- बभनियांव गांव में बीएचयू उत्खनन टीम ने की खोदाई

-मिली भट्टीनुमा आकृति, लोढ़ा व धातु, गुप्तकालीन हो सकते हैं ये सामान

VARANASI

बनारस और इसके आसपास के एरिया में हजारों साल पुराना इतिहास छुपा है। ऐसा ही एक इतिहास बभनियांव गांव में मिला है। बीएचयू की उत्खनन टीम को गांव में खोदाई के पहले दिन बुधवार को 45 सेंटीमीटर की गहराई पर ही पकी हुई मिट्टी का ढांचा मिला। जिसे प्राचीन काल की एक भट्टी बताई जा रही है। उत्खनन दल के डायरेक्टर प्रो। अशोक कुमार सिंह ने बताया कि चेकिंग के बाद ही इसकी प्रचीनता के तथ्य सामने आएंगे। इस दौरान चौथी-पांचवीं शताब्दी का पकी मिट्टी का लोढ़ा, उसी काल का आयरन स्लैग या धातु मल व मिट्टी के प्राचीन बर्तन व घड़े भी दबे मिले हैं। माना जा रहा है कि यह सब गुप्त कालीन सामान हो सकते हैं।

साढ़े सात घंटे हुई खोदाई

पहले दिन सुबह 9.30 बजे से शुरू हुई खोदाई शाम लगभग चार बजे तक चली। इस बीच 4X4 मीटर के एक क्षेत्र को 45 सेंटीमीटर तक खोदा गया। इस क्षेत्र को खनन के लिए इसलिए चिन्हित किया गया है, क्योंकि इसी जमीन की सीध में एक मंदिर है। मंदिर में लगभग दो मीटर नीचे एक प्राचीन शिवलिंग मिला है। इसी वजह से इसके सामने कई पुरातात्विक अवशेष मिलने की संभावना जतायी जा रही है।

लोहा गलाने का मिला प्रमाण

बीएचयू के विशेषज्ञों ने बताया कि अगर इसके नीचे राख के अवशेष मिलते हैं तो यहां निश्चित ही प्राचीन काल में घड़ा व अन्य धातुओं को पकाने का काम होता था। वहीं आयरन स्लैग से यह लग रहा कि यहां औजार व बर्तन बनाने के लिए लोहा गलाने का भी काम होता रहा है। खोदाई के बाद गांव के बीचोबीच में ब्राह्मी लिपि में खुदे अभिलेख का इंप्रेशन भी मिला है। जिसको जल्द ही पढ़े जाने के बाद कई अहम जानकारी मिल सकती है। उत्खनन दल में शामिल डॉ। रविशंकर ने बताया कि इसमें मिला आयरन स्लैग पीलिया के रोग को ठीक करने में काफी कारगर है।