चालान कोर्ट भेजने में देरी पर हाईकोर्ट सख्त, तीन दिन में कोर्ट भेजने का पुलिस को निर्देश

पुलिस अफसरों ने हाई कोर्ट में मांगी माफी, कोर्ट ने डीजीपी से कहा सर्कुलर जारी करें

PRAYAGARAJ (24 Sept): अप्रैल में चेकिंग के दौरान दरोगा ने पकड़ा। बाइक का चालान किया और ड्राइविंग लाइसेंस जब्त कर लिया। चालान काटने वालों ने इसे सहेजा नहीं। नतीजा यह मिसिंग हो गया। इस चक्कर में चालान कोर्ट में नहीं भेजा गया। पीडि़त को पुलिस से जुलाई में जवाब मिला कि डीएल गायब हो गया है। इस पर उसने हाई कोर्ट की शरण ली तो कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया। जस्टिस सुधीर अग्रवाल और राजीव मिश्र की बेंच ने डीजीपी से हलफनामा मांग लिया कि चालान कोर्ट में भेजने के लिए उन्हें कितना समय चाहिए। अपने जजमेंट में कोर्ट ने एड किया कि डीजीपी अपने स्तर से मातहतों को सर्कुलर जारी करें कि वह चालान अधिकतम तीन दिन में कोर्ट भेजना सुनिश्चित करें।

26 अप्रैल को पकड़ी थी बाइक

इलाहाबाद हाई कोर्ट प्रयागराज में इस संबंध में याचिका आलोक कुमार यादव की तरफ से दाखिल की गयी थी। याचिका में उन्होंने बताया था कि 26 अप्रैल को बाइक से जा रहे थे। जार्जटाउन थाने के दारोगा कृष्ण कुमार सरोज ने उनके वाहन का चालान काट दिया। उन्होंने आलोक का ड्राइविंग लाइसेंस जब्त कर लिया। चालान को कोर्ट नहीं भेजा गया। इससे याची जब्त लाइसेंस नहीं छुड़ा सका। उसने अधिकारियों से चालान कोर्ट भेजने की मांग की तो अफसरों ने याची के नाम एक फर्जी पत्र लिखवाया जिसमें 29 जुलाई 2019 को ड्राइविंग लाइसेंस खोने की बात लिखी गई, जबकि लाइसेंस पुलिस ने जब्त कर लिया था। सरकारी वकील इसका संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए तो कोर्ट ने अधिकारियों को तलब किया।

एसएसपी को कोर्ट में पेश होना पड़ा

कोर्ट के आदेश पर एसएसपी प्रयागराज, एसपी ट्रैफिक व चालान काटने वाले दारोगा कोर्ट में हाजिर हुए। अपनी गलती मानी कि लाइसेंस खोने के कारण याची के वाहन का चालान नहीं भेजा जा सका। अधिकारियों ने माना ऐसे बहुत से चालान भेजने में काफी देरी होती है। पुलिस ने बेहतर जानकारी के साथ हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा। कोर्ट ने कहा कि वाहनों के चालान भेजने में देरी के चलते पिछले दो साल में 57 से 75 लाख मुकदमे लंबित हैं। पुलिस अचानक भारी संख्या में चालान कोर्ट भेज देती है। कोर्ट स्टाफ को उन्हें पंजीकृत कर मुकदमा संख्या देने में भारी दिक्कत उठानी पड़ती है।