- किसी भी सामान के अप्रूवल पर बरती जा रही है लापरवाही
- निगरानी जांच की वजह से हर काम चल रहा है धीरे-धीरे
PATNA : शहर में रहने के लिए सफाई चाहिए और अगर बीमार पड़ गए, तो फिर उसके लिए दवा की जरूरत है। पर, दोनों शहर में उपलब्ध नहीं है। अस्पतालों में दवा नहीं मिल पाती और सफाई की तो बात ही मत पूछिए, जबकि दवा खरीदारी के लिए हेल्थ डिपार्टमेंट और सफाई के लिए निगम के खाते में पैसों की कमी नहीं है, बावजूद इसके कोई काम नहीं हो रहा है। ऑफिस में बाबू से लेकर साहब तक अपनी मस्ती में डूबे हुए हैं। इन लोगों का एक ही जवाब है कि निगरानी जांच में भाई फंसे, क्योंकि खरीदारी होती नहीं कि उसकी निगरानी जांच शुरू हो जाती है। इस प्रक्रिया में इतना टेंशन दिया जाता है कि खरीदारी से रिलेटेड ऑफिसर्स कर्मी की नौकरी पर संकट आना शुरु हो जाता है।
दवा मसले पर अब तक दर्जनों नपे
दवा की खरीदारी में हुई अनियमितताओं की वजह से पीएमसीएच में अब तक एक दर्जन से अधिक लोग चपेट में आए हैं। इसमें से कईयों का ट्रांसफर तो कईयों पर मामला कोर्ट में चल रहा है। खरीदारी में बरती की गयी अनियमितता की वजह से निगरानी जांच सहित कई तरह की कमिटी की जांच की वजह से अब दवाओं की खरीदारी में पीएमसीएच एडमिनिस्ट्रेशन हाथ पीछे कर रही है। इस वजह से आज भी ओपीडी में दवाओं की भारी किल्लत चल रही है।
निगम में भी निगरानी का मंडराता है साया
पटना नगर निगम में भी इंटरनल और एक्सटर्नल ऑडिट रिपोर्ट के बाद से कईयों पर निगरानी की जांच चल रहीं है। कई मामलों पर कार्रवायी भी हुई है और कर्मियों को हटाया भी गया है। इस वजह से जो भी वित्त संबंधी मामले होते हैं, उसमें पहले ही ऑफिसर्स हाथ पीछे कर ले रहे हैं। ऑफिसर्स सोर्सेज ने बताया कि काम करने आए है। अगर निगरानी का ही जवाब देते रहे, तो फिर काम कैसे हो पाएगा। जानकारी हो कि सामानों की खरीदारी से रिलेटेड कोई भी काम यहां पर नहीं हो पा रहा है। कचरा प्रबंधन के टेंडर की प्रक्रिया अब तक अटकी हुई थी। इसके अलावा यूरिनल निर्माण की प्रक्रिया भी अधर में अटकी हुई है। स्ट्रीट लाइट पर बल्व चेंज नहीं हो पाता है।
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