रांची : अपने बेटे व दोस्त की कंपनी को ठेका दिलाने व अनियमितता के मामले में रांची के डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय सोमवार को आखिरकार फंस ही गए। उनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच के दौरान उन्हें क्लीन चिट देने वाले तत्कालीन अधीक्षण अभियंता विजय कुमार भगत भी दाग लगा है। उन पर दोषियों को बचाने की पुष्टि हुई है। लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय ने सोमवार को सुनवाई के दौरान ये आरोप सही साबित होने पर डिप्टी मेयर, उनके बेटे हर्षित विजयवर्गीय की कंपनी मेधा कंस्ट्रक्शन व दोस्त विपिन कुमार वर्मा की कंपनी पीयूष कंस्ट्रक्शन के अलावा जांच में इन्हें क्लीन चिट देने वाले अधीक्षण अभियंता को शो-कॉज नोटिस जारी जवाब मांगा है। अब इनका जवाब आने के बाद लोकायुक्त की ओर से अंतिम आदेश जारी होगा। कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता शत्रुघ्न अग्रवाल के वकील व पूरे मामले की जांच करने वाले नगर निगम के पूर्व अधीक्षण अभियंता विजय कुमार भगत भी मौजूद थे।

गुनहगार को ही जांच का जिम्मा

शिकायतकर्ता शत्रुघ्न अग्रवाल के वकील ने अपने आरोपों को अदालत के सामने रखा। उन्होंने बताया कि नगर निगम में जितने भी टेंडर हुए वे डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय के बेटे व दोस्त को ही मिले। जबकि, म्यूनिसिपल कांट्रैक्टर रजिस्ट्रेशन रूल्स-2016 में अपने रिश्तेदारों को टेंडर नहीं दिया जा सकता है, यह एक तरह का अपराध है। इतना ही नहीं, पूर्व में जिस अधीक्षण अभियंता विजय कुमार भगत से जांच कराई गई है, टेंडर देने वाली समिति में वे स्वयं सदस्य थे और उन्होंने सभी आरोपियों को क्लीन चिट दे दिया था।

ड्राफ्ट के सीरियल नं। भी क्रम में

टेंडर में दोनों कंपनियों ने जो डिमांड ड्राफ्ट दिये थे, वो भी सीरियल नंबर में मिले। नगर निगम के 26 टेंडर के लिए मेघा कंस्ट्रक्शन व पीयूष इंटरप्राइजेज ने एक ही बैंक के डिमांड ड्राफ्ट भी दिए थे। उनका सीरियल नंबर का मिलान किया गया तो दोनों कंपनियों के डिमांड ड्राफ्ट का सीरियल नंबर आगे-पीछे था। यह इस ओर इंगित करता है कि डिप्टी मेयर ने जानबूझकर अपने बेटे व दोस्त को टेंडर दिलाने में मदद की।