RANCHI : रिम्स के पेडियाट्रिक वार्ड की नियोनेटल यूनिट में एक बेड पर तीन-तीन नवजातों का इलाज चल रहा है। बेड से तिगुना बच्चों के एडमिट होने से हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन के व्यवस्था की पोल खुल गई है। ना तो बच्चों के लिए अतिरिक्त बेड की व्यवस्था की जा रही है और ना ही अलग यूनिट में उन्हें भेजा रहा है। ऐसे में इलाज के लिए एडमिट नवजातों में इंफेक्शन का खतरा मंडरा रहा है। इतना ही नहीं, यहां बच्चों की मां के रहने के लिए भी कोई इंतजाम नहीं है।

नवजातों का ख्याल नहीं

रिम्स में नवजात व बच्चों के इलाज को लेकर हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन गंभीर नहीं है। नियोनेटल आईसीयू में गंभीर रूप से बीमार नवजातों को रखा जाता है। यहां समय से पहले जन्में बच्चों का भी इलाज किया जाता है। फिर, भी एक बेड पर तीन-तीन नवजात को एडमिट कर इलाज किया जा रहा है। ऐसे में एक बच्चे से दूसरे बच्चें को इंफेक्शन का भी खतरा बढ़ गया है। यहीं पर नवजात की मां व अन्य परिजन भी मौजूद रहते हैं, लेकिन उनके बैठने तक की यहां व्यवस्था नहीं है। मजबूरी में वे बच्चे के बेड पर ही बैठ जाते हैं, जिससे कि इंफेक्शन का खतरा और बढ़ जाता है।

बेड पर ही सामानों का अंबार

एक तो एक ही बेड पर तीन बच्चों का इलाज हो रहा है और ऊपर से उनके परिजन भी न सिर्फ बेड को बैठने के लिए इस्तेमाल करते हैं, बल्कि उसी पर सामान भी रख देते हैं। ऐसे में बेड पर जगह की और कमी हो जाती है। इस अव्यवस्था को देखकर भी नर्सिग स्टाफ्स और हॉस्पिटल मैनेजमेंट चुप्पी साधे हुए है।

एक इनक्यूबेटर पर दो-दो बच्चे

नियोटेनल यूनिट में जहां एक बेड पर तीन-तीन बच्चे एडमिट हैं, वहीं यहां इक्विपमेंट्स की कमी भी इलाज में परेशानी का सबब बनी हुई है। यहांएक इनक्यूबेटर पर दो-दो नवजातों को रखा जा रहा है। 20 से अधिक नवजातों के लिए मात्र चार इनक्यूबेटर लगाए गए हैं।