सुनियोजित थी राजदेव की हत्या

डीजीपी से लेकर सिवान पुलिस तक कोई स्पष्ट तौर पर पूर्व राजद सांसद मो. शहाबुद्दीन का नाम नहीं ले रहा। उनके करीबियों व शूटरों की गिरफ्तारी व उनसे पूछताछ के कारण शक की सुई उस तरफ घूम रही है। अभी तक मिले साक्ष्य इतना तो इशारा कर ही रहे हैं कि हत्याकांड की योजना सिवान जेल में बनाई गई थी और सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया। उपेंद्र ने बताया कि उन तीन अपराधियों में से एक ने उससे हथियारों के इंतजाम के लिए संपर्क किया था। उपेंद्र ने उसे मदद करने से इंकार कर दिया था।

जेल से दिए गए थे हत्या के निर्देश

पत्रकार हत्याकांड के सिलसिले में पुलिस ने शहाबुद्दीन के नजदीकी माने जाने वाले उपेंद्र सिंह से पूछताछ की। उसने बताया कि राजदेव रंजन की हत्या के निर्देश करीब 15 दिनों पहले ही सीवान जिले से दे दिए गए थे। उपेंद्र सिंह से हुई पूछताछ के आधार पर पुलिस अब सीवान जेल से हाल ही में बाहर आए तीन अपराधियों की तलाश कर रही है। सूत्र बताते हैं कि उन्हें ही राजदेव की हत्या करने के निर्देश दिए गए थे।

उपेन्द्र से पुलिस कर रही है पूछताछ

उपेंद्र सिंह एक समय में शहाबुद्दीन का शॉर्प शूटर हुआ करता था। बीजेपी नेता श्रीकांत भारती की हत्या के मामले में वह मुख्य आरोपी है। श्रीकांत भारती की हत्या नवंबर 2014 में हुई थी। उपेंद्र को जून 2015 में गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल वह जमानत पर है। राजदेव रंजन की हत्या के सिलसिले में उससे पूछताछ की गई। पुलिस ने फिलहाल उसे उत्पाद अधिनियम के तहत जेल भेज दिया है।

शहाबुद्दीन के शूटरों पर शक की सुई

शहाबुद्दीन के शूटर चवन्नी सिंह को पिछले साल ही उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया गया था। तब से वह यूपी की गोरखपुर जेल में बंद था। राजदेव की हत्या के तीन दिनों पहले उसे वहां से सीवान जेल में ट्रांसफर किया गया था। पुलिस को इस हत्याकांड में चवन्नी की संलिप्तता का शक है। उससे पूछताछ में कई राज खुलने की संभावना है। हत्याकांड को लेकर शहाबुद्दीन के करीबियों का कहना है कि उन्हें फंसाया जा रहा है। उनके विरोधियों को मालूम है कि अगले महीने राज्यसभा या विधान परिषद चुनावों में उनकी पत्नी हिना साहब को लालू प्रसाद किसी न किसी सदन में जरूर भेजते। विवादों में घसीटकर उन्हें इस दौड़ से चित किया जा रहा है।

पूरी प्लानिंग से हुई थी हत्या

पुलिस के अनुसार हत्या का स्थान रेलवे स्टेशन रोड है जहां पर पहले भी दो शहाबुद्दीन के विरोधी रहे दो लोगों की हत्याएं हो चुकी हैं। घटनास्थल के आसपसा लगे सीसीटीवी कैमरों के का दो दिनों पहले से बंद होने के कारण लग रहा है कि हत्याकांड को पूरी प्लानिंग के साथ अंजाम दिया गया। एक सीसीटीवी कैमरा चालू छूट गया। इसके फुटेज को भी तुरंत डिलीट कर दिया गया। अब इसकी 70 फीसद रिकवरी हो चुकी है।

15 दिन पहले जेल में रची गई हत्या की इबारत

15 दिनों पहले रची गई साजिश एसपी सौरभ शाह ने जानकारी दि कि हत्या की साजिश 15 दिनों पहले ही रची गई थी। हत्या पूरी योजना बनाकर की गई। उन्होंने बताया कि इलाके के आसपास के तीन सीसीटीवी कैमरों में से एक इलाके के कुछ हिस्सों को ही कवर कर पाता है। दूसरे के फुटेज ही स्पष्ट नहीं हैं और तीसरे सीसीटीवी में सिर्फ 10 मई तक के ही रिकॉर्डस हैं। सीसीटीवी फुटेज की 70 फीसद रिकवरी डीजीपी पीके ठाकुर ने बताया कि एक सीसीटीवी के फुटेज डिलीट कर देने की बात सामने आई थी। इसकी 70 फीसद रिकवरी कर ली गई है।

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