990

पुलिस ऑफिसर प्रभावित हो रहे थे इस फैसले से

200

से अधिक प्रमोशन पाकर बन गये थे सीओ

1994

में सरकार ने दिया था आउट ऑफ टर्न प्रमोशन

20

फरवरी को एकल पीठ ने दिया था रिवर्ट करने का आदेश

05

सप्ताह में सभी पक्षों को दाखिल करना होगा जवाब

डिमोट करके पुराने पोस्ट पर तैनाती के आदेश पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने लगाई रोक

prayagraj@inext.co.in

डेढ़ दशक पहले तत्कालीन सरकार के आदेश पर आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाकर सीओ और इंस्पेक्टर बनने वालों को पुराने पोस्ट पर रिवर्ट करने के आदेश पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ ने फिलहाल रोक लगा दी है. मामले के सभी पक्षकारों को कोर्ट ने पांच सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है.

विशेष याचिका में दी गयी चुनौती

तत्कालीन सपा सरकार ने 3 फरवरी 1994 को बेहतर काम करने वाले पुलिसवालों को आउट ऑफ टर्न प्रमोट करने का आदेश दिया था. इस आदेश के अनुपालन में कांस्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर तक का प्रमोशन हुआ था और वे समय से पहले एक पद ऊपर का ओहदा पा गये थे. सरकार के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गयी थी. हाई कोर्ट की एकल पीठ ने सुनवाई के बाद 20 फरवरी को एक्स कैडर के आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाने वाले 200 से अधिक अधिकारियों की प्रोन्नति रद्द करते हुए उनकों दो माह में रिवर्ट करने का आदेश दिया था. इस आदेश को विनोद सिंह सिरोही और राजेश कुमार द्विवेदी सहित कई लोगों ने विशेष अपील में चुनौती दी है. लखनऊ खंडपीठ के जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल और जस्टिस रजनीश कुमार की पीठ ने अपील पर सुनवाई की. कोर्ट ने अपील सुनवाई के लिए स्वीकार करते एकलपीठ के आदेश के उस हिस्से पर रोक लगा दी है जिसमें आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति को रद्द कर दिया गया है. सभी पक्षों को पांच सप्ताह में जवाब और प्रति जवाब देने के लिए कहा गया है.

इन बिन्दुओं पर आपत्ति

वरिष्ठ अधिवक्ता एसके कालिया, अनूप द्विवेदी, विभू राज आदि ने याची के पक्ष को रखा

उनका कहना था कि इस फैसले से करीब 990 पुलिस कर्मी प्रभावित होने जा रहे हैं

इनमें से ज्यादातर को पक्षकार भी नही बनाया गया था.

उनको 3 फरवरी 1994 के आदेश से प्रोन्नति दी गई है

याचीगण वरिष्ठ अधिकारी के तौर पर काम कर रहे हैं.

एकलपीठ ने कानून के स्थापित सिद्धांतों की अनदेखी की है.