आई एक्सक्लूसिव

--RTO में अचानक बढ़ी लर्निग लाइसेंस टेस्ट में फेल होने वालों की संख्या

-आई नेक्स्ट की पड़ताल में फेल होने के कारणों का हुआ खुलासा

KANPUR@inext.co.in

KANPUR : अगर आपको इस वक्त लर्निग लाइसेंस बनवाना है तो ये बहुत टेढ़ी चीज है। क्योंकि दलाल को ज्यादा पैसे देकर भी आप लाइसेंस बनवाना चाहेंगे तो भी इस वक्त ये बहुत मुश्किल काम है। आप सोच रहे होंगे कि दलाल तो निर्धारित फीस से काफी ज्यादा पैसे इसी बात के लेता है कि बिना किसी झंझट के आपका लाइसेंस बनवा देगा? ऐसे में अचानक ऐसा क्या हो गया? क्या आरटीओ में 'सुविधा शुल्क' बंद हो गया है? ये जवाब जानने के लिए आई नेक्स्ट ने जब पड़ताल की तो मालूम चला कि दलाल जो घूस लेते हैं वो कम पड़ रही है। घूस के नए रेट सेट नहीं हो पाए हैं जिस वजह से किसी के पास पैसा नहीं पहुंच रहा है। इस वजह से लर्निग लाइसेंस के लिए होने वाले टेस्ट में पास होने वाले अप्लीकेंट का ग्राफ बिल्कुल नीचे गिर गया है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि खुद आरटीओ के दलाल कह रहे हैं

'दलालों' ने खड़े किए हाथ

कानपुर स्थित संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय में लर्निग लाइसेंस बनवाने आ रहे ज्यादातर अभ्यर्थियों को इन दिनों मायूस हो कर लौटना पड़ रहा है। अप्लीकेंट्स ने आई नेक्स्ट को अपनी पीड़ा बताई। दर्जनों अप्लीकेंट्स ने बातचीत के दौरान बताया कि दलाल जितने पैसे में पहले लर्निग लाइसेंस के टेस्ट में पास करवाकर लाइसेंस हाथ में दे देता था अब वो उतने पैसे देने के बाद भी कुछ नहीं करवा पा रहा है। अप्लीकेंट्स ने आई नेक्स्ट को बताया कि दलाल कह रहे हैं कि वो फीस के अलावा सिर्फ 25 रुपए एक्स्ट्रा लेंगे और आपका फॉर्म भरकर रेडी कर देंगे। इसके बाद कोई जिम्मेदारी दलाल लेने को तैयार नहीं हैं, जब वो तैयार नहीं हैं तो फिर लाइसेंस कैसे बनेगा?

नहीं हो रहे टेस्ट में पास

आई नेक्स्ट ने जब अप्लीकेंट्स की बात की सच्चाई पता लगाने के लिए पड़ताल की तो मालूम चला कि इसके पीछे बड़ा 'पेचीदा' कारण है। नाम न पब्लिश करने की शर्त पर आरटीओ के एक बड़े दलाल ने बताया कि दरअसल जो सुविधा शुल्क वो लोग अप्लीकेंट्स से लर्निग लाइसेंस के लिए लेते थे वो अब कम हो गया है। क्योंकि क्लर्क से लेकर ऊपर तक सबसे पैसे प्रति लाइसेंस के हिसाब से देने होते हैं। दलाल जो पहले रेट फिक्स है उसके हिसाब से पैसे देता है तो फिर उसी पैसे में अपना हिस्सा काटकर ऊपर बैठे अधिकारियों को पहुंचाया जाता है। अधिकारियों ने नीचे ऑफिस के बाबुओं से कह दिया है कि पैसे बहुत कम हैं? ऐसे में अधिकारी बाबू से पैसे नहीं ले रहे हैं तो बाबू दलाल से पैसे नहीं ले रहा है। जब एक्स्ट्रा चार्ज नहीं ले रहे हैं तो फिर टेस्ट में गलत तो छोडि़ए सही करने वाला भी पास हो जाए तो बड़ी बात है.

सिर्फ जुगाड़ वाले पास

दलाल ने बताया कि पहले मैनुअल टेस्ट होता था तो उसका सुविधा शुल्क दूसरा था अब कम्प्यूटराइज्ड टेस्ट है, ऐसे में घूस के रेट सेट नहीं हो पा रहे हैं। जिससे पूरी व्यवस्था ही गड़बड़ा गई है। इसकी वजह से अधिकारी लर्निग लाइसेंस के टेस्ट में 75 प्रतिशत लोगों को फेल कर दे रहे हैं। सिर्फ वही लोग पास हो रहे हैं जिनका किसी से कोई जुगाड़ है। नाम न पब्लिश करने की शर्त पर दलाल ने बताया कि बड़े दलालों की आरटीओ के अधिकारियों के साथ घूस को लेकर बड़ी मीटिंग होगी जिसके बाद इसके फाइनल रेट तय होंगे फिर मामला कुछ सुधरने की उम्मीद है

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2 महीने में हुआ 'खेल'

आरटीओ में पिछले 2 माह में लर्निग लाइसेंस के दौरान होने वाले रिटेन टेस्ट में पास होने वाले अप्लीकेंट्स की संख्या काफी तेजी से गिरी है। जहां पहले मुश्किल से 5 से 10 प्रतिशत अप्लीकेंट्स ही रिटेन टेस्ट में फेल होते थे, वहीं अब 75 प्रतिशत तक अप्लीकेंट्स फेल हो रहे हैं

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तीन दलालों का 'मेन रोल'

एक दलाल ने आई नेक्स्ट को बताया कि कानपुर आरटीओ में तीन दलाल ऐसे हैं, जो कि हर काम का रेट खोलते हैं। इन्हीं के सेट किए गए रेट के हिसाब से काम होते हैं और तमाम छोटे-छोटे दलाल इन्हीं के हिसाब से काम करते हैं। आरटीओ सूत्रों के मुताबिक पहले हर काम के दो जगह हिस्से लगते थे, जो कि आरटीओ के दो बड़े अधिकारियों को जाते थे। मगर ऊपर बैठे एक बड़े अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद वो रकम तीन स्तरों पर बंट गई। जिससे नीचे के बाबू व कर्मचारी परेशान हो रहे थे, क्योंकि उनका हिस्सा काफी कम हो गया था। दलाल भी पहले से सेट रेट से ज्यादा पैसे देने को तैयार नहीं हो रहे थे। ऑनलाइन टेस्ट शुरू होने के बाद उन्होंने ही दलालों की आड़ लेकर बीच में फंदा फंसा दिया ताकि रेट बढ़ाए जाएं, जिससे उन्हें उनका हिस्सा मिल सके।

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ऑनलाइन टेस्ट से बहुत पारदर्शिता आई है। ठीक से टेस्ट देने के बाद ही लोग पास हो पा रहे हैं। इस वजह से संख्या कम हुई है। धीमे-धीमे संख्या ठीक हो जाएगी।

-प्रभात पाण्डेय, एआरटीओ प्रशासन