़ उपकरणों में हुए खर्च

- 4 से 5 लाख खर्च प्राइवेट में रोबोटिक सर्जरी के

- 1 से डेढ़ लाख खर्च पीजीआई में सर्जरी के

- 6 मरीजों की सफल हुई सर्जरी

- 60 प्रतिशत केंद्र सरकार का सहयोग

- 40 प्रतिशत प्रदेश सरकार का सहयोग

- एसजीपीजीआई में पहले 250 मरीजों की होगी फ्री रोबोटिक सर्जरी

- रोबोटिक सर्जरी करने वाला प्रदेश का पहला संस्थान बना पीजीआई

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- रोबोटिक सर्जरी करने वाला प्रदेश का पहला संस्थान बना पीजीआई

lucknow@inext.co.in

LUCKNOW: lucknow@inext.co.in

LUCKNOW: संजय गांधी पीजीआई में छह मरीजों पर सफल रोबोटिक सर्जरी के बाद शनिवार को औपचारिक रूप से रोबोटिक सर्जरी सेवा की शुरुआत हो गई. इसके साथ पीजीआई रोबोटिक सर्जरी सेवाएं उपलब्ध कराने वाला प्रदेश का पहला संस्थान बन गया है.

ख्भ्0 की फ्री सर्जरी

यहां पर पहले ख्भ्0 मरीजों की फ्री रोबोटिक सर्जरी होगी. उसके बाद हर मरीज पर एक से डेढ़ लाख रुपए खर्च आएगा. चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने इसका शुभारंभ किया. इस दौरान निदेशक प्रो. राकेश कपूर और प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ. रजनीश दुबे भी मौजूद रहे.

इन विभागों की सेवाएं

रोबोटिक सर्जरी यूनिट के इंचार्ज डॉ. अमित अग्रवाल ने बताया कि शुरुआत में इंडोक्राइन सर्जरी, गैस्ट्रो सर्जरी, यूरोलॉजी और कार्डियक सर्जरी या सीवीटीएस के मरीजों को रोबोट सर्जरी की सुविधा मिलेगी. इसके लिए इंडोक्राइन सर्जरी से डॉ. अमित अग्रवाल, यूरोलॉजी से डॉ. राकेश कपूर, गेस्ट्रो सर्जरी से डॉ. अनीश श्रीवास्तव और कार्डियक सर्जरी से डॉ. एसके अग्रवाल सहित 8 डॉक्टर्स ने अब तक नई दिल्ली के एक हॉस्पिटल से ट्रेनिंग ली है. इन सभी को ब्0-ब्0 मरीजों की सर्जरी करनी होगी. तभी उन्हें रोबोटिक सर्जरी एक्सपर्ट माना जाएगा.

इनकी हो सकेगी सर्जरी

गैस्ट्रो में बड़ी आंत में कैंसर या सिगम्वाएड कैंसर और रेक्टल कैंसर की सर्जरी होगी. सीवीटीएस में हार्ट में वॉल्व सर्जरी, हार्ट में छेद बंद करने सहित अन्य और फेफड़ों की सर्जरी होगी. इसके अलावा गुर्दे में प्रोस्टेट कैंसर व गुर्दा निकालने की सर्जरी होगी. इसके अलावा सिर, गले, आर्गन ट्रांसप्लांट व गाइनीकोलॉजी सर्जरी में भी सहायता मिलेगी.

नहीं काटनी पड़ेगी हड्डी

हार्ट में अभी सीने की हड्डी काटकर ओपेन सर्जरी की जाती थी. इसमें इंफेक्शन का भी खतरा रहता है, लेकिन अब तीन छोटे छेदों से यह सर्जरी की जा सकेगी.

यहां सबसे सस्ती

डॉ. अमित अग्रवाल ने बताया कि अस्पताल के खर्चो के अलावा रोबोटिक सर्जरी की कीमत करीब एक से डेढ़ लाख रुपए आएगी. जबकि प्राइवेट में यही करीब साढ़े चार लाख से अधिक की पड़ेगी.

