RANCHI: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में रिम्स में बुनियादी सुविधाओं में सुधार को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि जब रिम्स का वार्षिक बजट 309 करोड़ रुपये का है तो प्रबंधन आधारभूत संरचना की कमी की बात क्यों कह रहा है? वार्षिक बजट किस मद में खर्च किया जाता है। अदालत ने सरकार से पूछा है कि क्यों नहीं रिम्स के पिछले दस साल के बजट की महालेखाकार से जांच कराई जाए। इस पर सरकार की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की गई।

अगली सुनवाई 4 को

इसके अलावा अदालत ने सरकार से सदर अस्पताल के भवन के उपयोग, रिक्त पदों पर बहाली और विजिलेंस कमेटी बनाने पर भी जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई चार सितंबर को होगी। इस दौरान सरकार की ओर से अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने और रिम्स की ओर से अधिवक्ता डॉ। अशोक सिंह ने पक्ष रखा।

नहीं रुक रही डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस

सुनवाई के दौरान रिम्स प्रबंधन की ओर से कहा गया कि वह चिकित्सकों के निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाने में असहाय है। इसको रोकने के लिए बनी विजिलेंस कमेटी में यहीं के चिकित्सक होते हैं, जो जांच के दौरान यहां के चिकित्सकों को बचा लेते हैं। रिम्स निदेशक ने विशेष विजिलेंस कमेटी बनाने का सुझाव दिया है। इसी तरह की कमेटी बनाने पर लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज में निजी प्रैक्टिस पर पूरी तरह से रोक लग गई है जिसपर अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है।