- फेक फोटो से आईडी बना कर रहे जालसाजी

- पैसे देने के लिए कोड स्कैन कराने का चल रहा खेल

- साइबर सेल ने किया अलर्ट

- फेसबुक, वाट्सअप, इंस्टाग्राम पर खास एहतियात बरतने की सलाह

बदलते समय में इंटरनेट और सोशल साइट की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है। फेसबुक, इंस्टा्रग्राम और वाट्सअप तो जैसे हर मोबाइल का अभिन्न अंग बन चुके हैं। ऐसे में इन्हीं सोशल साइट्स को हथियार बनाकर साइबर फ्रॉड को अंजाम देने की साजिश रची जा रही है। रांची पुलिस की साइबर सेल ने अलर्ट जारी करते हुए सोशल साइट यूजर्स को खास एहतियात बरतने का आग्रह किया है। साइबर सेल एक्सपर्ट का कहना है कि इन साइट्स पर बने प्रोफाइल से फोटो समेत अन्य जानकारियां एकत्र कर साइबर अपराधियों के द्वारा जालसाजी को अंजाम दिया जा रहा है।

कैसे होता है खेल

फेसबुक या इंस्टाग्राम से फोटो डाउनलोड कर लिए जाते हैं और उन फोटोज के सहारे फरजी प्रोफाइल क्रिएट कर आईडी बना दी जाती है। इस आईडी से उन्हीं लोगों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा जाता है जो ओरिजनल आईडी में फ्रेंड हैं। वह लोग सेम आईडी देख कर रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लेते हैं। उसके बाद उन्हें मैसेंजर पर कहा जाता है कि बेटा बीमार है या एक्सीडेंट हो गया है, इस तरह की बातें कहकर रुपए ऐंठे जाते हैं।

क्यूआर कोड स्कैनिंग भी खतरनाक

अगर आप क्यू आर कोड का यूज करते हैं तो ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है। वाट्सअप से क्यूआर कोड स्कैन करने से साइबर अपराधियों को आपके बैंक अकाउंट की सारी जानकारी मिल जाती है और वह लोग अकाउंट को एक पल में खाली कर सकते हैं। हाल ही में कई ऐसे मामले समाने आए हैं, जिसमें वाट्सअप के जरिए फ्रॉड किया गया है। ऐसे मामले समाने आने के बाद विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि वाट्सअप के जरिए क्यूआर कोड का इस्तेमाल रुपए के लेने के लिए नहीं होता है, लेकिन कुछ भोले-भाले लोग ठगों के झांसे में आ जाते हैं और अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई गंवा बैठते हैं।

इस तरह से आता है मैसेज

फ्रॉड करने वाले लॉटरी या अन्य कोई लालच के जरिए यूजर्स को फंसाने की कोशिश करते हैं, उन्हें जैसे ही किसी यूजर की ओर से रिस्पॉन्स मिलने लगता है, वैसे ही फ्रॉड सक्रिय हो जाते हैं। इसके बाद वे कई तरह की प्रक्रिया अपनाते हैं। जब यूजर्स पूरी तरह से फ्रॉड के झांसे में आ जाता है, तो अंत में वाट्सअप के जरिए क्यूआर कोड को स्कैन करने के लिए कहते हैं, जैसे ही कोई क्यूआर कोड को स्कैन करता है, उसके अकाउंट से रकम गायब हो जाती है।

क्यूआर कोड का इस्तेमाल रुपए देने के लिए करते हैं

साइबर क्राइम एक्सपर्ट की मानें तो क्यूआर कोड का प्रयोग हमेशा रुपए लेने के लिए किया जाता है न कि रुपये देने के लिए। इस बात की जानकारी न होने के कारण कुछ लोग फ्रॉड के चक्कर में आकर रुपए लेने के लालच में क्यूआर कोड को स्कैन करा देते हैं। इसके बाद ऐसे लोग हाथ मलते रह जाते हैं।

धोखे से बचने को रहें सचेत

ये भी देखने में आया है कि कुछ फ्रॉड पार्किग जोन, एयरपोर्ट या फिर भीड़भाड़ वाले इलाके में घूमते रहते हैं और ये बहाना बनाते हैं कि उनक फोन काम नहीं कर रहा है, इंटरनेंट भी बंद है। वे आपसे विनती करेंगे कि क्यूआर कोड स्कैन कर दें। इसके बदले में वो आपको नकद दे देंगे। ऐसा भूलकर भी न करें। क्योंकि ऐसे फ्रॉड आपके मोबाइल फोन में मालवेयर का अटैक करते हैं। एकबार ये मालवेयर आपके फोन में प्रवेश कर गया तो वे पूरी जानकारी भी चुरा सकते हैं।

केस -1

फेक आईडी कर दी क्रिएट

रांची के मनोज कुमार को गुमला के बलदेव शर्मा ने बुधवार की सुबह फोन कर कहा कि आपका फेसबुक रिक्वेस्ट आया है जबकि हमलोग तो पहले से ही फ्रेंड हैं। दोनों ही लोग एक ही पेशए से जुड़े हैं, इसलिए उन्होंने तुरंत उस आईडी को चेक किया तो पाया कि आईडी फरजी है और उस आईडी में कई दूसरे लोग फ्रेंड बने हुए हैं। दोनों लोगों ने तुरंत अपने फोन से उस आईडी को डिलीट किया।

केस -2

सचेत रहे, तो बच गए

लालपुर में रहने वाले उज्जवल ने ओएलएक्स पर अपनी बाइक बेचने का ऐड दिया। उसे मैसेज मिला और कुछ मोल मोलाई के बाद 10 हजार रुपये उसके अकाउंट में ट्रांसफर किए गए। उन्हें कहा गया कि बाकि पैसे एक साथ अकाउंट में ट्रांसफर हो जाएंगे। इसके लिए एक क्यू आर कोड भेज रहा हूं, उसे स्कैन कर लीजिए। उज्जवल को कुछ डाउट हुआ तो उसने अपने कंप्युटर एक्सपर्ट मित्र से सलाह ली। उसके मित्र ने उसे बताया कि रुपया लेने के लिए कभी भी किसी तरह का क्यू आर कोड स्कैन नहीं करना पड़ता। अब वह लोग रोज उसे मैसेज पर धमकी देकर अपना 10 हजार रुपया वापस मांग रहे हैं।

पुलिस ने साफ अलर्ट जारी किए हैं कि सोशल साइट्स को हथियार बनाकर जालसाजी की जा रही है। इसलिए किसी भी तरह के सोशल साइट यूजर्स सावधानी बरतें और संदेहास्पद मैसेज की जानकारी पुलिस को दें।

अनीश गुप्ता, एसएसपी, रांची