हिसार के इस मुक्केबाज ने जॉर्डन में हुई एशियाई चैंपियनशिप में 69 किलोवर्ग में रजत पदक जीता. इसके अलावा भारत के शिव थापा ने 56 किलो वर्ग में स्वर्ण, देवेंद्रो सिंह ने 49 किलो वर्ग में रजत और मनोज कुमार ने 64 किलो वर्ग में कांस्य जीता था. इंडिया प्वाइंट्स टेबल में दूसरे स्थान पर रहा.

देश लौटने पर मनदीप ने कहा, ‘पहले उन्हें पता भी नहीं था कि मैं कहां ट्रेनिंग कर रहा हूं लेकिन आज वह हवाई अड्डे पर मेरी अगवानी के लिए आए.’ मनदीप जब आठवीं क्लास में थे तब उत्सुकता के कारण वह मुक्केबाजी रिंग देखने चला गए जहां किसी ने उन्हें पंच मारना सिखाया.

उन्होंने कहा, ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुक्केबाजी को करियर बनाऊंगा। मैं सिर्फ एक मुकाबला देखना चाहता था और किसी ने मुझे सिखाया कि पंच कैसे मारा जाता है. मैं घर देर से आया और जब मैंने बताया कि मैं कहां था तो पापा ने मुझे मारा और कमरे में बंद कर दिया.

इसके बाद हमारे बीच करार हुआ. उन्होंने कहा कि तुम्हें जो करना है करो लेकिन नंबर अच्छे लाना. मैंने उनकी बात मानी. फिर मैंने मुक्केबाजी को अपना लिया. मेरी मां ने फिर मेरी शिकायत की लेकिन इस बार मार नहीं पड़ी. मुझे अपने माता-पिता को समझाने में एक साल लगा लेकिन मैं कामयाब रहा.’

शिव को जश्न मनाने की फुर्सत नहीं

एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले सबसे युवा भारतीय बने शिव थापा के पास जश्न मनाने की फुर्सत नहीं है क्योंकि उन्होंने अपनी नजरें अक्टूबर में होने वाली विश्व चैंपियनशिप पर लगा रखी हैं.

शिवा ने कहा, ‘जश्न मनाने का समय ही किसके पास है. मैं तीन-चार दिन के लिए घर जाऊंगा और फिर विश्व चैंपियनशिप की तैयारी के लिए पटियाला चला जाऊंगाा. जश्न तो बाद में भी मनाया जा सकता है. अब समय फोकस करके कड़ी मेहनत का है क्योंकि वर्ल्ड चैंपियनशिप पदक की बात ही कुछ और है.’

वर्ल्ड चैंपियनशिप कजाखिस्तान के अलमाटी में 11 से 27 अक्टूबर के बीच होगी. इसके लिए भारतीय टीम का चयन अगले महीने पटियाला में किया जाएगा. नेशनल कोच गुरबख्श सिंह संधू ने सभी खिलाडिय़ों की तारीफ करते हुए कहा, ‘किसी ने मुझे निराश नहीं किया. बतौर कोच मुझे इस प्रदर्शन पर गर्व है और मैं काफी संतुष्ट हूं.’