बैठक के बाद लगी मुहर
इससे पहले मंगलवार को नए निदेशक के चयन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू और लोक सभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े की बैठक हुई. लगभग एक घंटे चली बैठक में कार्मिक मंत्रालय की ओर से तैयार पांच वरिष्ठ अधिकारियों की सूची के साथ-साथ 1977, 1978 और 1979 बैच के सभी 43 आइपीएस अधिकारियों पर चर्चा हुई. चयन समिति की बैठक में शरद कुमार और अनिल सिन्हा में किसी एक को यह जिम्मेदारी देने की बात कही गई. सूत्रों के अनुसार खडग़े और मोदी ने नए निदेशक के चयन की जिम्मेदारी मुख्य न्यायाधीश को सौंप दी. कुछ घंटे बाद ही जस्टिस दत्तू ने अनिल सिन्हा के नाम पर मुहर लगा दी.

 

मीडिया से दूर रहे रंजीत सिन्हा
विवादों में घिरे रहे सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा कल सेवानिवृत्त हो गए. सिन्हा ने अपने विदाई समारोह से मीडिया को दूर रखना ही बेहतर समझा. समारोह में सीबीआइ के कुछ अधिकारियों ने सिन्हा की तारीफ में जमकर कसीदे कढ़े और उन्हें दबंग तक करार दे दिया. वहीं सिन्हा ने कहा कि उन्होंने जो भी फैसला लिया, वह सीबीआइ के हित में लिया. भविष्य में जांच एजेंसी में उनके योगदान का सही मूल्यांकन हो सकेगा. फूलों से सजी कार में सीबीआइ मुख्यालय से निकलते हुए रंजीत सिन्हा ने मीडिया पर जमकर कटाक्ष किया.

 

सीबीआइ एक नजर में
* सीबीआइ की मूल संस्था विशेष पुलिस प्रतिष्ठान की स्थापना 1941 में हुई.
* उस समय विशेष पुलिस प्रतिष्ठान को विश्वयुद्ध के दौरान युद्ध और आपूर्ति विभाग में लेन-देन के दौरान घूसखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करना था.
* विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए केंद्रीय एजेंसी की जरूरत महसूस की गई तो 1946 में दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम लागू किया गया.
* अधिनियम के तहत सीबीआइ को गृह विभाग को हस्तांतरित हो गया.
* सीबीआइ के अधिकार और कार्य दिल्ली विशेष पुलिस संस्थापन अधिनियम 1946 से परिभाषित हैं.
* एक अप्रैल 1963 को दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) नाम दिया गया.
* शुरुआत में सीबीआइ सिर्फ केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों द्वारा भ्रष्टाचार की जांच करती थी. बाद में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कर्मचारियों को भी इसके अधीन कर दिया गया. 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद वह भी सीबीआइ के अधीन आ गए.
* भारत के लिए सीबीआइ इंटरपोल की आधिकारिक इकाई है.
* 2013 में गुवाहाटी उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने सीबीआइ को असंवैधानिक संस्था घोषित कर दिया था. जस्टिस इकबाल अहमद अंसारी और जस्टिस इंदिरा शाह ने इस फैसले में कहा था कि सीबीआइ पुलिस फोर्स नहीं है इसलिए उसे अपराधों की जांच और चार्जशीट दायर करने का अधिकार नहीं है.
* सीबीआइ पर जब-तब केंद्र सरकार के इशारे पर काम करने के आरोप लगते रहे हैं.

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