-केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत में अपात्र भी हो गए शामिल
-ऐसे कैसे मिलेगा गरीबों को आयुष्मान, जब स्वास्थ्य विभाग के बंधे हो हाथ
-स्वास्थ्य विभाग में कार्ड बनवाने पहुंचे आधा दर्जन धनवान
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केस-1
कबीर चौरा निवासी अमित गुप्ता एक सप्ताह पहले आयुष्मान भारत का गोल्डेन कार्ड बनवाने के लिए स्वास्थ्य विभाग पहुंचे और संबंधित कर्मचारी से कहा कि उनका नाम आयुष्मान भारत योजना की पात्रता सूची में है। यह सुनकर कर्मचारियों के होश उड़ गए। क्योंकि वह देखने से गरीब था ही नहीं।
केस-2
गले में सोने की चेन और ब्रांडेड कपड़ा पहने चौक निवासी सुमित कुमार भी आयुष्मान का कार्ड लेने के लिए स्वास्थ्य विभाग पहुंचे, उन्होने भी पात्रता सूची में अपना नाम होने की बात कही। उनसे जब उनकी इनकम पूछी गई तो जवाब मिला कि वे व्यापारी है।
बीमार अब ना रहे लाचार, बीमारी का होगा मुफ्त उपचार इसी स्लोगन के साथ केन्द्र सरकार ने गरीबों के इलाज के लिए आयुष्मान भारत की शुरुआत की थी। मगर अफसोस कि गरीबों के लिए बने इस योजना पर भी धनवान हावी है। जी हां आपको यह जानकार भले ही हैरानी हो, लेकन यही सच है। जंग लगे सरकारी सिस्टम के आगे सारी व्यवस्था फेल है। पांच लाख के आयुष्मान का लाभ लेने के लिए बनारस के धनवान गरीब बन गए है.उक्त दो केस तो सिर्फ आपको यह बताने के लिए पीएम के इस योजना का क्या हाल हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग में आधा दर्जन से भी ज्यादा ऐसे लोग पहुंचे है, जो कही से भी योजना के लिए पात्र है ही नहीं।
गरीब नहीं फिर भी गोल्डेन कार्ड
अधिकारियों की माने तो इस योजना के माध्यम से गरीबों को अमीरों जैसी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करानी हैं लेकिन यहां पात्रों की सूची में धनवान लोग भी शामिल हैं। विभाग को इसकी कुछ गुप्त शिकायत भी मिली है। जहां बताया गया है कि कबीर चौरा क्षेत्र से एक ही मोहल्ले के उन लोगों को भी गोल्डेन कार्ड मिला है, जो गरीब है ही नहीं। पात्रता सूची के एचएचडी नंबर पर उनकी सूची ऑनलाइन है। यही नहीं जिले में और भी अपात्रों के नाम योजना के लाभार्थियों की सूची में शामिल हैं।
क्या कहते है अधिकारी
अधिकारियों का कहना है कि पात्रता सूची विभाग को शासन की ओर से एसईसीसी के माध्यम से उपलब्ध कराई गई थी। एसईसीसी 2011 की जनगणना के अनुरूप बनी सूची में यदि कोई अन्य भी शामिल रहा है तो विभाग उसमें कोई बदलाव नहीं कर सकता है, विभाग को सिर्फ सत्यापन करना था कि संबंधित मकान में सूची के अनुरूप लोग रहते हैं या नहीं। सत्यापन करने के बाद विभाग ने सूची भेज दी।
क्या है प्रॉसेस
एसईसीसी 2011 की सूची पोर्टल पर उपलब्ध है। स्वास्थ्य विभाग को इस लोड सभी डाटा को डाउनलोड कर उसका वेरिफिकेशन कराना था। सूची में शामिल ग्रामीण क्षेत्र के परिवारों का सत्यापन ब्लाक लेवल पर ग्राम पंचायत या सेक्रेट्री और शहरी क्षेत्र में वार्ड वाइज डोर टू डोर सत्यापन करने का प्रावधान है।
कैसे चेक करें योजना में अपना नाम
आयुष्मान भारत की वेबसाइट (द्धह्लह्लश्चह्य://द्वद्गह्मड्ड.श्चद्वद्भड्ड4.द्दश्र1.द्बठ्ठ/ह्यद्गड्डह्मष्द्ध/) पर जाकर आप अपना नाम चेक कर सकते हैं। इस वेबसाइट पर नाम, जगह, राशन कार्ड नंबर, मोबाइल नंबर, आधार नंबर आदि ढूंढ सकते हैं। अगर आप राष्ट्रीय स्वाथ्य बीमा योजना में शामिल थे, तो उसका आईडी भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
आयुष्मान के लिए ये है जरुरी मानदंड
ग्रामीण क्षेत्रों में
-एक कमरे के कच्चे घरों में रहने वाले लोगजिस परिवार में 16 से 59 वर्ष के बीच में कोई सदस्य न हो
-जहां 16-59 आयु वर्ग में सिर्फ महिलाएं हो, कोई वयस्क पुरुष सदस्य न हो।
-जिन परिवारों में एक विकलांग सदस्य और कोई सक्षम वयस्क सदस्य नहीं हो।
-जिन परिवारों की पास कोई ज़मीन नहीं है, और मजदूरी करते हैं
-गरीब बेसहारा लोग, जो भिक्षा पर जीवन बिताते हैं
शहरी क्षेत्रों में
-कूड़ा उठाने वाले
-भिखारी
-घरों में काम करने वाले
-सड़कों पर काम कर रहे मोची या अन्य विक्त्रेता
-मजदूर/ मिस्त्री/ निर्माण कार्यकर्ता / प्लम्बर / मेसन / पेंट / वेल्डर / सुरक्षा गार्ड / कुली इत्यादि
-स्वीपर / स्वच्छता कार्यकर्ता / माली
-गृह आधारित कर्मचारी / कारीगर / हस्तशिल्प कार्यकर्ता / दर्जी
-ट्रांसपोर्ट कार्यकर्ता / चालक / कंडक्टर / ड्राइवर और चालक / कार्ट खींचने वाला / रिक्शा खींचने वाला सहायक
छोटे प्रतिष्ठानों/दुकानों में काम करने वाले/ सहायक/ वेटर/इलेक्ट्रिशियन / मैकेनिक / असेंबलर / मरम्मत कार्यकर्ता, वाशर-मैन / चौकीदार
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अब तक स्वास्थ्य विभाग के पास अपात्रों को हटाने का अधिकार न नहीं था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। लगातार मिल रहे शिकायतो को शासन को भेजा गया है। अब उन सभी लोगों का नाम हटा दिया जाएगा जो गरीबी की श्रेणी में नहीं है।
डॉ। वीबी सिंह, सीएमओ