कैसे होती है सर्जरी

इसमें पहले मरीज को एनेस्थीसिया दी जाती है. फिर लैप्रोस्कोप की तरह छेद करके टेलीस्कोप, कैंची व अन्य एक्विपमेंट डाले जाते हैं. फिर रोबोट को मरीज में फिट किया जाता है, जिसे डाकिंग कहते हैं. इसके बाद दो सर्जन अलग अलग कंसोल में बैठकर फिंगर टिप्स और पैरों से कंट्रोल करते हैं. वह जो आदेश करते हैं कंप्यूटर उसी के मुताबिक सर्जरी करता जाता है.

ओपीडी में करें संपर्क

डॉक्टर्स ने बताया कि रोबोटिक सर्जरी के लिए अलग से नंबर लगाने की जरूरत नहीं है. सीधे संबंधित विभाग की ओपीडी में दिखाना होगा. ऑपरेशन के लिए मरीजों का चयन मरीज की रजामंदी से होगा.

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रोबोटिक सर्जरी के फायदे

क्. रेजीडेंट्स ट्रेनिंग: रेजीडेंट्स डॉक्टर्स को रोबोटिक सर्जरी की बेसिक ट्रेनिंग में करीब फ्भ्00 डॉलर और एडवांस ट्रेनिंग में म्भ्00 डॉलर खर्च करना पड़ता है. पीजीआई के रेजीडेंट डॉक्टर्स को यहीं ट्रेनिंग मिलेगी. अलग से रुपए नहीं खर्च करने होंगे.

ख्. मरीज को फायदा: ऑपरेशन में ब्लीडिंग नहीं या कम, खून चढ़ाने की जरूरत नहीं, संक्रमण का खतरा कम, सटीक सर्जरी से ऑपरेशन की सफलता दर अधिक.

फ्. बेहतर है तकनीक: लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में क्80 डिग्री टू डायमेंशन सर्जरी का विकल्प और रोबोटिक में एक्विपमेंट के फ्म्0 डिग्री और थ्री डायमेंशन मूवमेंट का विकल्प.

ब्. सर्जरी में चीरा: लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में क्0 से क्ख् मिमी. का चीरा और रोबोटिक में म् से 8 एमएम का.

भ्. समय: फ्0 मिनट से एक घंटा बचेगा.

म्. कीमत: ओपेन सर्जरी ब्0 से भ्0 हजार, लेप्रोस्कोपिक 80 से 90 हजार, रोबोटिक करीब क् से डेढ़ लाख

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रोबोटिक सर्जरी मरीजों के लिए वरदान है. कम ब्लीडिंग और कम संक्रमण के साथ ही रेजीडेंट डॉक्टर्स को ट्रेनिंग भी मिलेगी. देश में सबसे सस्ती रोबोटिक सर्जरी यहीं होगी.

प्रो. राकेश कपूर, निदेशक एसजीपीजीआई

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कैंसर मरीजों को मिलेगी राहत

चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने शनिवार को संस्थान में क्9 करोड़ की लागत से लगी नई लीनियर एक्सीलरेटर मशीन का भी शुभारंभ किया. अब पीजीआई में अब दो लीनियर एक्सीलरेटर मशीनें हो गई हैं. चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने बताया कि इससे पहले केजीएमयू में दो और लोहिया इंस्टीट्यूट में तीन लीनियर एक्सीलरेटर मशीनें लगी हैं.

वेटिंग होगी कम

इस नई मशीन से कैंसर मरीजों की वेटिंग कम होगी. एक दिन में एक मशीन से करीब भ्0 मरीजों की सेंकाई होगी. अभी मरीज अधिक होने पर उन्हें दूसरे सेंटर्स पर भेजना पड़ रहा था. इस नई मशीन के लिए केंद्र सरकार ने म्0 फीसद राशि की वित्तीय सहायता दी है. शेष ब्0 फीसद राशि प्रदेश सरकार ने दिया है.