-इस बार नीट में 50 से कम परसेंटाइल पाने वालों को नहीं मिल पाएगा मौका

-इससे स्टूडेंट्स की क्वालिटी में होगा इंप्रूवमेंट तो रिजल्ट भी होगा बेहतर

-अब तक 20-30 परसेंटाइल पाने वालों को मिल जाता था मौका

ताकि सुधर सके एजुकेश्ान क्वालिटी
गोरखपुर में ऐसे हजारों स्टूडेंट्स हैं, जो डॉक्टर बनने की चाह रखते हैं। इसमें मैक्सिमम स्टूडेंट्स का फोकस एबीबीएस डॉक्टर बनने का होता है, लेकिन जिनकी यह तमन्ना पूरी नहीं हो पाती या जो फाइनेंशियल प्रॉब्लम की वजह से ऐसा नहीं कर पाते, वह आयुर्वेद, होम्योपैथी, नेचरोपैथी के साथ ही यूनानी डॉक्टर बन जाते हैं। मगर क्वालिफाइंग क्राइटेरिया अप टू द मार्क न होने की वजह से इसमें ऐसे कैंडिडेट्स भी आ जाते हैं, जिनका इस फील्ड में आना ठीक नहीं है। इसको देखते हुए आयुष मंत्रालय ने ऐसा फैसला लिया है, जिससे एजुकेशन क्वालिटी में सुधार होगा और बढि़यां कैंडिडेट्स ही डॉक्टर बन सकेंगे।

पहले नहीं थी कोई शर्त
आयुष में एडमिशन के लिए पहले कोई भी मिनिमम मा‌र्क्स तय नहीं थे। पिछले साल नीट में दाखिले के लिए व्यापमं ने प्री-आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी टेस्ट ऑर्गनाइज कराया था। इसमें ऐसे स्टूडेंट्स भी एडमिशन पा गए थे, जो 20 या 30 परसेंटाइल पाए रहते हैं। जानकारों की मानें तो पहले प्री-आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी टेस्ट में एक बार 50 फीसद मा‌र्क्स की अनिवार्यता की गई थी, लेकिन बाद में इसे हटा दिया गया।