अनुभवी शटलर को यह सफलता 34 साल की उम्र में मिली है। अरविंद ने फाइनल में 2वें वरीय डेनमार्क के हेंस क्रिस्टियन विटिंगस को 24-22, 19-21, 21-11 से पराजित कर एक और उलटफेर किया। यह मुकाबला पूरे एक घंटा चला।

 

पहला दौर छोड़कर दो बार के राष्ट्रीय चैंपियन अरविंद ने हर मैच में अपने से ऊंची वरीयता प्राप्त खिलाड़ियों को शिकस्त दी। विश्व में 87वीं वरीयता वाले भारतीय खिलाड़ी ने पांच साल, नौ महीने बाद कोई खिताब जीता है। इसके अलावा यह पहला मौका है, जब किसी भारतीय खिलाड़ी ने जर्मन ओपन में किसी वर्ग में खिताबी सफलता हासिल की। इससे पहले 1999 में भारत के पुलेला गोपीचंद ने फाइनल में जगह बनाई थी। अरविंद का यह कुल सातवां अंतरराष्ट्रीय खिताब है। इससे पहले वह 2004 में स्कॉटिश ओपन और 2007 में चेक इंटरनेशनल खिताब जीत चुके हैं। उन्होंने 2010 ग्वांग्झू एशियाई खेलों और 2011 में सुदीरमन कप में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

 

इससे पहले अरविंद ने तीन गेम तक चले मुकाबले में चीनी ताइपे के टिएन चेन चाउ को पराजित कर फाइनल में जगह बनाई थी। हेंस क्रिस्टियन विटिंगस ने दूसरे सेमीफाइनल में जर्मनी के चौथे वरीय मार्क ज्वेबलर को 21- 16, 21-13 से हराया।

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