ये थी फिल्म की कास्ट
इस फिल्म में आमिर खान, कुणाल कपूर, सिद्धार्थ, आर माधवन और सोहा अली खान ने मुख्य भूमिका के तौर पर काम किया था। इसके अलावा दलेर मेंहदी के साथ-साथ लता मंगेशकर ने भी इस फिल्म में कई शाननदार गाने गाए थे। इस फिल्म में कई ऐसे सीन थे जो आज भी लोगों को याद है।
पहली मुलाकात
इस फिल्म की शुरूआत में ही एक सीन है जिसमें डीजे (आमिर खान) पहली बार सू (एलिस पैटेन) से मिलते है। इनकी मुलाकात सोनिया (सोहा अली खान) कराती हैं। उनको देखकर डीजे मंत्रमुग्ध हो जाता है और कहता है कि इनका नाम सू नहीं गुलाबों होना चाहिए क्योंकि ये इतनी सुंदर हैं। इस सीन से ये पता चलता है कि छीजे को सू से पहली नजर में ही प्यार हो जाता है।
मां से मिलवाना
इस फिल्म का एक और सीन है जिसमें डीजे बड़े दिनों बाद अपने दोस्तो के साथ अपनी मां (किरण खेर) के ढ़ाबे पर उनसे मिलने जाता है। ये यीन काफी फनी है क्योंकि इस सीन में डीजे बड़े ही मजे से अपनी मां से कहता है कि सू उनकी होने वाली बहू है। ये सुनकर डीजे की मां बडी शौक्ड हो जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनको यकीन नहीं होता है कि एक फिरंगी उनकी बहू बनेगी। दरअसल डीजे अपनी मां से मजाक कर हा होता है जिसे सुनकर उसके दोस्त भी हंसते हैं।
कहानी में मोड़
कहानी मोड़ लेती है जब सोनिया(सोहा अली खान) के मंगेतर अजय(माधवन) का विमान गिर जाता है और उस हादसे में उसकी मौत हो जाती है। सरकार उस हादसे के लिये पाइलट अजय को ही जिम्मेदार मानती है। सोनिया और अजय के दोस्त इस बात को नहीं मानते। उनको पूरा यकीन था कि अजय ने कोई गलती नहीं की बल्कि उसने कई और लोगों की जान बचाने के लिये विमान को शहर में नहीं गिरने दिया। और अपनी तरफ से सच्चाई का पता लगाते हैं। फिल्म का अंत थोड़ा अलग है जिसमें अजय के दोस्तों को सच्चाई को सामने लाने के लिये भगत सिंह और राजगुरु जैसे क्रांतिकारियों वाले रास्ते का रुख करना होता है।
करते है प्रोटेस्ट
अजय को इंसाफ दिलाने के लिए डीजे और उनके दोस्त इंडिया गेट पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते है। लेकिन नुलिस बल का प्रयाग करके उन सबको वहां से खदेड़ देती है और सरकार उनकी बात सुनने को तैयार नहीं होते हैं। ये सीन लोगों को ये सच्चाई दिखाता है कि कैसे सच की आवाज को दबाने की कोशिश की जाती है।
करते हैं सरेंडर
जब डीजे और उनके दोस्तों को लगता है कि सीधी तरह से वो अपने दोस्त अजय को बेगुनाह साबित नहीं कर पाएंगे तो वो इसके लिए भगत सिंह और राजगुरु जैसे क्रांतिकारियों वाले रास्ते का रुख करते हैं। वो उन भ्रष्ट लोगों की हत्या कर देते है जिन्होंने उनके दोस्त पर गलत इल्जाम लगाया था। इसके बाद वो एक रेछियो स्टेशन पर जाते हैं और वहां पर ऑन एयर अपना गुनाह कबूल कर लेते हैं। लेकिन वहां पुलिस डीजे और नके दोस्तों को आतंकवादी समझकर मार देते हैं। ये सीन काफी भावनात्मक होता है।
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