यूपी बार कौंसिल से महिला ने की थी शिकायत, वकील को किसी भी कोर्ट में प्रैक्टिस की अनुमति नहीं

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पति-पत्‍‌नी में अनबन चल रही थी। महिला खुद पति के खिलाफ तलाक की अर्जी दाखिल करना चाहती थी। उसने वकील से सम्पर्क किया तो उसने भरोसा दिलाया कि काम हो जाएगा। इसका खर्च भी वकील साहब ने 22 हजार रुपये तय कर दिये। महिला ने इस एमाउंट का भुगतान भी वकील को कर दिया। इसके बाद भी मुकदमा दाखिल न करना वकील साहब को भारी पड़ गया है। महिला की शिकायत पर यूपी बार कौंसिल ने एडवोकेट मलिक जमीन अहमद को पांच साल के लिए विधि व्यवसाय से निष्कासित कर दिया है। इस दौरान वह किसी भी न्यायालय, न्यायाधिकरण अथवा सक्षम न्यायिक अधिकारी के समक्ष अधिवक्ता के तौर पर पेश होकर केस की पैरवी नहीं कर सकेंगे।

कौशांबी की शिकायतकर्ता, वकील रानीमंडी के

अधिवक्ता जमील के खिलाफ बार कौंसिल में शिकायत नीलू चौहान ने की थी। वह कौशांबी जिले के प्राथमिक विद्यालय सिकंदरपुर बजहा, इमामगंज में सहायक अध्यापिका के रूप में तैनात हैं। बार कौंसिल को की गयी शिकायत में नीलू ने आरोप लगाया था कि पैसा लेकर भी जमील अहमद ने उनके तलाक के केस को दाखिल नहीं किया। मजबूरी में उन्हें दूसरा वकील हॉयर करना पड़ा। दोबारा फीस देनी पड़ गयी। इसके बाद मुकदमा दाखिल किया गया। उन्होंने जमील से अपने पैसे की मांग की फिर भी इसे वापस नहीं किया गया। बार कौंसिल की कमेटी ने शिकायत को नोटिस लेकर जमील अहमद को बुलाया। वह सिर्फ एक बार कमेटी के समक्ष हाजिर हुए। बाद में कई तारीखों पर बुलाने पर हाजिर नहीं हुए। अपने बचाव में कोई जवाब भी दाखिल नहीं किया। इस पर समिति ने आरोपों को सही मानते हुए जमील अहमद के विधि व्यवसाय करने पर रोक लगाने का फैसला दिया।