रांची(ब्यूरो)। कंपकंपाती ठंड और ब्रेन स्ट्रोक के मरीज। जी हां, एक ओर जहां ठंड में ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। डॉक्टर्स की मानें तो हर दिन 12-15 गंभीर मरीज रिम्स पहुंच रहे हैं। लेकिन, इनके इलाज को लेकर मौजूद व्यवस्था पर्याप्त नहीं है। आलम ये है कि ऐसे मरीजों के सीटी स्कैन में ही दो-तीन दिन लग जा रहे हैं। ऐसे में इन मरीजों की लाइफ पर यह स्कैन टाइम भारी पड़ रहा है। ऐसे में मरीजों के लिए भी परेशानी बढ़ गई है। ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। रिम्स में पहले की अपेक्षा ब्रेन स्ट्रोक के दोगुने मरीज हो गए हैं। डॉक्टर की मानें तो रिम्स में हर दिन 12 से 15 मरीज गंभीर ब्रेन स्ट्रोक की समस्या के साथ पहुंच रहे हैं। चिकित्सकों के अनुसार, गर्मियों की तुलना में ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में करीब 40 से 50 तक की बढ़ोतरी हुई है। रिम्स के अलावा शहर के अन्य प्राइवेट हॉस्पिटल में भी ब्रेन स्ट्रोक से पीडि़त की संख्या बढ़ी है।

सीटी स्कैन में लग रहा समय

ब्रेन स्ट्रोक के मरीज के लिए सीटी स्कैन सबसे इम्पॉर्टेंट पार्ट है। लेकिन मरीजों की संख्या बढऩे के कारण हर पेशेंट को दो से तीन दिन का समय एक्स्ट्रा सिर्फ सीटी स्कैन के लिए लग रहा है। ऐसे में गंभीर मरीजों की हालत और क्रिटिकल होती जा रही है। सीसीयू यानी क्रिटिकल केयर यूनिट में हर दिन करीब 40 पेशेंट्स एडमिट होते हैं। इन दिनों इसमें 25 मरीज ब्रेन स्ट्रोक से ग्रसित रह रहे हैं। इनमें बुजुर्गों की संख्या ज्यादा है। इसके अलावा अस्थमा, सीओपीडी और सांस की समस्या वाले मरीजों का भी ट्रीटमेंट करा रहे हैं। कई मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। बीते 48 घंटे में ब्रेन स्ट्रोक के पांच मरीज भर्ती हुए हैं, जिनकी स्थिति गंभीर है।

पहला घंटा गोल्डन ऑवर

न्यूरो सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ सीबी सहाय ने बताया कि सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक के मामले नसों के सिकुडऩे के कारण बढ़ जाते हैं। जो मरीज आ रहे हैं, उनमें अधिकतर की उम्र 50 से अधिक है। डॉ सहाय के अनुसार, जैसे-जैसे पारा गिरता है, शरीर के अंगों की प्रक्रिया भी धीमी होने लगती है। नसों में सिकुडऩ हो जाती है। इस कारण दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन धीमा पड़ जाता है। डॉक्टर ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक होने पर पहला घंटा ही गोल्डन आवर माना जाता है। अगर, मरीज शरीर के अंग को टेढ़ा कर रहा है, उसके देखने, सुनने व समझने की क्षमता प्रभावित हो गई हो तो फौरन डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।

आर्टरी में ब्लड फ्लो स्लो

रिम्स के न्यूरो सर्जन डॉ विकास ने बताया खास कर ठंड में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा अधिक रहता है। जिनमें आर्टरी होने वाला ब्लड फ्लो काफी मायने रखता है। आर्टरी में ब्लड फ्लो धीमा होने के कारण ब्लड क्लाट और खून के थक्के जमने के चांसेज बढ़ जाते हैं। जिस वजह से स्ट्रोक की आशंका भी बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि ठंड के दिनों में खून काफी गाढ़ा हो जाता है और इसका सबसे अधिक असर पूरे शरीर के दिमाग में ज्यादा दिखता है। दिमाग के नस काफी सेंसेटिव होते हैं और यहां पर हल्का सा भी थक्का जमने से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा काफी अधिक रहता है। ब्रेन स्ट्रोक किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। लेकिन खासकर वह व्यक्ति जिनको बीपी शुगर जैसी समस्या है। उन्हें विशेष ख्याल रखने की जरूरत होती है।

इस बात का रखें ख्याल

-मॉर्निंग वाक के लिए बिल्कुल सुबह-सुबह ना निकलें

-समय पर दवाई लेते रहें व नहाते समय हल्के गुनगुने पानी से ही नहाएं

-ठंड के मौसम में हर व्यक्ति को थोड़ी देर गुनगुनी धूप में बैठना चाहिए

-शारीरिक एक्टिविटीज भी बढ़ाएं। इससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सही रहेगा

-पानी पर्याप्त मात्रा में पिएं और मौसमी फल का सेवन करें

ब्रेन स्ट्रोक से बचने के उपाय

-लगातार हेल्थ चेकअप कराएं

-ठंड में बीपी की लगातार जांच करें

-नियमित तौर पर दवा लेना न भूलें

-अल्कोहॉल का अधिक सेवन न करें

-धूम्रपान की लत छोड़ें, ठंड में इससे बचें

-खानपान सही समय पर करें

ठंड के मौसम में बीपी, शुगर के पेशेंट्स और 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को सतर्क रहना चाहिए। नियमित जांच और खान-पान में ध्यान देने से इससे बचा जा सकता है।

-डॉ विकास कुमार, न्यूरो सर्जन, रांची