नई दिल्ली(आईएएनस)दुनिया की मशहूर टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट द्वारा कराए गए एक हालिया सर्वे में ऑनलाइन फ्रॉड जिसे टेक सपोर्ट स्कैम के नाम से दुनिया में जाना जाता है, के कारण भारत के 68 परसेंट लोगों ने किसी ना किसी तरीके से अपनी मेहनत की कमाई धोखेबाजों के हाथों गंवा दी है।

भारत के 68% लोग हुए हैं ऑनलाइन घोटाले का शिकार! क्‍या आप भी हैं इनमें शामिल?

टेक सपोर्ट स्कैम सर्वे 2018 में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
माइक्रोसॉफ्ट की डिजिटल क्राइम यूनिट द्वारा जारी किए गए टेक सपोर्ट स्कैम सर्वे 2018 में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। सर्वे के मुताबिक टेक्निकल सपोर्ट स्कैम उसे कहा जाता है, जिसमे हैकर या फ्रॉड गैंग के लोग तमाम अंजान ग्राहकों से फोन कॉल के द्वारा जुड़ते हैं। टेक्निकल सपोर्ट सर्विस का हवाला देकर उनसे बैंकिंग से जुड़ी तमाम जरूरी और गोपनीय जानकारी हासिल कर लेते हैं। इन फेक कॉल्स के द्वारा हासिल की गई गोपनीय बैंकिंग इंफॉर्मेशन के कारण फ्रॉड करने वाले लोग तमाम बैंक खातों से बहुत सारा पैसा उड़ा देते हैं। इस सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि ऑनलाइन फ्रॉड करने वालों का शिकार सिर्फ वही लोग नहीं बने हैं जिन्हें ऑनलाइन बैंकिंग और मोबाइल एप्स की कम जानकारी है बल्कि तमाम इंटरनेट सेवी और टेक फ्रेंडली लोग भी अंजाने में इन फ्रॉड अटैक का शिकार बन गए हैं।

28 परसेंट लोगों ने फ्रॉड को पहले ही भांप लिया और साफ बच निकले
सर्वे के मुताबिक ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार बने लोग सिर्फ अपना पैसा ही नहीं गंवाते हैं, बल्कि अपना सुख चैन भी खो देते हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत के करीब 40 परसेंट लोग इस ऑनलाइन स्कैम का शिकार लगभग बन ही गए थे लेकिन उन्होंने कोई महत्वपूर्ण जानकारी फ्रॉड करने वालों को नहीं दी। जबकि 28 परसेंट लोगों ने अलर्ट होकर उस ऑनलाइन फ्रॉड से किनारा कर लिया। जबकि 14 परसेंट लोग ऐसे थे जो पूरी तरह से ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार बने और उन्होंने अपना पैसा भी गंवा दिया।

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माइक्रोसॉफ्ट डिजिटल क्राइम यूनिट साइबर क्राइम के खिलाफ लड़ रहा है जंग
माइक्रोसॉफ्ट का डिजिटल क्राइम यूनिट पिछले कई सालों से दुनिया भर में होने वाले ऑनलाइन फ्रॉड और साइबर क्राइम के खिलाफ अपनी जंग लड़ रहा है। यह यूनिट तमाम बड़े साइबर क्राइम्स की छानबीन करने और ऐसे साइबर क्राइम नेटवर्क को खोजने में सुरक्षा और जांच एजेंसियों की मदद भी करता है। हालांकि ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार बने लोग जब तक इस संबंध में सुरक्षा एजेंसियों या एक्सपर्ट से मदद नहीं मांगते हैं तब तक माइक्रोसॉफ्ट डिजिटल क्राइम यूनिट अपनी तरफ से उनके मामले में हाथ नहीं डालता है।

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