मेरी और दिव्या की लव स्टोरी शायद आपको आम लव स्टोरी जैसी लगे पर मेरे लिए दिव्या से मिलने का पहला एक्सपीरियंस बहुत स्पेशल था. वह एक पब्लिक रिलेशन एजेंसी में काम करती थी और मैं एक जर्नलिस्ट था. मेरी एक फ्रेंड थी शबनम उसके थ्रू ही मैं उससे मिला. मैं लाइफस्टाइल जर्नलिस्ट था और वो फूड क्लाइंट्स हैंडल करती थी. मैं उससे कभी मिला नहीं था सिर्फ फोन पर बात हुई थी. उसके बात करने का तरीका इतना डीसेंट था कि मैं आधा इंप्रेस हो चुका था. मैं उससे मिलने का मौका ढ़ूंढ ही रहा था कि उसने एक दिन मुझे अपने फूड रेस्ट्रों के रिव्यू के लिए इंवाइट किया. मैं तैयार हो गया. उसे जरा सा भी शक नहीं था कि मैं उसे लाइक करता था. उसके पास कोई कंवेयंस नहीं था इसलिए उसने मेरे साथ चलने की रिक्वेस्ट की. मैं भला कैसे मना कर सकता था. खैर मैं उसे पिक करने उसके पीजी गया. उसे जैसे ही देखा बस देखता रह गया. वह बहुत प्यारी लग रही थी. हमें वापस आते हुए सात बज गए पर बीच में अचानक रास्ता भटक गए. रास्ता ढूंढ़ते हुए हमारे बीच काफी बातें हो चुकी थीं, पर पता नहीं क्यों मैं अपने दिल की बात उसे नहीं बता पाया. दूसरे दिन मैंने उसे कॉल किया और एक कंफेशन करने के लिए पूछा और तभी मैंने बताया- ‘कल जो हम रास्ता भटक गए थे वो असल में रास्ता नहीं भटके थे बल्कि मैं जान बूझकर तुम्हारे साथ टाइम स्पेंड करने के लिए एक्टिंग कर रहा था. अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो सॉरी.’ वह अचानक हंसने लगी. उसने कहा इतनी मेहनत करने की क्या जरूरत थी पहले ही बता देते तो हम डिनर भी साथ कर लेते. मैंने फाइनली उसे प्रपोज किया और उसने मेरा प्रपोजल एक्सेप्ट कर लिया. वो रास्ता भूलने का एक्सपीरियंस अब तक का सबसे प्यारा एक्सपीरियंस है.
Neel Singh, Lucknow
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