मुंबई (मिड-डे)। आपकी पहली फिल्म से लेकर अब तक बॉलीवुड में कंटेंट कितना बदला है?

फिल्ममेकिंग में बदलाव ऑडियंस की वजह से आता है। फिल्म्स भी काफी हद तक पॉलिटिक्स की तरह हैं। पॉलिटीशियन्स मेजॉरिटी के डायरेक्शन को फॉलो करते हैं। कबीर सिंह का ही एग्जाम्पल ले लें, इसने टिपिकल हिंदी फिल्म हीरो को लेकर बने परसेप्शन को तोड़ा है। उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक का सब्जेक्ट भी अमेजिंग था। मूवीज 'स्टीरियोटाइप्स' को तोड़ रही हैं क्योंकि ऑडियंस उन्हें एक्सेप्ट करने के लिए तैयार है।

क्या मूवी की सक्सेस आपकी च्वॉइस पर असर डालती है?

जी हां। यह बात आपके दिमाग में चलती रहती है और एक्टर के तौर पर रोल चूज करने में अहम पार्ट प्ले करती है।

क्या मूवीज में कम नजर आना सोच-समझकर लिया गया फैसला था?

यह एक ऐसी चीज है जिसे मैं पर्सनली बदलना चाहता हूंं। मैं अपनी मूवीज के बीच के गैप को कम करना चाहता हूं। मैं 'ओटीटी' प्लेटफॉर्म्स के लिए भी ओपन हूं क्योंकि यही फ्यूचर है। लोग सिल्वर स्क्रीन से ज्यादा कंटेंट वेब पर देख रहे हैं।

अक्षय खन्ना बर्थडे: 4 सालों तक झेला ये टाॅर्चर और इसलिए रहे फिल्मों से दूर, डेब्यू फिल्म से नहीं ऐसे बनी इनकी पहचान

क्या इसके पीछे की वजह यह है कि आप अपने कंटेम्प्रेरीज की तरह सोशली एक्टिव नहीं हैं?

मुझे ऐसा नहीं लगता। अगर स्क्रिप्ट के साथ-साथ बाकी चीजें मेरे कंट्रोल में हों तो मैं साल में दो-तीन मूवीज करना चाहूंगा। लोग भले ही ऐसा मानते हों पर मैं ऐसा इंसान नहीं हूं जो काम नहीं करना चाहता। मेरी पूरी अडल्ट लाइफ काम करने में ही बीती है इसलिए काम न करना मेरे लिए अनकम्फर्टेबल एक्सपीरियंस होगा। लोगों को लगता है कि मुझे रिलैक्स करना पसंद है, जो सच नहीं है।

sonil.dedhia@mid-day.com

रवि किशन की बेटी इस फिल्म से करने जा रहीं बाॅलीवुड डेब्यू, इनके संग करती दिखेंगी रोमांस

Bollywood News inextlive from Bollywood News Desk