आखिर तोड़ दिया दम
यौन उत्पीडऩ की शिकार नर्स अरुणा शानबाग ने सोमवार को दम तोड़ दिया. अस्पताल में रेप का शिकार होने के बाद से ही कोमा में थी. पिछले पांच दिनों से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. 66 वर्षीय अरुणा पिछले 42 साल से कोमा में थीं. किंग एडवर्ड मेमोरियल (केईएम) अस्पताल के डीन अविनाश सुपे ने बताया था कि वह निमोनिया से पीड़ित थीं.
नगरनिगम के अस्पताल में हुईं भर्ती
पिछले वर्ष अरुणा को सप्ताह भर आईसीयू में रखने के बाद नगर निगम संचालित केईएम अस्पताल के नवीनीकृत कमरे में स्थानांतरित किया गया था. केइएम अस्पताल मुंबई के परेल में स्थित है. अस्पताल का स्टाफ ही उनकी देखभाल कर रहा था.
42 साल पहले हुआ था रेप
अरुणा पर 27 नवंबर 1973 को अस्पताल के एक सफाईकर्मी ने बेरहमी से हमला किया था और दुष्कर्म किया था. उन्हें इसका गहरा सदमा पहुंचा था और वे कोमा में चली गई थी. वर्ष 2001 में सुप्रीम कोर्ट ने अरुणा की मित्र पिंकी बिरमानी की ओर से दायर इच्छामृत्यु याचिका को स्वीकारते हुए मेडिकल पैनल गठित करने का आदेश दिया था. लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए अपना फैसला बदल दिया कि हॉस्पिटल के कर्मचारी अरुणा की अच्छी तरह से देखभाल कर रहे हैं और चाहते हैं कि वह आगे भी जीती रहें. यह कहते हुए कोर्ट ने 7 मार्च 2011 को अपना फैसला बदल दिया.
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